बी पोझीटीव

 निगेटिव एनर्जी को पोझिटिव एनर्जी में ....

कैसे बदले...???

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निगेटिव एनर्जी !!!

बहुत ही भयंकर और खतरनाक समस्या।

ऐसे भयंकर बिमारी से,भयंकर शक्ती से जो भी ग्रस्त है...

उसी घर में या फिर समाज में भी भयंकर यातनाएं तथा पिडाएं पैदा होती है।

इसिसे ही उसी घर में,समाज में नैराश्य फैल जाता है...

और नैराश्य का हल युं ही नही मिलता है।

बिमारी, कर्जा,झगडा,आपसी कलह,कौटुंबिक कलह,गलतफहमीयाँ,व्यसनाधीनता ऐसे अनेक प्रकारों से निगेटिव एनर्जी उत्पन्न होती है।

तो....ऐसे निगेटिव एनर्जी को क्या सचमुच में पोझिटिव एनर्जी में बदला जाता है?

जी हाँ,बिल्कुल।

कैसे...???

(१)निगेटिव सोच रखनेवालों से दूरी रखे।

(२)ईश्वरी चिंतन करे।

(३)पोझिटिव सोच रखने वालों से दोस्ती बढायें।

(४)जप जाप्य,गुरूमंत्र का जाप करें।

(६)मठ-मंदिरों में,जंगलों में जाने से भी निगेटिव शक्तीकम होती है,और पोझिटिव शक्ती बढ जाती है।

(७)हमेशा विनावजह के झगड़े करनेवालों से सदा दूर रहे।

(८)देवी देवताओं पर विश्वास न करनेवालों से दूर रहे।

(९)धर्म ग्रंथों का पारायण करें।धार्मिक किताबों का पठन करें।

(१०)शौर्यकथाओं का पठन करें।

(११)योगासन,प्राणायाम करें।ओंकार साधना करें।

(१२)आत्मविश्वास, दुर्दम्य इच्छाशक्ति, प्रयत्नवाद,आशावादी रहें।

(१३)पशुपक्षी सहित सभी से सदैव शुध्द, पवित्र, निरपेक्ष, दिव्य प्रेम करते रहे।

(१४)निगेटिव एनर्जी पैदा करनेवाला भी मिले,या घर में-समाज में हमारे संपर्क में है ही तो उसको बारबार समझा कर,उसको जबरदस्त पोझिटिव एनर्जी में लाकर उसका जीवन सुकर बनाने का अथक प्रयत्न करते रहे।

(१५)सभी को सुखी करने की ईश्वर को सदैव प्रार्थना करते रहें।

(१६)गीत-संगीत गाते रहे,गुनगुनाते रहे,हँसते खेलते रहे।

(१७)दुसरों को भी हँसते खेलते देखने का आनंद लेते रहिए।दुसरों के दुखदर्द में सहभागी होकर उसको आनंदी करने का,उसको हँसाने का प्रयत्न करते रहिए

(१८)दुसरों के चेहरेपर आनंद देखने के लिए, हँसी देखने के लिए सदैव तत्पर रहें।

(१९)आत्मशक्ति, आत्मबल बढाते रहिए।

(२०)ईश्वरी चैतन्य जगाने की हमेशा कोशिश किजिए।

(२१)घर में ,समाज में सभी को सुखी, खुश, आनंदी देखने की निरंतर कोशिश में लगे रहिए।

हरी ओम।

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--  विनोदकुमार महाजन।

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