हिंदुओं का विश्लेषण

 *सचमुच में हिंदु ,हिंदु रहा है या नही ??? एक अभ्यासपूर्ण विश्लेषण !!!* 

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साथीयों,

मेरे इस लेख को सभी हिंदुप्रेमीयों को गौर से पढना होगा और मनन चिंतन करके रास्ता निकालना होगा !

चाहे मोदिजी हो,योगीजी हो,हर धर्म प्रेमी हो,संत महंत हो ,समाज सुधारक हो,सांसद - विधायक हो ,कार्यकर्ता हो सभी को इस लेख का गहराई से अध्ययन - अध्यापन करना जरूरी है ! क्योंकी हिंदुत्व बचाना इतना आसान नही रहा है !अनेक स्वकीय अधर्मी, परकीय आक्रमणकारी तथा अनेक सत्तांध तथा स्वार्थांध जयचंदों ने हिंदूत्व को घेर रखा है !

यह भयंकर घोर विपदा तथा अंदर बाहर से घिरा हुवा धर्म *संकट है !* इसिलिए हर एक राष्ट्रप्रेमीयों को सजग होकर एक शक्तिशाली रणनीती बनाकर आगे बढना ही होगा ! तभी देव - धर्म - देश - संस्कृती बचेगी !


 *निमित्य : - उपचुनाव नतीजे* 


भाईयों,

मैं अनेक बार जब लेख लिखता हुं तो अनेक बार भविष्य में होनेवाली घटनाओं का भी जिक्र करता रहता हुं ! थोडे दिन पहले,शायद पाँच सात दिन पहले मैंने भविष्य में होनेवाली घटनाओं की चेतावणी दी थी ! शायद आप सभी ने पढी भी होगी ! मैंने लिखा था,


" *अब विकास, हिंदुत्व अथवा मोदिजी यह मुद्दा नही चलेगा ! हमें इससे भी आगे निकलना होगा ! तभी यश मिलेगा ! "* 


और उपचुनाव में मेरे शब्दों की शक्ती भी दिखाई दी !


अभी भी समय हाथ में है,


 *रणनीती बदलनी पडेगी !* 


२०१९ का चुनावी नतीजा क्या होगा,इसी के साथ मैंने जो भी भविष्य वाणीयाँ की थी,वह सब सच साबीत हो गई है।


 *इसिलिए... इस लेख का प्रपंच !* 


यह लेख लंबा चौडा होनेपर भी सभी को पढना होगा और मनन,चिंतन करना ही होगा !


अब,

मूल विषय पर आते है : -


 *सचमुच में हिंदु हिंदुही रहा है या नही ???* 


गहराई से सोचो !

इतना भयंकर होने के बावजूद भी,इतिहास साक्षी होनेपर भी,अनेक अन्याय अत्याचार सहने के बाद भी...

इतना देवीदेवताओं को,धर्म - संस्कृती को बदनाम करने के बाद भी....अगर हम हिंदुत्व से नही जुडते है तो....शायद हमें भगवान भी नही बचा पायेगा ! और अगर भगवान भी हमें बचाने के लिए आया है....

तो वह भी वापिस चला जायेगा अथवा उसको वापिस भेजा जायेगा !


 *इतना भयंकर अधर्म का अंधियारा बढा है !* 


नैय्या डुबने की कगार पर है,और हम गहरी निंद में मस्त है !


 *अब विश्लेषण विस्तार से !* 


विश्व में हर धर्मीय अपने धर्म के प्रती चौबिसों घंटे सजग एवं जागरूक होते है !


 *और हम ???* 


धर्म को कितना भी बदनाम होने दो ! देवीदेवताओं के खिलाफ कोई कितना भी जहर उगलने दो,

हम चौबिसों घंटे 


 *भाईचारा बनाकर मस्त रहते है !* 


भाई हमारा चारा बनाकर खा रहा है तभी भी हम मस्त रहते है !

हमारा एक रूटीन हो गया है !

चार पैसे कमाना,खाना - पिना मस्त रहना,मजा करना ! शादी करके दो चार बच्चे पैदा करना !

और एक घर के कर्जे में पूरा जीवन कर्जा ढोते ढोते गुलामी की तरह बिताना !


ना हमें धर्म के बारें में कुछ लेनादेना है ! नाही देवीदेवताओं को बदनाम करनेवालों से लेनादेना है !

हमारी आत्मा ही मर गई है ! आत्मतेज, आत्मसन्मान ,ईश्वरी तेज हम भूल बैठे है ! इसिलिए कभी मोमबत्ती बुझा रहे है तो कभी केक काट रहे है !

सबकुछ उल्टापुल्टा कर रहे है !


तेजस्वी ईश्वर पुत्रों की यह दुर्दशा देखकर भयंकर दुख होता है ! और देश तथा समाज के भविष्य की चिंता भी सताती है !

