कैसा लगा

 *चाहे कुछ भी* 

✍️२५८७


🤔🤔🤔🤔🤔


चाहे कुछ भी होने दो

कितने भी हिंदू तडपतडपकर मर रहे हो

देवीदेवताओं का विडंबन किया जा रहा हो

साधुसंतों को बदनाम ,बरबाद किया जा रहा हो


मुझे आखिर इससे क्या लेनादेना ?


चाहे कितना भी संस्कृती भंजन होने दो

धर्म की हानी होने दो

सत्पुरूषों की , महापुरूषों की बदनामी होने दो


आखिर इससे भी मेरा क्या लेनादेना ?


जी हाँ

सच कहता हूं

मैं हिंदू हूं !

मैं हिंदू ही हूं !

संवेदना शून्य

आत्मा मरा हुवा

मुर्दाड मन से जीनेवाला

मैं एक हिंदू हूं !


मैं तो मरा हुवा हूं

चैतन्य शून्य भी हूं


मरे हुए मन से निचे मुंडी करके जीनेवाला

मैं हिंदू हूं !


तेजोहीन , स्वाभिमान शून्य , लाचार

मैं एक हिंदू हूं !

और हर जगहों से भागना मेरी आदत है !


अफगानिस्तान भी गया , पाकिस्तान भी गया , बांग्लादेश भी गया , 

बर्मा - श्रीलंका भी गया !

आखिर इससे मेरा लेनादेना ही क्या है ?


चाहे कुछ भी

कितने भी निष्पाप हिंदू मरने दो , कितनी भी भयंकर धर्म हानी ह़ोने दो

आखिर इससे ही मेरा क्या लेनादेना ?


मैं तो मस्त हूं

पैसा कमाने में

ऐशोआराम करने में

विदेशों में जाकर बडी बडी नौकरीयाँ करके खूब पैसा कमाने में मस्त हूं !


खावो पिवो ऐश करो के

दृढ संकल्प से मैं निरंतर , नितदिन बंधा हुआ हूं !

आखिर मुझे धर्म से , देवीदेवताओं से भी क्या लेनादेना ?


मैं तो अपनी दुनिया में मस्त हूं ! अपनी ही दुनिया में दिनरात व्यस्त भी हूं !


कौन होते है यह पागल हिंदू ? जो हमें दिनरात जागने का संदेश देते है ?

हमारा जीवन ही ऐसे मुर्ख हिंदू क्यों बरबाद करते है ?


कौन होते है आखिर तुम हमें तत्वज्ञान सिखाने वाले ?

आखिर क्या संबंध है तुम्हारा हमारा ?


हम सोये रहे या जागते रहें ,

हमारा , हमारे अगले पिढी का भविष्य आखिर कैसा भी हो !?


आखिर तुम्हारा इससे क्या लेनादेना ?

व्यर्थ ही हमारा दिन खराब करते हो ?


हिंदू धर्म , हिंदू संस्कृति और सारे हिंदू गये भाड में ,संस्कृति, सभ्यता, मानवता के पाठ आखिर हमें ही क्यों सिखाते हो ?

और इससे भी हमारा क्या लेनादेना ?


कोई नामशेष हो अथवा मर भी जाये तो हमें इससे क्या लेनादेना ?

संस्कृती बचाने के पाठ आखिर हमें ही क्यों देते हो ?


चुपचाप हमें भाईचारा निभाने दो , पैसा कमाने दो , ऐशोआराम की जींदगी जीने दो ! आखिर तुम होते ही कौन हो हमारे जीवन में टाँग अडानेवाले ?


मुर्ख और पागल लोग कहिके ?

धर्म धर्म करने वाले दिशाहीन और असभ्य लोग ?

दिनरात चिल्लाते रहते है और हमारा समय ही बरबाद करते रहते है ?


❌❌❌❌❌


कैसा लगा पढकर साथीयों ? अच्छा लगा ना ?

लगभग यही हाल है ? हमारे समाज का ?

हमारे ही बंधुओं का ? जीनका जीवन सुरक्षित करने के लिए हम दिनरात प्रयास करते रहते है ?

इनकी अगली पीढ़ी का जीवन , भविष्य खुशहाल करने के लिए ,  हमेशा मेहनत करते रहते है ?


तो ? सर्पों को दूध पिलाने से भी क्या फायदा ?

चाहे स्वर्ग का अमृत भी ऐसे नतदृष्ट लोगों को पिला देंगे , इन्हें नवसंजीवनी देने का अखंड प्रयास करते रहेंगे ?

तो भी ? क्या फायदा ?

और अगर ऐसे ही लोग बहुसंख्या में होंगे तो ?

आखिर इसका इलाज भी क्या है ?

निरूत्तर हो गये ना ?


इतना ही नहीं

ऐसे ही लोग ?

अधर्मीयों के कंधे को कंधा मिलाकर , उल्टा हमारे ही बरबादी का दिनरात प्रयास करते रहते है तो ?

दिमाग को झटका तो लगेगा ही ना ?


❌❌❌❌❌


एक तो बाहर के भयंकर , जालिम शत्रु

और हमारे ही अंदर के जहरीले आस्तिन के साँप ?


तो कैसे धर्म बचाओगे ?

कैसे धर्म ग्लानि हटाओगे ?

कैसे नवसमाज निर्माण करेंगे ? कैसे हर एक के अंदर नवसंजीवनी भरेंगे ?

कैसे उनका आत्मा जगाओगे ? कैसे उनके अंदर चैतन्य भरेंगे ?


और मुर्दाड मन के समाज में , समुह में रहकर भी क्या फायदा ?

भयानक ही नहीं भयावय धर्म संकट होने के बावजूद भी , ऐसे विघ्न संतोषी लोग , हमें ही पिछे धकेलते है ,

हमारे ही विरूद्ध भयंकर षड्यंत्र रचाते है तो ?


आखिर इसका रामबाण और अंतिम उत्तर भी क्या होगा ?

क्या उत्तर होगा ?


दयनीय सामाजिक स्थिति ?


ऐसे भयावय समय में भी समर्पक उत्तर है !

जरूर है !

चाहे कितना भी भयावय समय चलने दो...

आखिर ईश्वरी सिध्दांत कभी भी हारते नहीं है !

बल्कि कौनसे भी भयावय समय में भी आखिर जीतते ही है !


इतिहास साक्ष !


शायद....?

ऐसे ही कृतघ्न लोगों पर रामजी का भी भरौसा नहीं था ? इसीलिए रामायण काल में , धर्म युध्द के समय में , विष्णु अवतारी खुद रामजी ने भी मनुष्यों की सहायता नहीं ली ?

बल्कि बानरसेना बनाकर , उनमें भी चैतन्य भरकर ,

धर्म युध्द तो जीत ही लिया !


ऐसा होता है....

अवतार कार्य !!

लाख मुसिबतों में भी हार ना मानकर , सत्य की अंतिम जीत कर देनेवाला , अद्भूत ईश्वरी कार्य !!


खैर ,

जीन्होने लेख आखिर तक पढा उनका आभार ! जीन्होने नहीं पढा उनका भी आभार !!


जय श्रीकृष्णा !!


🚩🚩🚩🚩🚩


 *विनोदकुमार महाजन*

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