सुभाष बाबू जैसी उडान

 *सुभाष बाबू जैसी उँची उडान भरनी है...* 

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सुभाषचंद्र बोस,

एक जबरदस्त व्यक्तित्व।

जागतीक उँची उडान और गरूड़ भरारी लेने की जबरदस्त क्षमता वाला अलौकिक व्यक्तित्व।

हम उनके कार्यों से कोंसो दूर है।


 *फिर भी,* 

उनके आदर्शों को,उनके सिध्दांतों को आदर्श मानकर, सुभाष बाबूजी से एक जबरदस्त प्रेरणा लेकर,


 *आसमान में* 

उँची उडान, उँची छलांग, उँची गरूड़ भरारी लेने की कोशिश करेंगे...

तो...

उसमें दिक्कत क्या है ?


मैं भी बचपन से ऐसा सपना जरूर देखता था।सुभाष बाबू के आदर्श सिध्दांतों पर चलकर,


 *एक आदर्श सिध्दांत स्थापित करने का* 

मेरा बचपन का सपना रहा है।

और उसी दिशा में मैं निरंतर प्रयास रत रहता हुं।

इसके लिए मेरे दादाजी ने मुझे हरपल प्रोत्साहित भी किया, मार्गदर्शन भी किया और आशिर्वाद भी दिया।

बचपन से मेरे पंखों में उँची उडान भरने के लिए हमेशा मेरे दादाजी, मेरे आण्णा शक्ति भरते आये है।


और शायद उनके ही आशिर्वाद से यह सपना पूरा होने का समय भी ईश्वरी इच्छा से नजदीक भी आया है,

ऐसी मेरी धारणा है।


जीवन में कभी भी हार ना मानने की और चौबिसों घंटे प्रयत्नों की पराकाष्ठा करने की दादाजी ने मुझे सिख दी है तथा ऐसे उच्च संस्कार मुझपर बचपन से ही उन्होंने कीए है।

इसीलिए आज जो भी मेरा कार्य दिनबदिन आगे बढता जा रहा है,उसीका सारा श्रेय मेरे दादाजी का ही है।


हमारे ही समाज ने ,अपनों ने ही मेरे पंख काटने का,मुझे रोकने का बारबार प्रयास भी किया।मुझे हरबार नाकाम करने के लिए अपनों ने ही प्रयास किए,हतोत्साहित करने का, रूलाने का प्रयास भी बारबार हो गया।

मगर आज,

जहर के अनेक सागर पार करके,

एक जबरदस्त उंचाईयों में आकर खडा हो गया हुं।अब मुझे कोई भी रोक नही सकता है,अथवा नाही कोई मुझे रोकने की कोशिश कर सकता है।


मेरे पंखों में उँची उडान भरने के लिए, गरूड़ भरारी लेने के लिए, आकाश में स्वच्छंद होकर विहार करने के लिए,

और मेरे बचपन का उत्तुंग छलांग लगाने का मेरा सपना पूरा करने के लिए,

ईश्वरी इच्छा से मेरे पंखों में अब जबरदस्त शक्ति आ गई है।


मेरा आजतक का कार्य मर्यादित था,अथवा ना के बराबर था।मगर अब यह कार्य सौ प्रतिशत बढेगा ही बढेगा।और वह भी वायुगती से बढेगा।


मुझपर ईश्वरी पवित्र प्रेम करनेवाले मेरे सभी प्यारे दोस्तों,

अब 

 *मैं आ रहा हुं।* 

मेरा,आप सभी का सपना पूरा करने के लिए मैं आ रहा हुं।


जिन्होंने रूलाया,हतोत्साहित किया, पंख काटे उनका भी आभार।

और जिन्होंने सहयोग किया, प्रेम किया, प्रोत्साहित किया...

उनका भी आभार।


जल्दी ही मैं वैश्विक ईश्वर वादी संगठन को गती दे रहा हुं।अगले कार्य में आप सभी का,तन - मन - धन से सहयोग, प्रेम तथा आशिर्वाद बिना माँगे ही मिलेंगे ऐसी आशा करता हुं।


और एक बात बताना चाहता हुं की,

हमारे देश में कोई उँची उडान भरने की कोशिश करता है 

तो....ऐसी परंपरा चलती आ रही है की,

उडान भरने से पहले ही उसके पंख काटे जाते है।अथवा गर्भ से बाहर आने से पहले ही उसकी हत्या की जाती है।

जी हाँ साथीयों।

यह सिलसिला अनेक सालों से चलता आया है।


इसीलिए सुभाष बाबू के साथ भी ठीक ऐसा ही हुवा।

क्यों हुवा, किसने किया, क्यों किया ? इबकी गहराई में मैं नही जाना चाहता हुं।

मगर अब मेरे साथ ऐसा कतई नही होगा।

क्योंकि मेरे साथ मेरा ईश्वर और सद्गुरु की दिव्य शक्ति चौबिसों घंटे है।

तो....

अब मुझे कौन रोकेगा ?

ऐसा प्रयास करनेवाला भी मिट्टी में मिल जायेगा।


तो चलो साथीयों,

अब हम...

 *सुभाष बाबू का अधूरा सपना* 

पूरा करने के लिए खुद को संपूर्ण शक्ति से झोंक देते है।


 *हरी ओम्* 

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 आपका,

 *विनोदकुमार महाजन*

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