रामराज्य कैसे आयेगा ?

 आसुरों का नाश....

जबतक नही होगा,तबतक,

धरती पर रामराज्य असंभव है !

( लेखांक : - 2014 )


विनोदकुमार महाजन

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मोदिजी प्रधानमंत्री बनने से पहले से ही मैं लेख लिखता हुं।जिसमें संपूर्ण परिवर्तन का जिक्र मैं करता आया हुं।


अनेक अखबारों में हिंदुत्व के पूरजोर समर्थन में मैंने अनेक लेख लिखे है।

दै.सामना में मेरे विशेष लेख आते थे।


सभी लेखों में मैं बारबार यही लिखता था की,

समय करवट बदल रहा है।परिवर्तन आरंभ हो रहा है।


ईश्वर निर्मित ...

सनातन हिंदु संस्कृती पर मेरा लिखान हमेशा लोकप्रिय होता आ रहा है।

क्योंकी सनातन धर्म ही अनादी अनंत कालों से चलता आया है।और सनातन धर्म ही अंतिम सत्य भी है।

सनातन धर्म अर्थात हिंदु धर्म में ही पूर्णत्व है।सभी प्रश्नों का और समस्याओं का अचूक रामबाण उत्तर भी सनातन धर्म में ही है।


ईश्वरी सिध्दांत और आसुरीक संपत्ती का निर्माण खुद ईश्वर ने ही किया है।


दो विरूद्ध शक्तियों का निरंतर संघर्ष भी ईश्वर निर्मीत ही है।

और सृष्टि से आरंभ से लेकर सृष्टि के अंत तक का यह संघर्ष निरंतर चलता ही रहेगा।


तो एक प्रश्न मन में आना स्वाभाविक है।

क्या जरूरत थी ईश्वर को यह सारा खेल रचाने की ?

उत्तर : - ईश्वर की लिला अगाध है।उसकी लीला ईश्वर ही जाने।


अब मूल विषय पर आते है।


आज संपूर्ण देश में और संपूर्ण विश्व स्तरपर यह दो विरूद्ध शक्तियों का घनघोर संघर्ष जारी है।

और आसुरीक संपत्ती के सर्वनाश होनेतक यह संघर्ष जारी रहेगा।

क्योंकि जीत हमेशा सत्य की और ईश्वरी सिध्दातों की होती है।

और ईश्वरी इच्छा के अनुसार कुछ ही सालों में आसुरीक संपत्ती का सर्वनाश होगा और संपूर्ण पृथ्वी पर फिरसे लौटकर सनातन धर्म का ही राज आयेगा।


और यह दिव्यत्व देखने का सौभाग्य भी हम सभी के भाग्य में जरूर होगा।

इसिलिए हम सभी भाग्यवान पवित्र आत्माएं है।


क्योंकि अनादी अनंत काल तक से, 

संपूर्ण पृथ्वी पर सनातन धर्म का ही राज था।

संपूर्ण पृथ्वी पर इसके प्रमाण भी मिलते है।


अब देखते है,

संपूर्ण पृथ्वी पर रामराज्य कब और कैसे आयेगा ?


जबतक रावणराज्य समाप्त नही होता है तबतक रामराज्य आना असंभव है।

अथवा कंस,दुर्योधन, जरासंध,हिरण्यकश्यपू  जैसे उन्मत्त,उन्मादी, हाहाकारी, परपिडा देने में ही " धर्म " समझने वाले आसुरीक संपत्ती का और सिध्दांतों का जबतक सर्वनाश नही होता है तबतक..

रामराज्य अथवा ईश्वरी राज्य की संकल्पना करना उचित नही होगा।


तब...

एक रावण के लिए

एक राम आया था,

एक कंस,जरासंध, दुर्योधन के लिए परमात्मा श्रीकृष्ण को आना पडा था।

हिरण्यकश्यपू के संहार के लिए उग्र रूपवाले नारसिंव्ह को आना पडा था।


तो आज....

हर जगहों पर,पगपग पर,हर स्थान पर,

हर गली,गाँव, शहर, देश में,संपूर्ण विश्व में... हजारों की संख्या में...

लाखों की संख्या में

रावण, कंस, दुर्योधन, शकुनी मामा,जरासंध, हिरण्यकश्यपू घात लगाकर सत्य को,ईश्वरी सिध्दांतों को समाप्त करने के लिए और आसुरीक सिध्दातों को बढाने के लिए...


