ईशतत्व और मनुष्य
क्या मनुष्य ईशतत्वों से दूर गया है ??
✍️ २३०६
विनोदकुमार महाजन
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ब्रम्हांड में हर जगहों पर ईशतत्व निरंतर व्याप्त तथा जागृत रहता है !
इसिलए चराचर में भी ईशतत्व जागृत है ! सजीव निर्जीव में भी ईशतत्व है ! हर सजीवों में ,पशुपक्षियों में और हर मनुष्य प्राणीयों में भी ईशतत्व जागृत रहता है !
इसीलिए वैदिक सनातन हिंदु धर्म में यह मान्यता है कि,
" कण कण में है भगवान ! "
मगर आज के भयंकर अधर्म के माहौल में सचमुच में ,मनुष्य प्राणीयों के अंदर का ईशतत्व सचमुच में जागृत है ?
क्योंकी मनुष्य प्राणीयों के अलावा लगभग सभी सजीव ईश्वरी सिध्दांतो पर ही चलता है !
कुदरत के कानून के अनूसार ही जन्म से लेकर मृत्यु तक का संपूर्ण सफर इसी सिध्दातों के अनुसार होता है !
सिर्फ मनुष्य प्राणीयों के व्यतीरीक्त ?
इसी कारणवश लगभग सभी मनुष्य प्राणी ईश्वरी कानून तथा कुदरत के कानून से दूर हो गया है !
और खुद के ईशतत्वों को भी भूल गया है !
और अंधेरे में भटक रहा है ! अज्ञान का अंधेरा !
मैं कौन हूं ? कहाँ से आया हूं ?
जीवन का उद्देश्य क्या है ?
मनुष्य योनी का ईश्वरी प्रायोजन क्या है ?
लगभग यही बात मनुष्य प्राणी भूल गया है !
और इसी अंधेरे के कारण संपूर्ण पृथ्वी पर अधर्म का भयंकर अंधेरा गति से बढ ही रहा है !
हमारे अंदर का ईशतत्व ,हमारे अंदर का धधकता ईश्वरी तेज ही हम भूल गये है !
और इसी कारणवश विनाशकारी राक्षसों की शक्ति और आत्मबल तेजीसे बढ रहा है !
क्योंकि हैवानियत का और आसुरीक शक्तियों का,और इसका विरोध करने की सामुहिक ईश्वरी शक्ति का बल कमजोर होता जा रहा है !?
क्या इसी वजह से मठ - मंदिरों से भी ,प्राणप्रतिष्ठा करने के बावजूद भी ,ईश्वरी शक्तियों का संचलन भी कम हुआ है ? और ईश्वरी शक्ति स्वर्ग को ही वापिस लौट के गई है ??
अन्यथा तेजस्वी ईश्वरी शक्तिस्थान, राक्षसी शक्तियों द्वारा,मठ - मंदिर गिराने के बाद ,तुरंत आसुरीक शक्तियों का संहार कर देते ! और तुरंत ऐसा ही हो जाता !
अथवा उसको ,उस राक्षसी शक्तियों को,तुरंत सबक मिल जाता !
मगर ऐसा नहीं हो रहा है !
क्यों ?
क्या तेजस्वी ईशतत्व पृथ्वी से भी लुप्त हो गया है ?
" पिंडी सो ब्रम्हांडी ! " तत्व के अनुसार ,सभी सजीवों में पंचमहाभूतों की शक्ति मौजूद है !
संपूर्ण ब्रम्हांड में यही पंचमहाभूत शक्तिशाली रूप में मौजूद हैं ! वहीं पंचमहाभूत हमारे अंदर भी चौबीसों घंटे मौजूद होते है !
इसीलिए हमें निरंतर जल,वायु जैसे सभी पंचमहाभूतों की जरूरत होती है !
और इस शक्तिशाली पंचमहाभूतों का संचलन ब्रम्हांड में व्याप्त ,ब्रम्हतत्व अर्थात ईश्वरी शक्ति करती रहती है !
और यही चैतन्य मय ब्रम्हतत्व भी हमारे अंदर के आत्मा से ,श्वासों द्वारा निरंतर जुड़े रहता है !
और " सो अहम् " का नाद निरंतर सुनाई देता है !
मगर हम तो हमारी श्वासों को ही भूल गये है !?
मतलब ?
हमारे सो अहम् को ही भूल गये है !
तो अहम् ब्रम्हास्मी का सिध्दांत भी लूप्त हो गया है !
और इसी कारणवश हमारे अंदर का धधगता ईश्वरी तेज भी भूल गये है ? या फिर हमारे अंदर का ईश्वरी तेज ही लुप्त हो गया है ?
मतलब हम हमारा अस्तित्व ही भूल गये है ??
