सबकुछ भयावह है

 भयानक चेतावणी : - देश भयावह स्थिती से गुजर रहा है !

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साथीयों,

यह लेख गंभीरता से पढकर आज की देश की भयावह स्थिती पर विचार विमर्श करके,

तुरंत हल निकालना अत्यावश्यक बन गया है।


देश की स्थिती भयावह है।


हर जगहों पर मिनी पाकिस्तान का गुप्त एजेंडा चलाया जा रहा है।


चारों तरफ गहराई से नजर डालेंगे तो यह भयावह स्थिती नजर आयेगी।

चारों तरफ....

" काला रंग " और सुबक शाम

" जोर जोर से चिल्लाने की " भयंकर आवाजे....


और हम ???

चारों तरफ से मजबूर।


" उन्मादी समाज का " कानूनी हल...ना के बराबर।


" हमारे  " दो बच्चे...

" उनके " बीस...


जनसंख्या नियंत्रण कानून लेकर क्या कर बैठोगे ???

संपूर्ण स्थिती हाथ से बाहर जा चुकी है।


यही स्थिती रही तो...???

दस साल के बाद का समय...

अती भयावह होगा।


दस करोड के लगभग पाकिस्तानी, बांगला, रोहिंग्या

तुरंत बाहर निकालेंगे...

तो शायद स्थिती थोडी सुधर सकती है।


अन्यथा....

चोबीस का चुनाव जीतना भी मुश्कील हो जायेगा।

युपी में देखा ना ?

कितनी भयंकर कांटे की टक्कर थी ?

नशीब बलवत्तर था,इसिलिए युपी में जीते।

नही तो...

भयावह स्थिती बनती।

चारों तरफ सैतानी राज।


हर बार युपी की तरह नशीब साथ देगा इसका भरौसा नही है।


जीत की तगडी रणनीती बनानी ही पडेगी।

अन्यथा...? अनर्थ अटल है।


हर मतदान क्षेत्र में पश्चिम बंगाल की तरह गुप्त रूप से घुसपैठीयों को बसाया जा रहा है।

चौबीस की जीत के लिए तगडी रणनीती चारों तरफ से बन रही है।


सुक्ष्म नजर से सब दिखेगा।

देश की स्थिती सचमुच में भयावह है।


आज हल नही नीकाला...

तो...???

अंत निश्चित है।


जागो...जागो... जागो...।

सोचो,समझो।

समय भयंकर कठीण है।

तेज गती से  " उनकी " आबादी आसमान को छु रही है।

और तेज गती से जीतने का,

" इनका " वैश्विक हथीयार भी यही है।


हमारे अनेक रथी,महारथी

जैसे अजीत डोभाल, पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, सुरेश चव्हाण के जैसे अनेक धर्म योध्ये संस्कृती बचाने हेतू.. दिनरात एक कर रहे है।

हमें हिलाहिलाकर जगा रहे है।


और दुर्देव से आज भी,इतना भयावह होने के बावजूद भी...

निद्रीस्त है।

धन,माया कमाने के चक्कर में धर्म के प्रती गहरी नींद में है।


अफगाणिस्तान गया,पाकिस्तान गया,बांगलादेश गया,मँनमार गया,इराण - इराक गया,श्रीलंका गया।


और हम...?

गहरी नींद में।

जागते है तो...?

कश्मीर जैसा भागम् भाग।

कबतक भागते रहोगे।


केरल, पश्चिम बंगाल जैसे अनेक प्रदेशों की स्थिती अती भयावह है।

सरकार भी मजबूर है।


ऐसे भयावह, भयानक, भयंकर धर्म ग्लानी के समय में...

" हमें " कौन बचायेगा ?

कब बचायेगा ?


स्थिती हाथ से बाहर जा चुकी है।

" उनकी " रणनीती तगडी है...

और.. " हमारी रणनीती ? "

कमजोर।


हुश्श...ऐसी भयावह स्थिती में आखिर करें तो क्या करें ?


ईश्वर ने आज सर्वोच्च सत्ता स्थान दिया है।

यही मौका है।

जी हाँ केवल और केवल यही एकमेव और आखिरी मौका है...

स्थिती काबू में लाने का।

यही मौका है देश का अनेक सालों का अराजक सदा के लिए समाप्त करने का।


समय की माँग देखकर कठोर होना पडेगा तो भी चलेगा।

इस्त्रायल, मँनमार जैसे सख्त निर्णय लेने पडेंगे।


संपूर्ण विश्व को भी इस अभियान के लिए जोडना होगा।

फ्रान्स, आँस्ट्रैलिया,इंग्लैंड जैसे,

" जेहाद " की चोट खानेवाले अनेक देशों को समझाना होगा।

और एक ही प्रहार से...