बैठे हुए है...


हाहाकारी, उन्मादी,उन्मत्त, मानवता का गला घोटनेवाले,ईश्वरी सिध्दांतों के विरूद्ध हमेशा चलनेवाले,महाभयानक, भयंकर हैवान बैठे हुए है।हैवानियत को बढावा दे रहे है।


तो इसका इलाज क्या है ?

अंतिम इलाज ?

जालिम इलाज ?


मेरे लेखपर मोदिजी, योगीजी, अमीत शाहजी तथा संपूर्ण विश्व के सभी देशों के राष्ट्रप्रमुखों को, जैसे अमरीका में जुयो बाईडन,रशिया में पुतिन, इस्त्रायल, फ्रान्स, आँस्ट्रैलिया, जापान,जर्मनी, इंग्लंड, पोलंड,इटाली....

सभी देशों के प्रमुखों को इस लेखपर गहराई से सोचना होगा।आसुरीक सिध्दातों की भयंकर गती से बढती हैवानियत को रोकने के लिए संपूर्ण विश्व को एक होना होगा।

तेजी से निर्णय लेने होंगे।और एकसाथ सभी देशों को आसुरीक सिध्दांतों के समूल ,संपूर्ण उच्चटन के लिए कठोर निर्णय लेने होंगे।इसके लिए एक सामुहिक रणनीती बनानी होगी।


अपने अपने देशों में हैवानियत रोकने की प्रभावशाली योजना बनाकर, अमल में लानी होगी।


मोदिजी धिरे धिरे यही निती अपना रहे है।

मोदिजी के मनोमस्तिष्क में 

" परकाया प्रवेश " करके यह सभी देखा भी जा सकता है।


भविष्य की जबरदस्त रणनीती सनातन धर्म की वैश्विक जीत के लिए मोदिजी बना ही रहे है।

इसिलिए संपूर्ण वैश्विक ईश्वरी सिध्दांतों पर चलनेवाली सारी शक्तियों को मोदिजी एक ही व्यासपीठ पर लाने की कोशीश कर रहे है।

आसुरीक, हाहाकारी वैश्विक शक्तियों को सदा के लिए समाप्त करने की रणनीती मोदिजी बना तो रहे होंगे।


मगर अपेक्षित गती अथवा अपेक्षित परिणाम मिलने में देरी हो रही है।

हाहाकार भयंकर गती से बढता जा रहा है।


अमरीका में आज अगर डोनाल्ड ट्रंप होते अथवा इस्राएल में नेतान्याहु होते तो शायद....

मोदिजी के कार्यों को गती मिल जाती।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डोनाल्ड ट्रंप, नेतान्याहु की तरह मोदिजी को सत्ता से बाहर हटाने की लगातार कोशीश हो रही है।

मगर मोदिजी के ईश्वरी वरदान के कारण ऐसा होना असंभव है।


शाहीन बाग अथवा किसान आंदोलन उसी अंतरराष्ट्रीय साजीश का हिस्सा था।

मगर मोदिजी ने यह सब आंतरराष्ट्रीय साजीश लिलया समाप्त कर दी।


रशिया में पुतिन के खिलाफ भी यह साजीश अंदर से चल रही है।मगर पुतीन इतने कसे हुए खिलाडी है की,साजीश रचनेवाले धाराशाई हो रहे है।

युक्रेन विवाद पर भी सारे पुतीन विरोधी निष्प्रभ होते नजर आ रहे है।


अब आते है...

रामराज्य की ओर।

संपूर्ण देश में और संपूर्ण धरती पर रामराज्य की संकल्पना केवल ईश्वर भक्तों की अथवा रामभक्तों की नही है।

अथवा नाही सनातनीयों की यह इच्छा है।


बल्की निराकार ब्रम्हशक्ती भी यही चाहती होगी।

ईश्वर भी यही चाहता होगा।

और निराकार ईश्वरी शक्ती किसी मनुष्य को माध्यम बनाकर अपना उद्दिष्ट साध्य भी कर सकती है।


मोदिजी, आपमें से कोई एक अथवा मुझे भी इस पवित्र उद्दिष्ट पुर्ती के लिए  ईश्वर माध्यम बना सकता है।


संपूर्ण धरती पर रामराज्य की संकल्पना।


( संकल्पना तो ठीक है,मगर प्रयास ?...

