पिशाच परकाया प्रवेश कैसे करते है ?

 पिशाच्च, परकाया प्रवेश कैसे करते है ?

( लेखांक : - २०९२ )


विनोदकुमार महाजन

-----------------------------------

संपूर्ण ब्रम्हांड अनेक आश्चर्यकारक तथा अनेक चमत्कारिक घटनाओं से भरा है !

दृश्य, अदृश्य शक्तियों का मनोहारी मिलन !

और इसकी विज्ञान के कसौटी पर संपूर्ण सत्य खोज करनेवाला, अद्भुत, अनाकलनीय वैदिक सनातन हिंदु धर्म !

अनेक दिव्य पुरूष, ऋषीमुनियों द्वारा ब्रम्हाण्ड के अनेक अकल्पनीय रहस्यों का अपनी दिव्य तथा अतींद्रिय शक्तियों द्वारा, विवेचन, विश्लेषण किया गया है !अनेक बार !


पंचमहाभूतों का दृश्य देह और अदृश्य आत्मा का सुंदर मिलन मतलब सभी सजीव प्राणी !

जिसे चौ-यांशी लक्ष योनियों में विभाजित किया गया है !

उसमें अनेक भव्यदिव्य देह तो, अनेक सुक्ष्म अतीसुक्ष्म जिवजंतू !


इसीमें से एक आश्चर्यजनक अदृश्य योनी....

पिशाच्च योनी !


क्या सचमुच में पिशाच्च होते है ?


जिसे अनेक दिव्य शक्तियां, अतींद्रिय शक्तियां, अनेक सिध्दीयाँ प्राप्त हो गई है...

ऐसे अनेक दिव्य देहधारी व्यक्ति पिशाच्च देख सकते है,उसके साथ संवाद भी कर सकते है !

और अनेक पिशाचों को भयंकर नारकीय यातनाओं से मुक्ति देकर, पिशाच्च योनियों से मुक्त भी कर सकते है !


मेरे खुद के पिशाचों के बारें में अनेक आश्चर्यजनक अनुभव है !


श्रद्धा और अंधश्रध्दा इस विवाद में न पडकर, अपनी आत्मानुभूति जब जागृत होती है तब...अनेक ईश्वरी दिव्य अनुभुतीयाँ तथा दिव्यत्व की प्रचिती आती है !

सश्रद्ध भाव से ईश्वर को संपूर्ण समर्पित भाव से शरण जाने से ही...संपूर्ण ईश्वरी कृपा का वरदान और उसीके द्वारा अनेक आश्चर्यजनक आत्मानुभुतीयां हमें प्राप्त हो सकती है !


अहंकार यह आध्यात्मिक प्रगति में भयंकर बडा अवरोध है !


जबतक मन में आशंकाएं है और अश्रध्द भाव मन में रहते है,तबतक ईश्वर से और ईशत्व से एकरूपता असंभव है !


शंकित ,तथा अश्रध्द मन अनेक समस्याओं का निर्माण करता है और खुद के प्रगति में बाधक बन सकता है !


इसीलिए सावधान !!!


अब देखते है,पिशाच्च परकाया प्रवेश कैसे करते है ?

सबसे पहले आपके मन का एक प्रश्न ...!

क्या सचमुच में पिशाच्च होते है...?

उत्तर.... जी हाँ !


इसका विश्लेषण अनेक धर्म ग्रंथों में किया गया है ! और इसी विषय पर अनेक बार विस्तृत विवेचन ,संशोधन भी किया गया है !


विज्ञान आत्मा सिध्द नहीं कर सकती ! मगर आध्यात्म जरूर आत्मा का विश्लेषण करता है !

इसिलिए आध्यात्म को पूर्णत्व भी प्राप्त है ! आध्यात्म में सभी प्रश्नों के उत्तर भी मिलते है ! और संपूर्ण मानवसमुह और संपूर्ण सजीवों के कल्याण की परीभाषा भी आध्यात्म में मौजूद है ! 


आद्य - आत्मा !


