सद्गुरू का प्रेमामृत
सद्गुरू का नाम
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मेरे सद्गुरू आण्णा का नाम
इतना बडा है की,
सारे सुखदुःख,
सारा वैभव,
स्वर्गीय ऐश्वर्य, राजऐश्वर्य,
यश,किर्ती, नाम...
सभी की कीमत मेरे आण्णा के
दिव्य प्रेम के और उनके नाम के
सामने बिल्कुल नगण्य है,
शून्य है।
मेरा देह,तन - मन - धन,
जनम जनम का सारा
पुण्यसंचय भी मेरे सद्गुरू के
पवित्र चरणकमलों पर
समर्पित।
संपूर्ण समर्पण ही जीवन है।
सभी संतों के चरणकमलों पर
संपूर्ण जीवन समर्पित करना ही
जीवन का आनंद है।
सुख हो या दुख,
अमृत हो या जहर,
सद्गुरु चरणों के सामने
सबकुछ शून्य है।
जिसके भाग्य में
सद्गुरु के प्रेमामृत का
सौभाग्य होता है...
विश्व में उससे भाग्यवान
कौन हो सकता है ?
हरी ओम्
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विनोदकुमार महाजन
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