अदृश्य जगत

 *क्या तंत्र से जीवन* *बरबाद हो सकता है ??*

✍️ २७३४


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तंत्र मार्ग...एक जबरदस्त शक्तिशाली अदृश्य शक्तियों का अदृश्य जगत...!


क्या सचमुच में ऐसी तांत्रिक शक्तिमान और अदृश्य क्रियाएं होती है ?

जी हाँ !


जैसे ?

हमारा आत्मा अदृश्य है , हमारी श्वास भी अदृश्य है , इसी प्रकार से ब्रम्ह शक्तियां भी अदृश्य है , जिसे निराकार ब्रम्ह भी कहते है !


क्या तांत्रिक क्रियांओं द्वारा मनुष्य जीवन में असंभव को संभव में बदला जा सकता है ?

जी हाँ !


क्या तंत्र मार्ग वास्तव में होता है ?

जी हाँ !


स्मशान विद्या यह एक तंत्र मार्ग की महत्वपूर्ण शाखा है !

मंत्र शक्तियों द्वारा भूत , पिशाच्च , प्रेतों को वशीभूत करके , अनेक प्रकार के अच्छे बूरे कार्य किए जाते है !


क्या मैंने खुद कभी भूत देखे है ?

जी हाँ !

और मैंने ईश्वर भी देखा है !


तो यह अदृश्य शक्ती होकर भी दृश्य में कैसे दिखाई देती है ?

कुछ समय के लिये पंचमहाभूतों का आधार लेकर अनेक चित्र विचित्र प्रकार के आकार धारण करना !


क्या किसीका जीवन तांत्रिक क्रियांओं द्वारा बरबाद किया जा सकता है ?

जी हाँ !


अदृश्य शक्तियों द्वारा किए गये अदृश्य कार्य इसका प्रमाण है !


कैसे ?

किसी का हंसता खेलता जीवन अचानक बरबाद हो जाना !

जबरदस्त चल रहा धंदा अचानक बैठ जाना !

घरेलू विवादों से संपूर्ण घर परीवार बरबाद हो जाना !

घर में अनेक सदस्यों को अनेक बिमारीयों के साथ अनेक सालों तक जूंझते रहना !

आर्थिक परेशानीयों का निरंतर सामना करना !

कोर्ट कचहरी के मामले बढना !


मन निरंतर बेचैन अस्वस्थ रहना !

बूरे सपने आना !

सपनों में भूत पिशाच्च,सांप बिच्छू दिखाई देना !

निरंतर पागलों जैसी हरकते करना !

असंबद्ध बडबड करते रहना !

हमेशा मन अशांत रहना अथवा हमेशा लडाई झगडे की भावना रखना !


ऐसे अनेक प्रकार के अनेक कारण हो सकते है जो साबित करते है की , जरूर कोई तांत्रिक क्रियाएं कर रहा है !


विशेषतः अमावस्या और पौर्णीमा को जादा तकलीफे बढना !

अनेक बार अपघात होना !


साथ में ग्रहदशा का प्रभाव है तो और भी परेशानियां बढती रहती है !

पितृदोष , पुर्वजों का शाप , कालसर्प योग होगा तो ? अतिभयावह जीवन !


मृत्यू भी अच्छी लगने लगती है !


कितना भी जप तप करें , कोई फायदा या प्रभाव दिखाई नहीं देता है ?

तो तांत्रिक ऐसे समय में देवता बंधन भी करते है !


कलियुग में सात्विक साधना अथवा सात्विक मंत्र साधना से शक्तिशाली तंत्र साधना होती है !


तंत्र साधना अच्छे और बूरे कर्मों के लिये भी की जाती है !


अघोरी साधू , नागा साधू , नाथपंथी साधू तांत्रिक क्रियांओं के लिये माहीर समझे जाते है !


मगर आज की घडी में तांत्रिक भोंदू साधू बनकर ठगने का धंदा भी बहुत तेज है !

ऐसे ही लोगों के कारण सच्चे साधू बदनाम होते है !


असली तांत्रिक साधू बहुत विरला होते है !

जो समाज से दूरीयां बनाकर रहते है !


पिशाच्च भी अच्छे और बूरे दोनों प्रकार के होते है !


जीवन बरबाद करनेवाली अदृश्य तांत्रिक क्रियांओं का कोई इलाज भी है या नहीं ?


है इलाज जरूर है !

इसके लिए असली तांत्रिक साधू ही चाहिए !

और उसकी भी पहचान होनी चाहिए !


तंत्र को केवल शक्तिशाली तंत्र ही काट सकता है !

और नवनाथ सांप्रदाय अथवा नाथपंथी साधू जो होते है यही इसकी असली काट होती है !


क्योंकी नाथपंथ केवल और केवल विश्व कल्याण के लिये ही कार्य करता है ! और इसके तंत्र और मंत्र की शक्तियों को देवीदेवताओं का भी वरदान है !

और नवनाथ चिरंजीव होने के कारण आज भी अदृश्य रूप से संपूर्ण धरती पर जनहितार्थ भ्रमण करते रहते है !


गुरू दत्तात्रेय की उपासना भी तांत्रिक क्रियांओं को समाप्त करने के लिये महत्वपूर्ण होती है !

क्योंकी गुरू दत्तात्रेय ने ही नवनाथों को वरदान दिया हुवा है !


दत्त उपासना से संपूर्ण जीवन भी बदल सकता है !

मगर गुरूकृपा के बिना दत्त कृपा भी असंभव होती है !

इसिलिए हर एक के जीवन में सद्गुरू की आवश्यकता होती है !


मेरे सद्गुरू आण्णा ने मुझसे खडतर तपश्चर्या करवाकर ,प्रत्यक्ष गुरू दत्तात्रेय की कृपा मुझपर की गई है !

जो वैश्विक कार्य तथा वैश्विक सनातन संस्कृती को विश्व के कोने कोने में पहुंचाने के लिये महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी !


और यह वैश्विक कार्य का दौर भी आरंभ हो गया है !


मेरे सद्गुरू आण्णा की कृपा से संपूर्ण ब्रम्ह ज्ञान और गुह्य ज्ञान मुझे प्राप्त हो गया है !


इसिलिए मेरा जीवन भी अब...👇👇👇 ऐसा ही बन गया है...


*महासिध्दयोगी हूं मैं !!* 

मेरे सद्गुरू आण्णा ने मुझे 

महासिध्दयोगी बनाया !

जहाँ भी मैं जाऊंगा , जहाँ भी मेरे पैर लगेंगे , वहां सब का कल्याण होगा , परम मंगल ही होगा !

किसी को दूरसे भी आशिर्वाद दूंगा तो भी उसका कल्याण ही होगा !


मगर कहां जाना है और नहीं जाना है यह मेरी इच्छा है !

आसुरीक वृत्तीयों को टालकर ईश्वरी सिध्दांतों के लिये कार्य करना ही परमहितकारी होता है !


उच्च सात्विक और निरपेक्ष प्रेमभाव , श्रध्दा , भक्ति और विश्वास और सब्र इसका फल हमेशा मिठा ही होता है !


सद्गुरू आण्णा की जय !

अवधूत चिंतन श्री गुरूदेव दत्त !

गुरू गोरखनाथ की जय !

अलखनाथ बापू की जय !

योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की जय !


 *आदेश* 


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 *योगी बर्बरनाथ ( बापू )* 


( *विनोदकुमार महाजन )*

३०/११/२०२५

 *दत्त नवरात्र*

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