चमत्कार

 *मुसीबतें और ईश्वरी* *चमत्कार !!* 

✍️ २६००


लगभग हर एक के जीवन में

कभी कभी मुसिबतों की

आग और गहरे मुसिबतों का

अंधेरा इतना भयंकर घना होता है की , लगता है , अब सबकुछ समाप्त हो गया है !

तभी ईश्वर ऐसे भयंकर समय में ऐसी अदृश्य शक्तीयाँ भेजता है की , मुसिबतों की आग भी थम जाती है , मुसीबतों का घना अंधेरा भी हट जाता है ,

और हमें नया जीवन प्राप्त हो जाता है !


ऐसी अद्भुत घटनाओं को देखकर हम भी अनेक बार हैरान रह जाते है !


यही ईश्वर की अदृश्य रूप से की गई सहायता होती है !


फिर भी कुछ मूर्ख लोग पुछते है की ,

ईश्वर कहाँ है पहले दिखाओ

फिर हम विश्वास करेंगे !


अनेक बार ईश्वर दिखाई नहीं देता है , मगर उसकी दिव्य अनुभूति जरूर महसूस होती है !


अनेक बार ऐसी भी अद्भुत घटनाएं होती है की ,

कोई आदमी बीमार है , हाँस्पिटल में बेडपर पडा है और आखिरी साँस ले रहा है , घरवालों ने और डाँक्टर ने भी उसके जीने की आशा छोड दी है....तब इसे सिरिअस कहते है...

और कोई आश्चर्यजनक चमत्कार हो जाता है और वह व्यक्ति बच जाता है !

और आश्चर्य से उसका आनंदी जीवन भी आरंभ हो जाता है !

तब रिश्तेदार कहते है की ,

इसका पुनर्जन्म हुवा है !


है ना ?


और अगर हमारी सच्ची श्रद्धा , भक्ति और ईश्वर के प्रति प्रेम है तो ईश्वर साक्षात साकार रूप में दिखाई भी देता है !

मगर उसे पहचानने के लिए

हमारे पास ऐसी शक्ति भी होनी चाहिये !


अनेक बार , अनेक रूपों से , विविध रूप धारण करके , हमारे सामने ईश्वर प्रत्यक्ष खडा होता है , मगर उसे पहचानने में हमारी आँखें और हमारा कर्म कमजोर होता है !


अनेक बार , कुछ दिव्य देहधारी व्यक्ति हमारे सौभाग्य से , हमारे आसपास , गुप्त रूप से रहते है ! मगर उसे पहचानने में भी हम असमर्थ होते है !

शायद , ईश्वरी इच्छा से ही ऐसा व्यक्ति , हमारे सौभाग्य से , हमारा भाग्य बदलने के लिए भी आता है , मगर हमारा कर्म ही सोया हुआ रहता है , और इसी कारण , उस महात्मा को हम नहीं पहचान सकते है !


अनेक बार , हमारा उल्टा कर्म और कलियुग का उल्टा प्रभाव के कारण अच्छे और देवतूल्य व्यक्ति भी बूरे लगने लगते है और बूरे लोग अच्छे लगने लगते है !


इसी उल्टे प्रभाव के कारण ही संस्कृति का भयावह अध:पतन दिखाई देता है !

इसिका एक भाग यह भी है की , आदर्श ईश्वरी सिध्दांतों का अस्वीकार और आसुरीक गुणों का स्विकार , उसी गुणों का महिमामंडन !


अनेक बार मुसिबतों की भयंकर घडी में , हमें ऐसा व्यक्ति सहायता करता है और भयंकर मुसिबतें भी टल जाती है, और वह व्यक्ति गायब भी हो जाता है ,


तब हम भी हैरान रह जाते है ! और मन ही मन यह भी कहते है की ,

यह कोई देवदूत ही था , जो मुझे बचाने के लिए आया था , या ईश्वर ने ही भेजा था !


और मन ही मन उपर देखकर , दयालु ईश्वर का आभार व्यक्त करते है !

और उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते है !


आखिर अनुभव अपना अपना , और अलग अलग भी होता है !


जितनी श्रद्धा प्रबल होती हैं ,

उतनी अनुभूतीयाँ भी मिलती रहती है !


मेरा खुद का जीवन भी अनेक दिव्य अनुभूतीयों से और अनेक चमत्कारिक घटनाओं से ही भरा पडा हुवा है !

बचपन से लेकर आजतक !


मुझे हमेशा , निरंतर ऐसी अद्भुत , दिव्य और अदृश्य शक्तियाँ बारबार सहायता करती रहती है , ऐसी दिव्य अनुभूतीयाँ मुझे बारबार मिलती रहती है !

मैं खुद भी अनेक बार आश्चर्यचकित रह जाता हूँ !


सोच बडी और अच्छी रखेंगे तो , सबकुछ मंगल ही होगा !

विनाशकाल सामने दिखाई देने पर भी , उसके बाद , नया जीवन भी आरंभ होगा !

यही ईश्वर की अगाध लीला है !


ईश्वर पर भरौसा रख बंदे ,

सबकुछ ठीक ही होगा !


इसीका नाम जीवन है !

अनेक आश्चर्यजनक घटनाओं का हमारा जीवन है !


हरी बोल प्यारे !!


 *विनोदकुमार महाजन*

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