रिटायरमेंट

 *रिटायरमेंट ?* 

✍️ २६०४


🚩🚩🚩🚩🚩


हमारी ड्यूटी आखिर क्या है ?

नोकरी धंदा करना ?

चार पैसे कमाना ?

ऐशोआराम की जींदगी बिताना ?

शादी करके चार बच्चे पैदा करना ? और आखिर मर जाना ?

क्या यही हमारी ड्युटी है ?


नही !

हरगीज नही !

ना ही हम सभी केवल इसी छोटेसे कार्य के लिए धरतीपर आये है !

बल्की ईश्वर ने ही हमें बहुत ही महान उद्देश से धरती पर भेजा है !

महत्वपूर्ण ड्युटी करने के लिए !

जी हाँ !

और मनुष्य जन्म का उद्देश भी यही है !

नही तो ?

किडे मकौडे जैसे जन्म लेते !

निरर्थक !

और एक दिन मर जाते !

फिर अगला कुछ ऐसा ही जन्म लेकर !


तो आखिर हमारी असली ड्युटी क्या है ?

हमारी , हम सभी की ड्युटी है , सनातन हिंदू धर्म की धरतीपर आखिरी और अंतिम जीत करना !


क्योंकी वैदिक सनातन हिंदू धर्म ही ईश्वर निर्मित है !

और इसकी जीत के लिए ही स्वयं ईश्वर ने ही हमें स्वर्ग से धरतीपर भेजा है !

यही हमारी असली ड्युटी भी है !


और हमारी ड्यूटी पूरी होने के बाद , रिटायरमेंट के बाद , हमारा मूल घर....स्वर्ग को वापीस लौटके जाना !

तबतक सनातन के लिए ही लडते रहना !


क्योंकी यह मृत्यलोक है !

यहाँपर कोई स्थाई वास्तव्य करने के लिए नहीं आता है !

हर एक का मृत्यु अटल है !


तो फिर क्यों हम व्यर्थ जीवन गवाँ रहे है ?

क्यों इधर उधर भटक रहे है ?

क्यों चार पैसों के लिए और झूठी मोहमाया में फँसकर व्यर्थ का जीवन गवाँ रहे है ?


मनुष्य जीवन का मूल और मुख्य उद्देश समझो !

यह सब मायावी जीवन ही अश्वासत है !

और ईश्वर का कार्य करना , हिंदू धर्म का कार्य करना , सनातन धर्म का कार्य करना ही शाश्वत जीवन है !


याद करो वीर शिवाजी !

याद करो धर्मवीर संभाजी !

पृथ्वीराज चौहान , महाराणा प्रताप , गुरूगोविन्द सिंह

जैसे अनेक ईश्वर तूल्य महापूरूषों का जीवन !


तो हम क्यों व्यर्थ जीवन जी रहे है ? क्यों व्यर्थ किडे मकौड़े जैसा जीवन बीता रहे है ?


जीवन चाहिए तो भव्यदिव्य ! ईश्वरी कार्य के लिए ! धर्म कार्य के लिए !

सनातन धर्म की अंतिम जीत के लिए !


जागो मोहन प्यारे !

जीवन का उद्देश समझो !

आँखें खोलो !

जागो , जानो ,समझो , पहचानो !


आखिर रि - टायरमेंट के बाद , हम सभी , स्वर्ग को वापीस जायेंगे तो ? भगवान को क्या मूंह दिखायेंगे ?

जब भगवान हमें पुछेगा की ,

तुझे किडे मकौड़े बनाकर मैंने तुझे धरती पर नही भेजा था !

बल्कि विचारशील मनुष्य बनाकर तुझे भेजा था !

फिर भी तुने स्वर्थांध होकर व्यर्थ जीवन बिताया ?

व्यर्थ जीवन गवायाँ ?


तब क्या उत्तर देंगे ?

आखिर किडे मकौड़े जैसा व्यर्थ जीवन जीना है या फिर हिंदुत्व के लिए ही जीना है ?

यह आपके हाथ में है !


च्वाईस अपनी अपनी !

पसंद अपनी अपनी !

ईश्वर थोडे ही सख्ती करता है ?


मगर फिर भी ईश्वर को हिसाब किताब तो एक दिन देना ही पडेगा बंदे !

तो ?

क्यों व्यर्थ जीवन गवाँ रहे हो ?


चलो उठो हिंदुत्व का कार्य , ईश्वर निर्मित सनातन का कार्य आगे बढाते है !

तेजस्वी ईश्वर पूत्र बनकर

धरती पर , सनातन धर्म का

सूर्योदय , भाग्योदय करते है !


चल उठ प्यारे ,

सनातन धर्म के लिए

खुद का संपूर्ण जीवन ही झोंक देते है !

जीवन सार्थक करते है !

ईश्वर को आनंदित करते है !


।। विश्व स्वधर्म सूर्ये पाहो ।।

【 पसायदान 】


!! जय श्रीकृष्ण !!

!! हरी ओम् !!


🕉🕉🕉🕉🕉


 *विनोदकुमार महाजन*

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