और आध्यात्म का संपूर्ण सटीक ज्ञान केवल और केवल सनातन धर्म में ही संभव है !

आत्मा से लेकर, परमात्म तत्त्व और संपूर्ण ब्रम्हांड का विस्तृत विवेचन, विश्लेषण सनातन धर्म का आध्यात्म ही सिखाता है !

इसिलिए संपूर्ण विश्व में केवल सनातन धर्म ही अंतीम सत्य है,जो निरंतर ईश्वरी सिध्दांतों से जूडा रहता है !


युगों युगों से... युगों युगों तक !!!


इसिलिए इसे ही केवल पूर्णत्व प्राप्त है !

अधूरे ज्ञान वाले,और आसुरीक सिध्दांतों वाले, चाहे कितने भी सनातन को पत्थर मारें...

आखीर अंतिम सत्य तो सनातन धर्म ही है !


संपूर्ण मानव समूह का संपूर्ण कल्याण इसी धर्म में ही संभव है !!!


अब देखते है,

पिशाच्च !!!

भूत,वर्तमान,भविष्य का अद्भुत ज्ञान ! और भयंकर तडपती हुई अदृश्य आत्मा !

ईश्वर के सिवाय किसी के वश में नहीं रहनेवाली अकल्पनीय अदृश्य योनी !


मंत्र शक्ति द्वारा पिशाचों को वश में करके अनेक भले,बुरे कार्य मांत्रीकों द्वारा किये जाते है !

स्मशान साधना में ऐसी अनेक सिध्दीयाँ प्राप्त की जा सकती है !

मगर कुछ दांभिक व्यक्ति, धन लालच में,लोगों को डरा धमकाकर ,लोगों को भ्रमित करके फँसाते रहते है ! और ऐसे अनेक भोंदुगीरी करने वाले आज समाज में मौजूद है...जिनकी वजह से सत्य परेशान भी होता है और बदनाम भी होता है !

और नास्तिक लोगों को इसी कारण से, सनातन धर्म को बदनाम करने का मौका भी मिलता है !


अमावस्या और स्मशान में,ऐसी शक्तियां अधिक प्रभावशाली रहती है ! 

किसी व्यक्ति की दुर्घटना के कारण अकाल मृत्यु होती है तो...ऐसे व्यक्यियों की आत्मा तडपती रहती है,और उसी व्यक्ति को गती नहीं मिलती है...और ऐसी आत्माएं अदृश्य रूप में,भ्रमण करती रहती है !

इसको पिशाच्च कहते है !


पिशाचों में भी अनेक प्रकार होते है ! और कभी कभी ऐसी आत्माएं चित्र विचित्र देहधारण भी कर सकती है !

अकस्मात प्रकट होना तथा गायब होना, ऐसी योनियों को विशेष वरदान प्राप्त होता है !


अनेक पिशाच्च उपद्रवी भी होते है,तो कुछ पिशाच्च कल्याणकारी भी होते है और हमारी सहायता भी कर सकते है !


एक सहायक पिशाच्च का मेरा अनुभव भी अद्भुत है !


पिशाचों के रास्ते से कोई दिव्य देहधारी व्यक्ति जा रहा होता है...तो...ऐसी अतृप्त आत्माएं दूर भाग जाती है !

मगर कोई साधारण व्यक्ति इनके रास्तों से गुजर रहा होता है...तो...ऐसी आत्माएं तुरंत उस साधारण व्यक्ति के देह में आसानी से परकाया प्रवेश करती है,और साधारण व्यक्ति के मनोमस्तिष्क पर तुरंत कब्जा जमाकर, उस व्यक्ति को अपने इच्छा अनुसार आचरण करने को बाध्य करती है !


ऐसे अनेक उदाहरण हमें समाज में देखने को मिलेंगे !


जिस व्यक्ति के देह में ऐसी अतृप्त आत्माएं प्रवेश करती है..उसे लागीर अथवा झपाटलेला कहते हे !

