तुम्हारे साथ भयंकर धोखा हुवा है
" तुम्हारे साथ " भयंकर धोखा हुवा है....⁉❓❓❓
( लेखांक : - २०७१ )
विनोदकुमार महाजन
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लेख की गहराई समझो !
शब्दों का गहन अर्थ समझो !!!!
समय बहुत कठिन है !
सर से उपर पानी बह रहा है !
जालीम उपाय, इलाज की सख्त जरूरत है !
बिमारीयाँ अनेक है,और बहुत पुरानी बिमारीयाँ भी है !
कौन..." तुम ???"
कौन..." हम ???"
कौन..." वो ???"
गहराई समझ जाओ !
भयंकर, अतीभयावह षड्यंत्र के साथ...
" तुम्हारे साथ ",
भयंकर धोखा हुवा है...
या धोखा दिया है ???
घात हुवा है,भयंकर बडा विश्वासघात !
" हमें " फँसाया गया है !
किसने ???
एक व्यक्ति ने,केवल " एक मत" के आधार पर,...
" लाठीवाले बाबा "
के संपूर्ण गुप्त सहयोग से....
और संगनमत से....
भयंकर धोखा दिया है हमें !
जिसे हम बडा " संत " समझते थे, वह तो बडा ही फरेबी निकला ! और आधुनिक आसुरों का...गुरू...आधुनिक शुक्रचार्य... ही निकला !
कौन ?
आप तो समझ ही गये होंगे !
" और केवल एक ही मत के आधार पर,सर्वोच्च सत्तास्थान "
हासिल करके,
संपूर्ण " आसुरीक राज्य " का
गुप्त " एजेंडा " बनाया गया !
कितना भयंकर धोका !
कितना भयंकर षड्यंत्र !
भयंकर शातिर दिमाग की सोचीसमझी भयावह और विनाशकारी साजिश !
" हमारे ही "संपूर्ण विनाश की भयावह रणनीति !
" हमारा " अस्तित्व समाप्त करने के लिए,
और..." उनका "
" सैतानी राज्य " लाने के लिए, संगनमत से रची गई भयंकर कुटिल साजिश !!!
बहुमतों द्वारा, ..." सर्वोच्च सत्ता स्थान हासिल करनेवाले को "
एक ही झटके में दूर कर दिया गया !
और " सर्वोच्च सत्तास्थान " का
पद ग्रहण करके,...
" हमें,हमारे आदर्शवादी
सिध्दांतों को " जड से उखाड़ फेंकने की भयावह रणनीति बनाई !
और " आजतक " भयानक तरीकों से उसका अमल किया,बिल्कुल गुप्त एजेंडा चलाकर !
पूरा " खानदान " इसी साजिश के रास्ते पर चलता आया !
आजतक !
सोचो,समझो,जानो,जागो !
उसी " भयंकर सैतानी " निती के तहत आज " हम " चारों तरफ से भयंकर मुसीबतों में
" घिर चुके है ! "
ऐसा " भयंकर जाल,ऐसा भयंकर चक्रव्यूह " बनाया गया है की,
उससे बाहर निकलना ही असंभव हो !
दो " महाठगों की " शातिर चाल,शातिर निती, शातिर दिमाग,भयंकर क्रौर्य !
परिणाम ?
अती भयंकर आज का अराजक !
और " उसी निती का " आज का भयंकर विनाशकारी माहौल !
केवल मुखौटा बदलकर किया गया षड्यंत्र !
कैसे बचोगे ? कहाँ भागोगे ?
भागने के लिए भी जगह नही बची है !
देश बचाने के लिए,आजतक
" अनेक अभिमन्यु "
आगे आयें,मगर
" भयंकर " चक्रव्यूह में फँसाकर मारे गये !
बारबार !!!
अनेक बार !!!
ऐसा सिलसिला चलता रहा !
आजतक !
आजतक ...
ऐसे भयंकर चक्रव्यूह का भेदन करके,सत्य की जीत करने का रास्ता किसीको नही मिला है !
अगर " आज " कुछ नही किया, कुछ नही हुवा, चक्रव्यूह भेदन नही हुवा...
तो....???
भविष्य भयंकर है...
भयंकर अंधकार मय है...
देश के अंदर और देश के बाहर,
चारों तरफ से सैतानी ताकतों ने,
सत्य को संपूर्णता और चारों तरफ घेर के रखा है !
चक्रव्यूह भेदन का आज रास्ता दिखाई नही देता है !इतनी भयंकर आपदाओं की घडी है ये !
" हमारे " हाथों से सबकुछ जा चुका है !और हम " गहरी निंद " में है !
" वह ",
तेजस्वी
" अभिमन्यु " अकेला हमें बचाने की...
जी - जान से कोशिश में लगा हुवा है !
दिनरात !
" वह ...?"
"अभिमन्यु चक्रव्यूह
भेदन की "....
" यशस्वी रणनीति बनाता
भी है "
तो...???
" उसे " घेरने की फिरसे नई रणनीति बनाई जाती है !
" उसके " सारे अस्त्र, शस्त्र
" समाप्त "करके,
" उसे " चक्रव्यूह में फँसाकर समाप्त करने की,
हरदिन...
