गोपाला गोपाला रे

 मुझे कुछ मिले न मिले...!!!

( लेखांक : - २०६६ )


विनोदकुमार महाजन

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मुझे कुछ मिले न मिले,

चाहे सुख हो या दुख,

चलेगा !

जहर हजम करना है...

तो भी चलेगा !


मगर,

मेरे सद्गुरु के सिध्दांतों का,

मेरे ईश्वर के सिध्दांतों का,

मेरे कारी का नारायण, बार्शी का भगवंत, पंढरपुर का पांडुरंग, आलंदी का ज्ञानेश्वर...

इन सभी के आदर्श सिध्दांतों का

विजय होना ही जरूरी है !


मेरे ईश्वर पर,मेरे भगवान पर,

कोई उंगली दिखायेगा,

उसे बदनाम करेगा,

ईश्वरी सिध्दांतों को

बदनाम करने की कोशिश भी

कोई करेगा,

तो...

यह मुझे सहा नहीं जायेगा !

बर्दाश्त नही होगा !

मेरी इससे आत्मा तडप उठेगी !


मेरे सद्गुरु को,

मेरे ईश्वर को बदनाम करना,

मतलब सत्य को बदनाम करने

जैसा होगा !


इसीलिए मैं हमेशा ईश्वर को,

यही प्रार्थना करता हुं की,

हे मेरे प्रभो,

मैं मर मिट जाऊं तो भी चलेगा,

मगर तेरा,तेरे आदर्श सिध्दांतों का,तेरे ईश्वरी कानून का,

तेरे ही सत्य सनातन का,

सत्य सनातन धर्म का,

अगर कोई अपमान करेगा,

उसे झूट साबित करने की,

कोई कोशिश भी करेगा,

तेरे ही गौमाताओं को कोई

तडपायेगा...


तो मैं उसे कभी भी क्षमा नहीं करूंगा !


जीवन भर के लिए,

तेरे सिध्दांतों को झूट साबित

करनेवालों के खिलाफ,

लडता रहुंगा, संघर्ष करता रहुंगा !


भगवन् ,

और अगर मैं तेरे लिए ही,

जी रहा हुं तो,

मेरे सिध्दांतों की अंतिम जीत करना,

यह भी तेरा ही दाईत्व है प्रभो !


मेरे लिए नही,बल्कि तेरे आदर्श

सिध्दांतों की जीत के लिए,

मेरे संघर्ष को,

अंतिम जीत तक पहुंचा देना,

यह भी आखिर तेरा ही,

दाईत्व है प्रभो !


और तेरे ही भक्तों की रक्षा करना,उसको ईश्वरी कार्यों में

यश देना,

यह भी तेरा गीता का ही 

वचन है!

जो तुझे पुर्ण करना ही पडेगा !


गोपाला गोपाला रे,

तुझे आना पडेगा,

वचन गीता वाला तुझे,

निभाना पडेगा !


इसीलिए आजीवन,

तेरे सिध्दांतों की,

अंतिम जीत के लिए ही,

लडता ही रहुंगा !


बिल्कुल अकेला !


ईश्वराधिष्ठीत समाज निर्माण के,

तेरे ही कार्यों में तुझे,

मुझको शिघ्र यश देना ही पडेगा !


मेरा सारा जीवन,

तन - मन - धन तेरे ही कार्यों के लिए संपूर्ण समर्पित है !

मेरे सद्गुरु आण्णा के पवित्र

चरणकमलों पर,मेरा आत्मा,बुध्दि, मन,देह

सबकुछ समर्पित है !


हरी ओम्


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