और तो और फ्री के चक्कर में हम हमारी आत्मा भी बेच देते है ! फ्री बिजली, फ्री पाणी,फ्री अमुक तमुक ने तो हमें लाचार, स्वाभिमान शुन्य बना दिया !कंगाल बनाकर रख दिया !


और उपर से जातीय भयंकर विद्वेष !

यह संत मेरे जात का,वह महापूरूष तेरे जात का !

हुश्श...

संतों का और महापुरूषों का भी हमने बँटवारा कर दिया !

दुर्देव देश का और धर्म का !


 *नतीजा ❓❓❓⁉* 


भागम् भाग !

चारों तरफ से भाग !

चौबिसों घंटे भाग !

आपस में लडते लडते भी भाग !

हाय तौबा !!!


देहात से लेकर शहरों तक,झोपडी से लेकर महलों तक भयंकर विदारक, विदिर्ण स्थिती है !

समाप्ती की कगार पर होनेपर भी हम जाग नही रहे है !

विधर्मी,अधर्मी, आक्रमणकारीयों के भयंकर अत्याचार सहने के बाद भी हम जाग नही रहे है !

भयंकर षड्यंत्र से तंग आकर भी हम नही जाग रहे है !

नशेड़ियों को सरपर लेकर नंगानाच कर रहे है !


 स्वातंत्र्य का मतलब ?


 *नंगानाच* !


और उपर से ???


खिंचाखिंची !

हमारा कोई साथी अगर आगे जा रहा है,धर्म कार्य कर रहा है,समाज में जागरूकता लाने के लिए प्रयास कर रहा है....दिनरात मेहनत कर रहा है,

तो...???

हम एक होकर उसकी ही टाँग खिंचने में लगे है ! और उपर से उसके भी बडे आनंद से मजे ले रहे है !


हम हमारे ही धर्म को अपमानित कर रहे है,हम हमारे ही महापुरूषों को,देवीदेवताओं को बडे मजे से बदनाम कर रहे है...और विदेशी घुसपैठीयों की शक्ती भी बढा रहे है !

ठीक ऐसा ही हो रहा है ना !

तो हम कब जागेंगे ???

हम कब सुधरेंगे ???


हमारे अध:पतन को , हम ही जादा मात्रा में जिम्मेदार है !हमारे भागने के पिछे हम ही जिम्मेदार है !

क्यों ?

क्योंकी हम तेजोहीन बन गये है !

हम सामर्थ्य शून्य बन गये है !

हम भयंकर नारकीय जीवन जी रहे है !

हम मरे हुए मन से जी रहे है !

और अगर हमें जगाने के लिए,हमारे विकास के लिए कोई आगे आता है तो हम उसके ही पिछे हाथ धोकर लगते है ! उसको ही बरबाद, बदनाम करने के लिए तुले रहते है !

क्यों भाई ? ऐसा क्यों ? आखिर ऐसा क्यों ? और कबतक ?


हमारी ही बरबादी हमारे ही हाथों से हम कबतक करते रहेंगे ?


और भी बहुत विश्लेषण बाकी है ! एक बहुत बडी किताब भी बनेगी ! मगर उसको भी पडेगा कौन ?

हम तो टिव्ही सिरियल ,फ्लाँप सिनेमा इनके चर्चा करने में दिनरात मस्त है ! वह नशेड़ी कब छुटता है...इसके लिए हम परेशान है !

तो किताबें पढेगा कौन ?

समय किसके पास है ?


सचमुच में क्या हो गया है मेरे देश को ? मेरे ही लोगों को ?


व्यर्थ कामों के लिए समय जरूर है हमारे पास ! साधुसंतों को,महापुरूषों को बदनाम करने के लिए हमारे पास समय जरूर है !समाजसुधारकों को ,क्रांतिकारीयों को गाली देने के लिए,पिडा - तकलीफ - यातनाएं देने के लिए हमारे पास बहुत समय है !

अच्छे और सच्चे लोगों को तडपाने के लिए हमारे पास भरपूर समय है !


धत् तेरे की !

क्या सामाजिक गणित बन गया है ?

हमारे ही लोगों द्वारा राष्ट्रविघातकता का माहौल बडी मात्रा में बन गया,बढ गया ! और बढता भी जा रहा है !

करें तो क्या करें ?


नौकरी धंदा के कारण,पैसा कमाने के कारण अगर हम मंदिर भी नही जाते है...तो ठीक है ना ! मगर समय निकालकर मंदिर जानेवालों को पिडा तकलीफ तो मत दो ना !उनकी निंदा तो मत करों !


खुद की पर्वा किए बगैर,इनकम् सोअर्स की चिंता किए बगैर हमारे भविष्य के लिए मर मिटने को तैयार रहनेवालों को कम से कम दुखदर्द तो मत दो ना !


