काली विद्या और मंत्र रहस्य
काली विद्या और मंत्ररहस्य...!!!
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मंत्रों में भयंकर और जबरदस्त शक्ती होती है।यह सब हम सभी को पता है।इसी विषय पर विस्तृत अभ्यास, विश्लेषण ,विवेचन तथा लेखन भी हुवा है।
अनेक अद्भुत रहस्यों के लिए संपूर्ण विश्व के मानवसमुह में बडी दिलचस्पी होती है।
और ऐसे अनेक अद्भुत, आश्चर्यजनक, अदृष्य, अकल्पनीय विषयों पर हिंदु धर्म के अनेक ग्रंथों में सटीक विश्लेषण भी किया है।
मगर विज्ञान इसे केवल भ्रम अथवा काल्पनिक कथा मानता है।इसिलिए जो दिखाई देता है वही विज्ञान स्विकार करता है।अदृष्य शक्तियों के लिए विज्ञान में उत्तर नही है।
जैसे की,
सचमुच में आत्मा होती है क्या ?
जन्म - मृत्यु क्या है ?
मृत्यु के बाद क्या है ?
आत्मा कैसे दिखती है अथवा कैसी होती है ?
और ऐसे अनेक जटिल तथा अद्भुत विषयों का वर्णन हमारे धर्म ग्रंथों में है।
इसीलिए हमारे सनातन संस्कृति को बडी महानता दी जाती है।
इसिलए संपूर्ण मानवसमुह के कल्याण के लिए और सृष्टि के कल्याण के लिए यही एकमात्र धर्म ऐसा है की,जीसमें पूर्णत्व है।
अब देखते है,
काली विद्या और मंत्र शक्ति के बारे में।
काली विद्या प्राप्त करने के लिए अनेक प्रभावी मंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
इसमें भूत प्रेत विद्या, पिशाच विद्या, स्मशान विद्या का समावेश होता है।
अनेक प्रकार की भयंकर तथा विपरीत साधना द्वारा, ऐसी विद्या प्राप्त हो सकती है।
और विशेषत : बुरे कर्मों के लिये मांत्रिक ऐसी विद्या का प्रयोग करते है।
मारण - जारण -उच्चाटन - वशीकरण जैसे अनेक अदृष्य प्रयोग इसी द्वारा होते है।
क्या यह सचमुच में सच है ?
जी हाँ भाईयों, यह बिल्कुल सच है।
मगर होता क्या है की,90 प्रतिशत से भी लोग,व्यक्ति, समुह मांत्रिक दांभीक तथा भोंदू होते है।और समाज को इसी माध्यम से डरा धमकाकर ठगने का काम करते रहते है।
जो असली मांत्रिक अथवा तांत्रिक होते है वह अनेक बार गुप्त रूप से भ्रमण करते है।और किसी को अपने शक्ति के बारे में कुछ बताते नही है।
कभी कभी इसमें भयंकर जालीम मांत्रिक भी होते है।
मैंने मेरे जीवन में ऐसी अनेक अद्भुत घटनाएं देखी है।अनुभव भी की है।
विशेषत : प्रारब्ध गती के अनुसार जब हमारा बुरा दौर होता है,उसी समय नीच ग्रहों की भयंकर दर्दनाक पीडा हमें सहनी पडती है,
उसी समय में ऐसे अनेक मांत्रीकों के बुरी शक्तियों का हमें सामना करना पडता है।
और भयंकर विचित्र तथा भयानक घटनाएं हमारे जीवन में घटती है।और हम भयभीत हो जाते है।
हमारा सदैव यही प्रयास रहता है की,ऐसे भयंकर विपदाओं से अथवा चंगुल से हमें छुटकारा मिले।
अगर कोई ईश्वरी गुणसंपन्न व्यक्ति भी हो तो भी उसके जीवन में ऐसी भयंकर घटनाएं घटीत हो सकती है।
