सनातन धर्म में है जीवन की बहार

 सनातन धर्म में है जीवन की बहार...

-------------------------------

फुलों की बहार जैसा

जीवन होता है सनातनीयों का।

परोपकार, दया,क्षमा,शांती का भंडार होता है सनातनीयों का।

पशुपक्षीयों पर भी,पेड जंगलों पर भी प्रेम करने को सिखाता है

सनातन धर्म।


यहाँ गाय को भी माता मानकर पूजा जाता है , गौमाता भी रूप है भगवान का।

पत्थर में भी भगवान का रूप देखकर पूजन होता है

ईश्वर का।

आत्मा परमात्मा की खोज करके

जीवन बनता है सुंदरता का।


सुखों की बहार है सनातन धर्म।

ध्यान धारणा में समझता है

सुखी जीवन का मर्म।


चौ-यांशी लक्ष योनियों में

दिखता है एक समान आत्मतत्त्व।

एकसमान आत्मतत्त्व से होता है

ईश्वरी साक्षात्कार।


एक ही सूत्र में संजोया है

साकार और निराकार।


मुझमें भी राम,तुझमें भी राम।

मुझमें भी कृष्ण, तुझमें भी कृष्ण।


चौ-यांशी लक्ष योनियों में भी

बसा है मेरा प्यारा भगवान।

यह दिव्यत्व,

सिखाता है मेरे सनातन धर्म के

धर्म ग्रंथ है इसके

साक्षात प्रमाण।


सनातन ही है

हिंदुत्व की आन - बान - शान।

यहांपर है भगवान का भगवा

निरंतर विराजमान।


ध्यान - जप - तप है 

सनातन का आधार।

जो करता है जीवों का उध्दार।

निराकार ईश्वर से नाता जोडते जोडते खुद बन जाता है

ईश्वर साकार।


नर का नारायण और

नारी बने नारायणी

यही है सनातन धर्म का सार।


आवो प्यारे भाईयों,

हर एक मनुष्य प्राणी को

सनातन से जोडते है।

पृथ्वी के हर मानव को

उसके मूल सिध्दातों से जोडते है।

रास्ता भटकने वालों का

आधार बनते है।

सभी को सनातन से जोडकर

सभी के जीवन में 

बहार लाते है।


हर एक के आनंदी जीवन के लिए

सत्यम् शिवम् सुंदरम् से नाता

जोडकर

सभी का जीवन बहारदार

बनाते है।


सभी का जीवन आनंदी हो।

सबका मंगल हो।

सभी का जीवन बहारदार हो।

सभी के जीवन में सभी सुखों की बौछार हो।


माँ भारती,माँ धरती खुशहाल हो।

सभी सजीवों को अभय मिले।

गौमाताओं को अभय मिले।

गंगामैया का शुध्दीकरण हो।

पेडजंगलों की रक्षा हो।

प्रभू परमात्मा की धरती सुंदर हो...स्वर्ग जैसी पवित्र हो।


आसुरों का नाश हो।

ईश्वरी सिध्दांतों की जीत हो।


सभी का कल्याण हो।


हरी ओम्

जय राधेकृष्ण

----------------------------------

विनोदकुमार महाजन

Comments

Popular posts from this blog

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र

साप आणी माणूस