इसी विषय पर यह लेख का प्रायोजन । )


संकल्पना तो है।

अनेक सनातनी भी चाहते है की,

यह हिंदुराष्ट्र बने।

अथवा अखंड भारत फिरसे बने।

अथवा हिंदुमय विश्व बने।

धरती पर ईश्वरी राज्य हो।

पहले जैसा संपूर्ण पृथ्वी पर सनातन धर्म का आदर्श राज्य हो।


राजा विक्रमादित्य 

अथवा आचार्य चाणक्य ने

यह असंभव कार्य अपनी मेहनत से संभव बनाया था।


क्योंकि....

केवल और केवल सनातन धर्म में ही सभी मानवजाती का,संपूर्ण सजीवों का,पशुपक्षियों का,पेड जंगलों का,कुदरत का संवर्धन और संरक्षण अपेक्षित है।केवल सनातन धर्म में ही सभी के कल्याण की क्षमता है।मानवता की जीत है।

केवल सनातन धर्म।

सत्य सनातन।


क्योंकि सनातन धर्म में ही पूर्णत्व है।

क्योंकि यह ईश्वर निर्मित धर्म है।


और पशुपक्षियों सहीत सभी चौ-यांशी लक्ष योनी,सभी सजीव ईश्वर की ही संताने है।

और सभी में एक ही आत्मतत्त्व के अनुसार ईश्वर का ही अंश है....

यही उदात्त भाव केवल सनातन में ही है।


इसिलिए केवल चोटी रखने वाले अथवा कर्मकांड करनेवाले ही सनातनी होते है...ऐसा मर्यादित अर्थ नही है।संपूर्ण ब्रम्हांड, संपूर्ण सजीव सृष्टि और संपूर्ण चराचर ही सनातन है।ऐसी व्यापकता सनातन में ही है।


मैं भी अनादी अनंत।

तु भी अनादी अनंत।

मैं भी ब्रम्ह।

तु भी ब्रम्ह।

ऐसी उदात्त धारणा सनातन की है।


मुर्ती पूजा करते करते खुद ईश्वर बन जाना,खुद ब्रम्ह बन जाना,खुद व्यापक बन जाना ही सनातन धर्म का मूलाधार है।


अहं ब्रम्हास्मी ...

सो $$ अहम्....

यह परिभाषा भी सनातन धर्म ही सिखाता है।

नर का नारायण और नारी की नारायणी...बनाने की क्षमता

सनातन धर्म में ही है।

अनेक सिध्दीयों का भंडार

अनेक देवीदेवताओं का वरदान

अनेक साधुसंतों का हितोपदेश

अनेक ऋषीमुनी यों का आदर्श

अनेक महापुरुषों का ईश्वरी अवतार कार्य

अनेक अतुलनीय धर्म ग्रंथों का महाभंडार

जन्म मृत्यु का विवेचन, विश्लेषण

मृत्यु के बाद का जीवन

अनेक अद्भुत, अनाकलनीय रहस्यों का संशोधन

अनेक शास्रों का निर्माण...


केवल और केवल सनातन धर्म में ही है।



सभी का आत्मतत्व भी एकसमान....

यह भी सनातन का ही सिध्दांत।

तो भेद कहाँ है ?

भेद है ही नही।

सभी सजीव एक ही ईश्वर की संतान।

क्योंकी हर जीव में आत्मतत्त्व एकसमान।


इसिलिए हमारे आदर्श सनातन की हमेशा यही उच्च कोटी की धारणा होती है की...

मुझमें भी राम।

तुझमें भी राम।

पशुपक्षीयों में भी राम।


इसिलिए हम सभी बडे आदर से सदैव बोलते है....

" रामराम..."

" रामराम..."


तो ?

आगे क्या करना है ?

हर एक व्यक्ती को सनातन संस्कृती का जमकर प्रचार, प्रसार करना है।

सभी को सनातन संस्कृती का महत्त्व बताना है।

सभी को सनातन से,

अपने मूल सिध्दांतों से जोडना है।


विविध माध्यमों द्वारा।

विविध उपक्रमों द्वारा।

समाज जागृती अभियानों द्वारा।


सभी देशों के, सभी भाषाओं में, इसी विषय पर किताबे छपवानी है,सांस्कृतिक फिल्मों का निर्माण करना है।

अखबार,टिव्ही का माध्यम भी अपनाना है।

सर्वव्यापक, सर्वसमावेशक रणनीती बनानी है,अपनानी है।


सभी को सत्य सनातन की महती समझानी है।

सभी ख्रिश्चन राष्ट्रों को,सभी बौध्द राष्ट्रों को,सभी मुस्लिम राष्ट्रों को,

सभी राष्ट्रप्रमुखों को ...