मुझे हमेशा ऐसा महसूस होता आया है की,मेरे पास कुछ अद्भुत तथा गुप्त अतिंद्रिय शक्ति का वास है।अनेक बार मेरे जीवन में भयंकर विचित्र तथा आश्चर्यकारक घटनाएं अनेक बार होती है।
इतनी अनगिनत और आश्चर्यजनक, अद्भुत घटनाएं मेरे जीवन में घटी है की,
मैं भी इसी विषय में आश्चर्य में रहता हुं।
जैसे की,
मृत्यु के बाद भी उस व्यक्ति ने मुझे देह धारण करके दर्शन देना,
अथवा पशुपक्षियों से प्रेम से बातें करना अथवा उनसे भी संवाद करना,
अनेक व्यक्तियों का सपनों में अद्भुत दर्शन, दृष्टांत होना।
पिशाचों से,गौमाताओं से मनुष्य बाणी में सपनों में बाते करना,
अनेक देवीदेवताओं के अद्भुत दर्शन होना,उनका मार्गदर्शन मिलना,उनसे संवाद करना,
अथवा,
कोई जागृत देवता अथवा मंदिर का सपनों में पहले दर्शन होना और कुछ दिनों बाद उसी देवता का प्रत्यक्ष दर्शन होना।
अनेक साधुसंतों के,सिध्दपुरूषों के दर्शन आशिर्वाद प्राप्त होना।वरदहस्त प्राप्त होना।
सपनों में अनेक सिध्दपुरूषों द्वारा मंत्र मिलना।
अनुभूति में,दृष्टांत में,सपनों में अनेक देवीदेवताओं से मनुष्य बाणी में अद्भुत तथा आश्चर्यजनक बातें करना।
इसी विषय पर बडी किताब बनेगी।कोई जागतीक प्रकाशक मिलेगा तो यह अनेक घटनाओं का जीक्र करूंगा।
इसका प्रमाण क्या है ?
इसी अद्भुत विषय पर मेरे द्वारा लिखा हुवा यह लेख।
मगर मनोविज्ञान क्या कहता है ?
जो प्रत्यक्ष मन में आता है वही सपनों में दिखाई देता है।
मगर जो पहले से ही सपनों में,दृष्टांत में दिखाई देता है
और
उसी घटना की दिव्य अनुभूति कुछ दिनों बाद मिलती है
तो....???
मनोविज्ञान का इसमें उत्तर क्या है ?
केवल मुझे ही नही तो अनेक व्यक्तीयों को ऐसी अनेक दिव्य अनुभुतीयाँ अनेक बार मिलती है।
और यही अध्यात्म है।
सटीक प्रमाण क्या है ?
अनेक भाषाओं की,अनेक देशों की,अनेक अभ्यासु व्यक्तीयों की,
आश्चर्यजनक किताबें खंगाल के देखो।
कोई अद्भुत शक्ति, अतिंद्रिय शक्ति, ईश्वरी शक्ति, कोई गूढ शक्ति ,प्रचंड प्रभावी मंत्रशक्ति होनेपर भी,
अनेक बार ऐसी भयंकर विपदाओं की,मुसीबतों की घडी का सामना हमें करना ही पडता है।
ऐसा क्यों होता है ?
विशेषत : हमारा बूरा समय जब होता है तब प्रारब्ध गति के अनुसार नीच के ग्रह अथवा पापग्रह भयंकर पिडा तथा नरकयातनाएं हमें देते है,
तब ऐसी भयंकर घडी का,संकटों का,विपदाओं का सामना हमें करना पडता है।
तब क्या होता है ?
कोई प्रभावी मांत्रीक द्वारा,जो काली विद्या करता है, हमपर,हमारे दिमाग पर,हमारे परिवार पर अदृष्य तथा भयंकर शक्तिद्वारा हमला किया जाता है।
इससे अनेक बिमारियां, आर्थिक नुकसान, परेशानुयाँ,बेईज्जती, बदनामी का भयंकर सामना हमें करना पडता है।अनेक बार भयंकर मानसिक हानी भी सहनी पडती है।
बडा ही विचित्र तथा भयंकर प्रकार होता है यह।
चारों तरफ से केवल परेशानीयां ही परेशानीयां।
इसका इलाज, उत्तर क्या है ?