लागीर व्यक्ति खुद का संतुलन खो बैठता है ! और पिशाचों जैसा भयंकर, भयानक, उन्मादी आचरण करता रहता है !

परिवार वाले भी ऐसे व्यक्ति के भयंकर आचरण से सदैव परेशान रहते है !

उसे पागल कहकर परेशान करते है !


गाणगापुर में अगर हम जायेंगे तो ऐसे अनेक आश्चर्यचकित करनेवाले अनुभव हमें दिखाई देंगे !


खडतर ईश्वरी उपासना अथवा गुरू दत्तात्रेय की उपासना द्वारा ऐसे भयंकर मुसीबतों से छूटकारा मिल सकता है !

अथवा कोई दिव्य देहधारी व्यक्ति भी ऐसे भयंकर परेशानियों से मुक्ति दिला सकते है !

मगर ऐसे व्यक्ति लाखों - करोड़ों में एक होते है ! और सदैव गुप्त रूप से भ्रमण करते रहते है !


जालीम मांत्रिक भी पिशाचों को वश में करके,ऐसे बूरे कर्म कर सकते है ! और अनेक व्यक्यियों का,परीवार का जीवन भी बर्बाद कर सकते है !

आज के भयंकर उन्मादी कलीयुग में दुष्टों की संख्या जादा होने के कारण,निजी स्वार्थ,धनलालचा, जलन, अहंकार की वजह से ऐसे अनेक व्यक्ति अनेक परिवार उध्दस्त भी कर सकते है !


सद्गुरु के चरणों में अथवा ईश्वर के संपूर्ण शरण जाने से,कठोर तपश्चर्या से ऐसे भयानक विनाशकारी विपदाओं से छूटकारा भी मिल सकता है !


निरंतर प्रयास की इसमें जरूरत होती है !


भविष्य में मैं जब इसी विषय पर आधारित विस्तृत किताब लिखूंगा तो मेरे खुद के सैकडों अनुभव,इसी विषय में हजारों अनुभव मैं विस्तार से लिख सकूंगा ! 

समय सीमा के कारण इस लेख में विस्तार से लिखना संभव नहीं है !


अनेक दुखितोंको को जीवन में आधार मिलें और उन सभी का जीवन संपूर्ण सुखमय हो,सभी के जीवन का दुखों का अंधीयारा समाप्त होकर,उसे सभी सुखों की नई रौशनी मिलें,

सत्य की,ईश्वरी सिध्दांतों की और सत्य सनातन धर्म की अंतिम जीत हो,

यही मेरे जीवन का उद्देश्य है और उसी दिशा में मैं लगातार प्रयत्नशील भी हुं !


मेरे जीवन में मैंने जो भयंकर जहर हजम करने का दुर्दैव मुझे प्राप्त हुवा था,ऐसा दुर्दैव किसी दुसरों के जीवन में ना आयें,किसी सत्पुरुषों के नशीब में ना आयें,

यही मेरी सर्वशक्तिमान ईश्वर के पवित्र चरणकमलों पर,प्रार्थना है !


अनेक सालों तक विनाषकारी अंधकार का सामना करते करते,मेरे सद्गुरु आण्णा के कृपा से जो प्रकाश हासिल किया है, जो ईश्वरी वरदान और शक्तियां मैंने प्राप्त की है,उन सभी का उपयोग, सनातन धर्म की जीत और संपूर्ण सजीवों सहित संपूर्ण वैश्विक मानव का अखंड और परमकल्याण यही मेरे जीवन का अंतिम उद्देश्य भी है !


संपूर्ण विश्व से हाहाकारी, उन्मादी,विनाषकारी, राक्षसी शक्तियों का संपूर्ण नायनाट हो,और सत्य की,सत्यवादीयों की अंतिम जीत हो...

इसीलिए मेरा यह छोटासा पंचमहाभूतों का देह संपूर्ण समर्पित है !


प्रभुकार्य का छोटासा प्रयास प्रभुचरणों में समर्पित !


हरी ओम्


🙏🕉🕉🕉🚩🚩🚩

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र