रोजी रोटी के चक्कर में हम घर में भी शायद भगवान की मुर्ती लगाना भूल गये ! घर पर भगवा ध्वज लगाने को भूल गये ! ललाट पर स्वाभिमान से भगवा तीलक लगाना भी हम भूल गये !

अथवा इसमें भी हमें अपमान लगता है ???

अरे धर्म जागृती के लिए कम से कम इतना तो जरूर करो !

धर्म ग्रंथों को पढने के लिए, वैसा आचरण करने के लिए समय नहीं है ! ठीक है ना !

मगर कम से कम छोटी छोटी धर्म रक्षा की बातें तो जरूर करों !


लेख लंबा होता जा रहा है ! आप पढो न पढो ! आपको हिलाहिलाकर जगाने का काम तो मैं कर रहा हुं ! मेरा दाईत्व तो मै निभा रहा हुं ! छोटासा मगर कार्य करने का प्रयास तो कर रहा हुं ! चाहे कोई साथी मिले ना मिले ! मैं तो जगाने का मेरा कर्तव्य तो कर रहा हुं !


अब रही बात हार जीत की ! सचमुच में अगर हमें जीतना ही है तो सबसे पहले समाज को एकसंध बनाना पडेगा ! और उसे विविध माध्यमों द्वारा कार्यान्वित भी !

जिसकी आर्थिक समस्या है उसको आर्थिक आधार देना होगा ! जो गरीब है,बेचारा है,अनाथ है ,अपमानित है ,प्रताड़ित है उसे आधार देना होगा ! सभी को प्रेम देना होगा ! जुग्गी झोपडिय़ों में भी पहुंचकर उनका भी जीवन सँवारना होगा ! ऐषोआराम में मश्गूल बेपर्वा समाज को उनके महलों में पहुंचकर उनका दाईत्व बताना होगा ! हिलाहिलाकर समाज को और समाज मन को जगाना होगा ! निरपेक्ष, निस्वार्थ, सेवाभावी कार्यकर्ताओं की फौज खडी करनी होगी !

सभी का मन टटोलकर उनका आत्मसंम्मान बढाना होगा ! और धर्म के प्रति हर एक को जागरूक करना पडेगा !

धर्म को,देवीदेवताओं को बदनाम करनेवालों को सामुहिक शक्ति द्वारा सबक सिखाना होगा !

पैसों के लालच में आकर भागनेवालों को रोकना होगा ! दिनदुखितोंके अश्रु को पोंछना होगा !


एक रणनीति बनाकर आगे बढना होगा ! समाज को आगे ले जाना होगा ! आर्थिक विकास के साथ आत्मिक उन्नती तथा राष्ट्रोध्दार तथा समाजोध्दार के लिए अनेक प्रभावी योजनाओं का निर्माण करना होगा !


नियती बडी विचित्र होती है ! मगर नियती पर मात करने के लिए वर्तमान तो हमारे हाथ में है ना ?

शिवाजी महाराज दिल्ली क्यों नही जीत सके ? पेशवा पानीपत में क्यों हार गये ? गुरु गोविंद सिंह, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, छत्रपति संभाजी राजे इन महापुरुषों के साथ महाभयानक अत्याचार करनेवाले कौन थे ? अत्याचारीयों की निती क्या थी ? और वर्तमान में ऐसे अत्याचारी कौनसी निती अपना रहे है ?

ऐसी सभी बातों का अध्ययन - अध्यापन करके हमें आगे बढना होगा !


शायद सौ में से एक दो महात्माओं ने ही लेख पढा होगा !उन सभी का आभार ! हो सके तो सहयोग करना !

समय व्यर्थ गुजर रहा है ! पल पल महत्वपूर्ण है ! समाज जागृती अभियान चलाने के लिए अनेक योजनाएं तैयार है ! मगर अमल करने के लिए *अपेक्षित* साधन नही है ! 

अंदर बेचैनी है ! भयंकर सामाजिक अध:पतन से त्रस्त भी हूं,दुखी भी हुं,चिंतीत भी हुं !


शेगांव के गजानन महाराज के सामने सपनों में मैं रो रहा था,और महाराज जी को कह रहा था,

ऐसा भयंकर अध:पतन देखने से मृत्यु अच्छी लगती है ! कुछ तो भी ईश्वरी कार्य करने की इच्छा है !

तब गजानन महाराज जी ने बहुत बडे उंँची आवाज में कहाँ था,

" *बहुत बडा नाम कमायेगा ! "* 

और कार्य आरंभ के लिए सरपर हाथ रखकर आशीर्वाद भी दिया है !


 *आगे भगवान की इच्छा !* 


हरदिन कार्य सफलता के लिए कठोर तपस्या भी करता हुं !अनेक देवीदेवताओं के,सिध्दपुरूषों के आशीर्वाद, वरदहस्त भी मिलते है !

देखते है...समय कब आता है ???

तबतक के लिए.....


 *समय का इंतजार !* 


हरी ओम्

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 *विनोदकुमार महाजन*

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