बचके रहना !

 बचके रहना  रे बाबा ...!!!

( लेखांक २००६ )

विनोदकुमार महाजन

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समय बहुत खराब चल रहा है।

हमेशा सावधान रहना होगा।

बचके रहना होगा।


क्योंकी....

कब क्या होगा इसका भरौसा नही है।

विशेषतः हमारे लालची जयचंद ही.....

" उनसे " मिले हुए है।जो आपके भी नजदिकी दोस्त बनकर बैठे है।जो घात कर सकते है।


अगर तुम हिंदुत्व की लडाई दिनरात लड रहे हो तो...और जादा सचेत और जागरूक रहकर कार्य आगे बढाना होगा।चौबिसों घंटे सावधानी बरतनी होगी।


" अधर्मीयों " का चक्रव्यूह भयंकर शातीर दिमाग का है,उसे भेदन करना होगा।


" उन्हे " बचपन से ही हत्या, खून खराबा,रक्तपात, विश्वासघात,चोरी,डकैती,दूसरों का माल हडपना,यह सिखाया जाता है।

और " हमें " बचपन से ही प्रेम,भाईचारा,सहिष्णुता, मानवता सिखाया जाता है।


मगर हमारी मानवता, प्रेम, भाईचारा ही हमारे लिए घातक सिध्द हुवा...तो...?

सिध्दांतों के लिए और कुछ आसुरीक लोगों के लिए, कुछ दिनों के लिए, हमारे रास्ते हमें बदलने पडेंगे।

झूटा भाईचारा छोडकर ,झूटा विश्वास छोडकर...

" उनसे " दूरी रखनी पडेगी।

हर क्षेत्र में।

हर हाल में।


प्रेम की भाषा वही समझता है जो इसके लिए योग्य होता है।

विश्वासघातकी प्रेम की भाषा कैसे समझेंगे ?


इसिलिए मोहमाया का त्याग करके,परखकर ही दोस्ती करनी है और परखकर ही किसीपर विश्वास रखना है।


घर में,दुकान में,व्यावसाय में,कारोबार में,दोस्ती में केवल और केवल " हमारे ही " लोगों से रिश्ता रखना है।

अन्यथा ?

घात हो सकता है।


दूसरी महत्वपूर्ण बात...

संपूर्ण बहिष्कार।

यह एक अत्यंत प्रभावी गुप्त अस्र्त है।

जिसके परीणाम दूरगामी दिखाई देंगे।


यही गुप्त अस्त्र से....

" मँनमार " जीत गया है।


अनेक कारणों से घर में आनेवाले " अपिरीचितों " से दूरी तथा सावधानता धारण करनी होगी।हर एक आगंतुक पर निगराणी रखनी होगी।


जादा और फालतू का विश्वास ही घातक सिध्द हो सकता है।


अतएव सावधान।


युध्द हमें हर हालात में जीतना ही है।

केवल और केवल जीतने के लिए ही हम आये है,यह धारणा बनानी है।

और ईश्वर ने भी हमें इसी के लिए ही भेजा है।


संपूर्ण परिवर्तन ।


इसिलिए सौ प्रतिशत हमारी जीत पक्की है।

मगर इसके लिए भी जबरदस्त शक्तिशाली तथा तगडी रणनिती बनाकर, हर कदम फूंक फूंककर आगे बढना है।


हमें ...

बारबार माफ करनेवाले,

पृथ्वीराज चौहान नही बनना है।

राजे शिवाजी जैसी सर्वश्रेष्ठ निती बनानी है।


अन्यथा घात हो सकता है।

पृथ्वीराज चौहान जैसा।


इतिहास बहुत कुछ सिखाता है।


अब दूसरी महत्वपूर्ण बात,

हमारी निती हर क्षेत्र में हमें बदलनी होगी।


" उनका " बिझनेस का 

" स्टाईल " देखो...

और " हमारा " बिझनेस का 

" स्टाईल " देखो।

हर जगह सूक्ष्म निरीक्षण करो।


ब्यापार में मिठी मिठी बातें करना,कम दामों में कोई वस्तू बेचना...

यह छोटी छोटी चिजें 

" हमें "

" उनसे " सिखनी होगी।


हम क्या करते है ?