मतलब हमारे अंदर का ईश्वरी तेज ही भूल गये है ?
और इसी कारण हैवानियत पर नियंत्रण करने की हमारी शक्ति ही कम हो गई है ? और दिनबदिन कम होती जा रही है ?
या फिर हमारे अंदर की, तेजस्वी आत्मचेतना मर जाने के कारण ,अधर्म का और अधर्मीयों का हाहाकार दिनबदिन तेजीसे बढता ही जा रहा है ??
क्योंकि हैवानियत का विरोध करने की अथवा उसका सर्वनाश करने की हमारे अंदर की चेतना ही मर गई है ? या फिर लूप्त हो गई है ?
या फिर ,ईश्वरी शक्तियों का त्याग करके , अनेक मनुष्य प्राणीयों ने ,उन्मादी,आसुरीक शक्तियों का , हाहाकारी शक्तियों का स्विकार किया हुवा है ?
क्या यही भयंकर और घोर कलियुग का प्रमाद है ?
इसीलिए अब पृथ्वी निवासी हर मनुष्य प्राणियों का आत्मतत्व जागृत करके , उसका
सभी मनुष्य प्राणियों का,
"सो अहम् "
तत्व जागृत करके ,अधर्म और अधर्मीयों का विरोध करके ,हरेक मनुष्य प्राणीयों को ईशतत्वों से जोडना होगा !
हरेक मानव प्राणी की मरी हुई चेतना जगानी होगी !?
इसके लिए सबसे पहले , घरवापसी आंदोलन और उसके बाद शुध्दि आंदोलन सक्रिय करना होगा !
बिल्कुल सभी मार्गों से !
संपूर्ण वैश्विक अभियान द्वारा !
और यही हमारा,हम सभी सनातनियों का,हिंदुत्व वादीयों का,ईश्वरी सिध्दातों पर चलने वालों का,
वैश्विक अभियान भी है !
जिसे भी मेरे लेखों की भाषा समझ गई वह बिना बताए हमसे जूड जायेंगे ! और हमें आत्मा से संपूर्ण सहयोग भी करेंगे !
जो अंधेरे में भटक रहे है ,अथवा अज्ञानवश अधर्मीयों का साथ दे रहे है, उन्हें सत्यप्रकाश का दिव्यामृत देकर अथवा साम ,दाम,दंड,भेद निती से ईश्वरी शक्तियों से ,
सो अहम् तत्व से जोडना होगा !
और आसुरीक संपत्तियों पर,हाहाकारी शक्तियों पर अंतिम तथा निर्णायक प्रहार करना होगा !
इसी लिए सभी को जगाना होगा !
सभी का चैतन्य जगाना होगा !
सभी का धधगता ईश्वरी तेज विविध माध्यमों से जगाना होगा !
वह भी कम समय में !
क्योंकि रामजी को भी बानरों में भी चैतन्य भरकर, राक्षसों के विरूद्ध और अधर्मीयों के नाश के लिए धर्म युध्द करना पड़ा था ! और सत्य की ,सत्य सनातन धर्म की जीत करनी पडी थी !
तो हम रामजी के रास्ते से क्यों नहीं चल सकते है ?
सभी का आत्मचैतन्य और आत्मा की आवाज क्यों नहीं जगा सकते हैं ?
अब हमें भी सभी के अंदर का चैतन्य जागृत करना है !
और यही हमारा वैश्विक अभियान भी है !
हम सभी सनातनियों का !
चेतना जागृती अभियान !
हैवानियत मुक्त वैश्विक अभियान !
विश्व विजेता हिंदु धर्म अभियान !
इसे पूरा करने के लिए ही तो हम सभी पवित्र आत्माएं उपर से आये है !
मंजूर है आप सभी को मेरी बात ?
मेरी बात अगर विश्व के दस प्रतिशत मनुष्य प्राणीयों ने भी मान ली , और मेरे पिछे अपनी सारी शक्ती, ईश्वरी तेज खडा किया तो ?
वैश्विक क्रांती अटल है !
देखते है कितने लोग आत्मा से मेरे साथ जुडते है ?
शुरूआत में तो लगभग शून्य प्रतिशत या एक दो प्रतिशत ही
सहयोग प्राप्त होगा !
क्योंकी अधर्म का अंधीयारा बहुत घनघोर है !
लगभग दस दिशाओं में धर्म के प्रती जागरूकता कम है और उदासीनता जादा है !
तो इसीलिए हम सभी को वज्रनिर्धार से और वज्रमुठ बनाकर आगे बढना होगा !
शक्तिशाली योजना और रणनीती हमेशा यशस्वीता की ओर ही ले जाती है !
तो चलो क्रांति की ओर !
चलो नये युग की ओर !
जय जय श्रीराम !
हर हर महादेव !
हरी ओम्
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