सचेत, जागृत करना है।


सभी को प्रेरीत करना है।

सभी को जागृत करना है।

सभी की आत्मा जगानी है।


" मैं भी राम

तु भी राम...."

यह मूल सिध्दांत सभी को बताना है।


परिणाम मिलेंगे ?


जरूर मिलेंगे।

यह विश्व परिवर्तन की लडाई  है।हम इसे.निश्चित जितेंगे।

जीतकर ही रहेंगे।

क्योंकी परिवर्तन सृष्टि का नियम है।

और परिवर्तन की घडी आरंभ हो चुकी है।


मगर...फिर भी....एक महाभयंकर समस्या है...

रक्तपिपासु, पैशाचिक,नरपिशाचों को ,रक्त पिशाचों को यह बात हजम नही होगी।

कतई नही।

हरगिज़ नही।


सभी की बरबादी,हत्या,डकैती, लूटपाट ,खूनखराबा यही उनके जीवन का अंतिम मकसद है।


सभी की केवल और केवल बरबादी...


यह भी आखिर धर्म कैसे हो सकता है ?


मानवता का,ईश्वरी सिध्दातों का जिसमें लवमात्र भी अंश नही है ?


इसिलिए,

दुष्ट, दुर्जन और साँपों जैसी वृत्तीयों पर भरौसा रखेंगे तो कार्य सफल नही होगा।


चाहे कितना भी प्रयास करें...

कितना भी प्रेम करें...

रक्तपिशाच कभी भी नहीं सुधरेंगे।

यह घात ही करेंगे।

ईश्वरी सिध्दांतों के खिलाफ ही आचरण करेंगे।


दुर्योधन को समझाने के लिए...

कृष्ण शिष्टाई के लिए,

प्रत्यक्ष परमात्मा श्रीकृष्ण गया था....


परीणाम ???


शून्य....

उलटा भगवान श्रीकृष्ण को ही  मारने की भाषा दुर्योधन बोलने लगा।


और मजबूरन परमात्मा श्रीकृष्ण ने दुर्योधन का और ऐसे अनेक उन्मादी, उन्मत्तों का सर्वनाश कर दिया।

मृत्युदंड देकर।


क्या राक्षसों के लिए यही एकमेव अंतिम उत्तर है ?


साक्षात ईश्वर को भी ,साक्षात परमात्मा श्रीकृष्ण को भी ,यह अनुभव आया राक्षसी शक्तियों का।

तो हम कौन होते है ?


इसिलिए आखिर में यही कहता हुं की,


" अगर धरती पर रामराज्य लाना है तो.... ? "


आसुरीक संपत्ती का सर्वनाश किये बगैर यह असंभव है।


और...

ईश्वरी इच्छा के अनुसार...

संपूर्ण पृथ्वी से....

राक्षसी, हाहाकारी, उपद्रवी, उन्मत्त, उन्मादी,उपद्रवी

शक्तियों का सर्वनाश निश्चित रूप से अटल है और नजदीक भी है।


ईश्वर को ही ललकारने वाले उन्मादी सैतानी शक्तियों का सर्वनाश खुद ईश्वर ही करेगा।सावधान तो भगवान कर ही रहा है।मगर उन्मादियों को क्या लेना देना इसपर ?


ईश्वर की मुर्तीयां तोड रहे है...

मंदिर भी तोड रहे है...


तो ईश्वर क्यों और कैसे क्षमा करेगा इनको ?

और कबतक क्षमा करेगा ?

और सचमुच में ऐसी विनाशकारी वृत्तीयां क्षमा करने के योग्य भी है ?


तो साथीयों,

अगर धरती पर सचमुच में रामराज्य लाना है तो....?

रावणवध के सिवाय रामराज्य लाना असंभव है।


चलो रामराज्य की ओर।

चलो सत्य सनातन की ओर।

चलो,

विश्व स्वधर्म.... सुर्ये पाहो....

की ओर...


चलो,

" विश्व स्वधर्म संस्थान "

की ओर।


चलो विश्व कल्याण की ओर।

हरी ओम्...

🙏🕉🚩


【  " कल्कीदूत " 】●●●

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