संगत

 संगत का परीणाम !!

✍️ २३०९


विनोदकुमार महाजन

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साधारणतः,

ईमानदार व्यक्तीयों के

संगत में मनुष्य ईमानदार ही

बनता है !


और बेईमान व्यक्तीयों के

संगत में साधारणतः व्यक्ती

बेईमान ही बन जाता है !


तो कुछ महात्माओं की संतती आसुरीक भी पैदा हो सकती है !


तो कुछ आसुरों की संतती

कभी कभी महात्मा भी बन सकती है !


बडा विचित्र खेल है नियती का !


श्रीहरी !!!

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