कुलदेवता अथवा कुलदेवी उपासना, शनि - मारूती उपासना।
कैसे विश्वास करें इसपर ?
अनेक व्यक्तीयों के राहत के अनुभव।
अब मेरे जीवन की कुछ भयंकर, भयानक घटनाएं।
कौनसी और कैसी घटनाएं ?
जीवन में मैंने अनेक साल,अनेक मुसीबतों का सामना करते हुए गुजारे है।एकाकी पण,अनेक भयंकर संकट जैसे अनेक प्रसंगों का मैंने मुकाबला किया है।जैसे की अनेक जहर के सागर ,अथवा आग का उग्र रूप महसूस किया है।
मगर ऐसे भी भयंकर विपदाओं में मुझे हमेशा यह भी महसूस होता था की,
ऐसे भयंकर प्रसंगों में भी मेरे साथ कोई दिव्य तथा अद्भुत शक्ति है.....
जो
मुझे ऐसी भयंकर विपदाओं से बाहर निकालेगी।
और मेरे विश्व कार्य में मार्गदर्शक तथा सहायक होगी।
मुझे बचपन से पहचाननेवाले मेरे अनेक मित्र, रिश्तेदार भी ऐसी भयंकर घटनाओं से आश्चर्य में पड जाते है।
यह कैसे मुमकिन है ?
यही एक सवाल उनको सताता है।
मगर यह वास्तव भी है और अद्भुत भी है।
अनेक सालों तक,
काली विद्या का प्रभाव मुझपर,मेरे शरीर पर,मेरे दिमाग पर था।
कोई तो भी भयंकर अदृष्य शक्ती मुझे अपनी उंगलियों पर नचाती थी।
मुझे तडपाती थी।
भयंकर नरकयातनाएं तथा पिडा देती थी।
मुझे बदनाम करती थी।
मैं सबकुछ समझता तो था।
मगर रह ऐसा भयंकर विचित्र, भयानक, बारबार मेरे साथ क्यों होता है ?
यह मेरे समझ में नही आता था।
मेरे कुछ दोष न होकर भी मुझपर अनेक दोष लगते थे,आरोप लगते थे।भयंकर बदनामीयाँ भी होती थी।
मगर इसमें आधार देनेवाला अथवा सांत्वना करनेवाला, आँसू पोंछनेवाला कोई भी मिलता नही था।
" सुख के सब साथी,दुख में ना कोई ।"
केवल ईश्वर और अद्भुत, अदृष्य शक्ती।
और मेरे जनम जनम में साकार - निराकार में सदैव साथ रहनेवाले,
मेरे सद्गुरु।
मेरे आण्णा।
जिन्होंने मुझे उनके देह त्यागने के बाद भी गायत्री मंत्र दिया।और तपस्या भी पूरी करके ली।
भयंकर बडा विचित्र प्रसंग था।
दश दिशाओं में अकेला लडता था।
भयंकर आर्थिक विपदाएं, मनस्ताप।
बूरे सपने।
सपनों में भयंकर जहरीले साँपों के,उपद्रवी पिशाचों के दर्शन।
सपनों में जोरजोरसे चिल्लाना,गंदी गालीयाँ देना,रोना।
सपनों ही नींद में उठकर चलना।
क्या करता था कुछ समझ में नही आता था।
क्यों ऐसा हो रहा है,यह भी समझने नही आता था।
और आज....???
संपूर्ण जीवन ही पलट गया।
सद्गुरु कृपा से ईश्वरी कृपा हो गई।
आश्चर्यकारक दिव्य अनुभुतीयाँ मिलने लगी।
ईश्वरी शक्ती से एकरूप हो गया।
" विश्व - स्व धर्म - सुर्ये - पाहो "
अर्थात,
" विश्व विजेता हिंदु धर्म " ,
का अलौकिक कार्य,
तेजीसे आरंभ हो गया।
चौबीस साल की खडतर तप :श्चर्या फलदायक हो गई।
सद्गुरु कृपा से,
नरदेह का सार्थक तथा कल्याण हो गया।
हरी ओम्
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विनोदकुमार महाजन
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