धंदे की बिलकुल जरूरत नही ऐसा भाव,अकड...

ग्राहकों को मिठी मिठी बातें करके उसे आकृष्ट करने के बजाय, ग्राहकों को ही कठोर शब्दों से प्रहार करना, अरेरावी करना,झगड़ा करना,जादा दामों से वस्तु बेचना,

इसी वजह से हमारा धंदा चौपट होता है.....


और अनायास ही

" ग्राहक " 

" उनकी " तरफ आकर्षीत होता है।

उपर से उनकी मिठी भाषा और दाम भी कम....


मतलब समझे ?


पूरा मार्केट " उनके " कब्जे में।

और हम ?

मख्खियां मारते बैठते है।

ग्राहक की प्रतिक्षा में।


वजह ?

हमारा अती अहंकार।


और यही अहंकार हमारा आत्मघात करता है।


" वो " हर क्षेत्र में पैसा पैसा जोडकर..." धर्म कार्य " में लगाते है।

और हम ?

" केवल खुद की " ऐषोआराम की जिंदगी चुनते है।


धर्म गया भाड में...

यह मानसिकता बदलनी होगी।

अन्यथा आत्मघात होगा।


कबतक और कहाँ कहाँ भागेंगे।

पुरूषार्थ हीन बनकर सदीयों से भागते आ रहे है।और " वो " हमारे अनेक भू - प्रदेशों पर बिलकुल ठंडे दिमाग से,शक्तिशाली रणनीती बनाकर, कब्जे करते जा रहे है।


सोचो।

कबतक यह सिलसिला जारी रहेगा ?

कबतक ?

अस्तित्व की लढाई है यह ।

विनाश सामने दिख रहा है।


अब पुरूषार्थी बनकर,

अधर्म का डटकर विरोध करना पडेगा।

और हर क्षेत्र में यशस्वी भी होना पडेगा।


मुझे सांकेतिक भाषा में लेख लिखने की,सत्य को उजागर करने की समस्या क्यों आ गई ?

क्यों मैं खुलेआम नही लिख सकता हुं ?

एक तो हमारे ही लोगों का भरौसा नही है।

और,कार्यों में कुछ बाधाएं, कानूनी रूकावटें भी नही आनी चाहिए।

और समाज जागृती भी हो।

और कार्य आसानी से सफल भी हो।


" मेरा " हरएक भाई जाग सके,कार्यरत हो सके,सहयोग दे सके और...

धर्म कार्य में गती मिल सके।

इसिलिए यह छोटासा प्रयास।

चिंटी जैसा।


इसिलिए चौतरफा निती बनाकर जीत हासिल करनी ही होगी।


आप सभी.का दिनरात का,हर सुखदुःख में सहयोग तो है ही।


धिरे धिरे...

" कारवाँ " बढता जायेगा।

और अपेक्षित परिणाम भी मिलेंगे।


" हिंदुराष्ट्र निर्माण के लिए। "


इसीलिए साथीयों,

हिंदुराष्ट्र निर्माण तथा अखंड भारत बनाना है तो....

एकेक कदम फूंकफूंकर चलना होगा।

मंझिल की ओर बढना होगा।

पागलों की तरह दिनरात काम करना होगा।


विविध माध्यमों द्वारा राष्ट्रीय तथा वैश्विक कार्य रफ्तार से बढाना होगा।

गती से दौडना होगा।

समाज जागृती अभियान के लिए घर घर जाना होगा।हर एक को धर्म का महत्व समझाना होगा।


हर हप्ते में मंदिरों में धर्म जागरण अभियान चलाना होगा।


समय बहुत कम है।

कम समय में भी उद्दीष्ट साध्य करना होगा।


जमीनी तौर पर कार्य को आगे बढाना होगा।


चलो आरंभ करते है...

आज से,

हर एक के माथेपर भगवा तीलक अत्यावश्यक है।

हर घरपर भगवान का भगवा ध्वज अत्यावश्यक है।

हर घर में भगवान की प्रतिमा अत्यावश्यक है।


समाज जागृती यहीं से,अभी से आरंभ करते है।


हर हर महादेव।

हरी ओम्

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