यह भयंकर बढती वैश्विक बिमारी का हल ढुंडना होगा।


चोट करनी ही पडेगी।

आखिरी चोट।



तभी धर्म जीतेगा।

तभी संस्कृती जीतेगी।

तभी मानवता जीतेगी।

तभी सत्य जीतेगा।


तभी ईश्वर का कानून भी बचेगा।

अन्यथा...?

चारों तरफ राक्षसी राज्य।

चारों तरफ हाहाकार।

चारों तरफ गौमाताओं का आक्रंदन।


क्या आपको यह सब रोकना है ?

स्थिती भयावह है।

स्थिती हमारे हाथ से बाहर जा चुकी है।

कानून हतबल है।

गुप्त एजेंडा चलाने के लिए...

अनेक गुप्त साँप जगहों जगहों पर लगाये है।


सावरकर, सुभाष बाबू,श्यामाप्रसाद, करपात्री जैसे अनेक धर्म योध्दाओं के साथ कुटील रणनीती के द्वारा भयंकर हादसे किए गये।

यही हादसों से...

हमें सबक लेकर चलना है

और जीत की...तुरंत जीत की तगडी रणनीती बनानी ही है।


केवल और केवल जीत।

तगडी जीत।

और अराजक का और अराजकता फैलाने वालों का सदा के लिए कानूनी तौर पर सख्त बंदोबस्त....


और अगर ऐसा हुवा तभी...

हमारे कदम सही अर्थ से

" रामराज्य " की ओर बढेंगे।


मेरे सभी देशप्रेमी साथीयों,

समय भयंकर है...

समय भयावह है...

संस्कृती रक्षा के लिए, सिध्दांत बचाने के लिए,

आज के और अभी के बाद हमें एकेक कदम फुंकफुंककर ही चलना है।

हर कदम संभलकर ही चलना है।


इतिहास साक्षी है साथीयों,

जब जब धर्म पर भयंकर संकट आया है...

तब तब हमारी तीव्र इच्छाशक्ती द्वारा, कठोर मेहनत द्वारा हमने भयावह परिस्थितीयों पर भी विजय हासील की है।


आचार्य चाणक्य,

राजा विक्रमादित्य,

आद्य शंकराचार्य,

राजे शिवाजी,

जैसे अनेक धर्म योध्दाओं ने अधर्म का नाश करके...

धर्म की पुनर्स्थापना की है।


और आज...

घर वापसी अथवा शुध्दी आंदोलन भी शायद...

काम नही आयेगा।

अथवा व्यापक जनआंदोलन भी हमें अपेक्षित कामयाबी नही दे सकेगा।

क्योंकी बहुत देर हो चुकी है।

और समय बहुत कम है।


और कम समय में हमें कामयाबी हासील करनी ही होगी।किसी भी हालत में।

दिनरात एक करना पडेगा।


हमें,हर भारतीय को अब नींद से जागना है और धर्म बचाने के लिए, एकेक कदम...

द्रढ निश्चय से,कंधे से कंधा मिलाकर, आगे बढना है।

साथीयों,

आगे ही बढना है।


भयंकर, भयानक, भयावह स्थिती को बदलना है।


क्या आप सभी का मनोमस्तिष्क और आपकी पवित्र आत्मा...

इसके लिए तैयार है ?


ह्रदय पर हाथ रखकर कसम खाईये...

मुसिबत की घडी में...


" देश को झुकने नही देंगे।देश को मिटने नही देंगे। "

चाहे कितनी भी मुसिबत की घडी क्यों न हो...

हम केवल और केवल जीतकर ही रहेंगे।

कसम से।

वादा रहा।


सबका साथ,सबका विकास तो हमें चाहिए ही चाहिए।

मगर इसके साथ ही...

" राक्षसों का नाश " भी करके ही रहेंगे।


क्योंकी ,

हम सब तेजस्वी ईश्वर पूत्र है।

तेजस्वी ईश्वर की संताने है।


तो...?

हमारी जीत पक्की है।


रणनीती ही ऐसी बनायेंगे

केवल जीत ही खिंचकर लायेंगे


जय जय श्रीराम

हर हर महादेव

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लेखन,

विनोदकुमार महाजन

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