मुसिबतों के क्षणों में

 मुसिबतों में धैर्य रखें !!

✍️ २३०८


विनोदकुमार महाजन

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जब दस दिशाओं से,

मुसिबतों की भयंकर आग

लग जाती है तब,

समझ लेना की ईश्वर हमारी

भयंकर कठोर सत्वपरीक्षा 

एवं अग्नीपरीक्षाएं ले रहा है !


तब बडे धिरोदात्त बनकर

और बिल्कुल ठंडे दिमाग से

मुसिबतों का एकेक पहाड

पार किजिए !


मुसिबतों के भयंकर क्षणों में मन भयंकर उद्विग्न बन जाता है !

अंदर दुख ही दुख होता है !

और मनुष्य जलबिन मछली की तरह तडपता रहता है !


शायद ऐसे क्षणों में कोई सहयोगी भी नहीं मिलता है !

जिसपर भरौसा,विश्वास किया था वह भी दूर भाग जाता है !

और हम अकेले पड जाते है !


समाज, स्वकीय भी ऐसे भयंकर क्षणों में नरकयातना देते है ,सहयोग करने के बजाए दूर से तमाशा देखते है !


ऐसे विपरीत क्षणों में सद्गुरू के शरण में जाकर, निरंतर ईश्वरी चिंतन ,मनन , जाप करने से मन:शांती मिलती है ,और आत्मबल भी बढता है !


सपनों में आग देखना ,बडे बडे साँप देखना ,जलप्रलय देखना,बाघ - सिंह देखना ,मतलब...मुसिबतों का बढ जाना !


और अगर सपनों में नेवला , लोमडी ,फूल ,फल ,सिध्दपुरूष ,देवीदेवता,मंदिर दिखाई दिये तो समझ लेना, आपका बूरा समय समाप्त होनेवाला है !


मुसिबतों के भयंकर क्षणों में गुरूमंत्र का जाप ,अथवा किसी पुण्यपुरूषों के दर्शन,ऐसे भयंकर विपदाओं से मुक्ती दीला सकते है !


ईश्वरी चिंतन से,हमारा आत्मबल बढकर, भयंकर मुसिबतों से छुटकारा प्राप्त होकर, धीरेधीरे अपने उद्दीष्ट पूर्ती में

जरूर सफलता मिलेगी !

अथवा हम सफल होकर ही रहेंगे !


याद रखिए, ईश्वर की अग्निपरीक्षा भयंकर होती है !

भयावह नरकयातनाओं का 

महाभयंकर सामना

करना पडता है !


और ऐसे भयावह माहौल से बाहर निकलने के बाद ही ...

दुखों से मुक्ती मिल सकती है !


और तब जाकर आप अपने

उद्दीष्ट पूर्ती में सफल भी

हो जाते है !


प्रारब्ध गती का भयंकर फेरा भी  भयंकर दुख दे सकता है ,ठीक वैसे ही ,ईश्वरी कठोर परीक्षाएं भी भयंकर दुख दे सकती है !


यशस्वी भव !!


हरी ओम्

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