एक नई साजिश बनती है,
देशविदेशों से...
" सैतानी राज " वालों को
भरपूर मात्रा में " रसद "
पहुंचाई जाती है !
वह " पुण्यात्मा " उनकी
हर एक चाल को नाकाम करता जा रहा है !
मगर ?
कितने दिनों तक यह सिलसिला चलता रहेगा ???
कुछ तो भी,
" भयंकर प्रभावशाली... अंतिम जालिम उपाय तो..."
ढूंडना ही पडेगा !
ढूंढना ही पडेगा !
कितने दिनों तक...?
" सैतानों का यह संपूर्ण विनाशकारी खेल...???"
चलता रहेगा ?
कितने दिनों तक ?
और उपर से...
" हमारे ही "
कुछ बेईमान, नमकहराम, सत्तालोभी, लालची
" जयचंद "...?
" उसे " ...बारबार पिडा देंगे,जाल में फँसाने की शातिर दिमाग से,लगातार कोशिश भी करेंगे ! तो...?
यह सब तो अति भयंकर ही हुवा ना ?
इसीलिए " उसको " अब,
अभिमन्यु नहीं बल्कि,
चक्रधारी श्रीकृष्ण बनकर,
भयंकर हैवानियत की हार...
तो करनी ही पडेगी !
चाहे कुछ भी हो !
साथियों,
सोचो...?
समय बहुत ही महाभयानक है !
यह अस्तित्व की लडाई है !
" हमारे ही " अस्तित्व की लडाई !
चारों तरफ से " सर्वनाश का " विनाशकारी...पानी,
"बहुत अंदर तक " घुस चुका है !
सर से उपर पानी बह चुका है !
शातिर शत्रु केवल
"दरवाजे पर ही " नहीं है, बल्कि
" अंदर भी " घुस गया है !
और हरदिन...
" हमें समाप्त करने की !"
नितदिन नई नई योजनाएं बना रहा है !
" उसका " मकसद केवल और केवल एक ही है...
" कम समय में...संपूर्ण जीत हासिल करना ! "
और...
" हाहाकारी राक्षसी राज्य "
लाना !
" गुप्त एजेंडा के तहत !"
" वह भयंकर शत्रु "
हरपल, हरक्षण,हरदिन...
आगे आगे ही बढ रहा है !
उसकी " अनेक जहरीली योजनाएं "
" वह " प्रभाव से आगे ले जा रहा है !
आजतक का इतिहास साक्ष है की, " वह..."
केवल जीतता ही है ! जीत की प्रभावी रणनीति " उसके पास "
हमेशा तैयार रहती है !
इसीलिए वह हरदिन आगे आगे ही बढता रहता है !
" और हम ? "
" भागमभाग...!!!"
संपूर्ण दुनिया जो...
" उसे जीतनी है !"
और...चारों तरफ राक्षसी राज्य फैलाना है,
" जी हाँ साथीयों !"
यही सच्चाई है !
चाहे कुछ भी करो..." वह " केवल जीतना ही चाहता है !
एक निती बनाकर" वह "
आगे बढ रहा है !
" तुम्हारे पास क्या है ? "
आत्मरक्षा की कौनसी निती
" तुम्हारे पास है ?"
" उसका दाँव, उसकी गहरी साजिश, उसपर ही उलटी पड जाय...."
ऐसी कौनसी प्रभावी निती
" तुम्हारे पास " है ?
कौनसा अस्त्र,शस्त्र तुम्हारे पास है ?
जो तुम्हारी आत्मरक्षा भी कर सकें और सैतानी ताकतों का हर अस्त्र, शस्त्र भी भेद सके ?
और " सत्य " की अंतिम जीत भी कर सकें ???
है कोई ऐसा परिणामकारक,
अस्त्र, शस्त्र ???
तुम्हारे पास ?
जो परमात्मा श्रीकृष्ण की हरपल पूजा करता है,भगवत् गीता का आचरण करता है...
" उसे " असंभव कुछ भी नहीं है !
जरूरत है तीव्र इच्छाशक्ति की !
जरूरत है कठोर निर्णय लेने की,और उसे अमल में लाने की !
हैवानियत की हार के लिए कौनसे कठोर निर्णय लेने पडेंगे...
यह बात तो....( समय बताएगा! )
कठोर कानूनी प्रावधान की ही
आज,
अभी,
सख्त जरूरत है !
सख्त कानून ! कठोर कानून !
जागो साथियों जागो !
अंधकारमय भविष्य को हटाना है तो आज...
" क्लिष्ट मगर प्रभावी,शक्तिशाली आँपरेशन तो करना ही पडेगा !"
करना ही पडेगा !
अन्यथा ???
भयावह परिस्थितियों का सामना करना पडेगा !
सौ बार सोचो !!!
हजार बार सोचो !
समय भयंकर कठिन है !
हरी ओम्
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[ सौ में से केवल दो लोगों को भी मेरा मनोगत समझ सका तो...?और ..." उस देवदूत तक " मेरा यह अत्यंत महत्वपूर्ण संदेश पहुंच गया तो...
खुद को सौभाग्यशाली समझूंगा ! ]
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