हिंदु राष्ट्र के लिए
*हिंदुत्व की राष्ट्रीय आंतरराष्ट्रीय लहर लानी है तो यशस्वी रणनीती बनानी होगी !*
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संन्माननीय और परम वंदनीय श्री.आनंद मिश्राजी यह लेख मैं आपको समर्पित कर रहा हुं !
आज आप बेंगलोर से फ्लाईट से दिल्ली जा रहे है !
आपके ईश्वरी कार्यों को तथा
" *हिंदुराष्ट्र निर्माण "*
के आंतरिक ध्यास को ईश्वर जरूर गती देगा ऐसी प्रभू के चरणों पर प्रार्थना करता हुं !
स्व.अटलजी, अडवाणी जी से लेकर मोदी,योगीजी से भी आपके अतुट आत्मीय रीश्ते रहे है,यह हमारा सौभाग्य है !
आप मेरे लेख पढकर हमेशा मुझे फोन करके प्रोत्साहित करते रहते है यह भी मेरा परम सौभाग्य है !
आप जैसे पुण्यवान बुजुर्ग के आशिर्वाद से ही मेरे अनेक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय कार्य को गती जरूर मिलेगी ऐसी आशा करता हुं !
मेरा हर लेख आप गहराई से पढते है और उसपर मनन,चिंतन करते है...यह भी मेरा सौभाग्य है !
कालभैरव सोनारी का भी लेख आपने पढा और सोनारी जाने के लिए जानकारी भी ले ली यह भी मेरे लिए गर्व का विषय है !
मेरी कुंडलिनी जागृती,मेरे पारिवारिक रिश्तों पर भी आप बातें करते है यह भी मेरा भाग्य है !
राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय कार्यों को गती देने के लिए मुझे आप से सभी प्रकार के सहयोग की तुरंत सख्त जरूरत है !
*हिंदुराष्ट्र निर्माण*
तथा
*भारत को विश्व गुरु बनाने* के आपके अंदर के कार्यों को मैं जरूर गती दे सकता हुं ! इसके लिए अगर आपके द्वारा मुझे *अपेक्षित साधनों की* तुरंत पूर्ती होगी तो मैं यह ईश्वरी कार्य वायुगती से आगे बढा सकता हुं !
आज हिंदुत्व को वायुगती से राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे ले जाने के लिए एक *जबरदस्त निती* बनाकर एक *सामर्थ्यवान लहर*
निर्माण की जायेगी तो,
*ईश्वरी सिध्दांत और हिंदुत्व*
की संपूर्ण जीत मैं करके ही दिखाऊंगा ! यह मेरा आपसे वादा है !
और मैं वादे का पक्का हुं ! वादा निभाने के लिए मैं मेरे जान की भी पर्वा नही करता हुं !
*चौतरफा वैश्विक क्रांति*
के लिए आपसे संपूर्ण सहयोग प्राप्त होगा ऐसी अपेक्षा करता हुं !
आज मैं भयंकर आर्थिक मुसीबतों में फँसा हुवा हुं !और *आर्थिक सहयोग के बिना*
कार्य सफलता नामुमकिन है !
पल पल ,हर समय व्यर्थ जा रहा है ! जीवन का एक एक दिन *प्रभु कार्य के बिना व्यर्थ*
जा रहा है !
अब अगला जनम् नही ! इसी जनम् में संकल्पित
*हिंदु राष्ट्र निर्माण का*
कार्य वायुगती से पूरा करना है !
इसके लिए आपका संपूर्ण सहयोग तथा आशिर्वाद प्राप्त होगा तो कार्य को जरूर गती मिलेगी !
किडे मकौड़े भी पैदा होते है और मर जाते है ! इसी प्रकार से अनेक मानव पैदा होते है और किडे मकौड़े जैसे व्यर्थ जीवन गँवा देते है और मर भी जाते है !
मगर मेरा और आपका भी जीवन जीने का मकसद ही कुछ अलग है ! *कुछ भव्य दिव्य ऐतिहासिक कार्य हम पिछे* छोडना चाहते है ! और आपका मेरा चौबिसों घंटे आंतरिक ध्यास भी यही है !
*और इसे हम पूरा करके ही रहेंगे !*
प्रणाम !
हरी ओम्
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*विनोदकुमार महाजन*
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