दुनियावाले

 दुनिया की मत सुनो

✍️ २३७६


विनोदकुमार महाजन

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दुनिया बडी अजीब होती है दोस्तों !

दुनियावालों पर तुम चाहे 

कितना भी प्रेम करो....

शायद....?

दुनिया तुम्हें रूलायेगी ही !


जान मुसिबत में डालकर किसीकी रक्षा भी करों....

तो भी दुनिया तुम्हें तडपायेगी ही !


आखिर अनुभव 

अपना अपना होता है !

और अलग अलग भी !


अंदाज अपना अपना !


तुम अच्छे कर्म करों ,

तो भी दुनिया तुमपर हँसेगी ,

तुम्हें पिडा यातनाएं भी देगी !


तुम मौन और शांत रहो ,

तो भी दुनिया तडपायेगी ही !


तुम विरोध करों ,

तो भी दुनिया पिडा ही देगी !


सौ में से शायद ,

निन्यानबें प्रतिशत ऐसे ही मिलेंगे !

विघ्नसंतोषी !


सौ में से कोई एक ही ,

नशीब से देवदूत मिलेगा !


इसिलिए ,

दुनिया का और दुनियावालों 

का मत सुन बंदे !

जो सही है , वह कार्य ,

ईश्वर को साक्षी रखकर 

निरंतर करता जा !


ईश्वर निर्मित ,

चौ-याशी लक्ष योनियों में से

केवल मनुष्य प्राणी ही तुम्हें

सताएगा ,रूलायेगा ,पिडा देगा ,

षडयंत्र भी करेगा !

बुध्दिमान मनुष्य ??


बाकी सारे जीव जंतू ईश्वर की इच्छा के अनुसार ही जीवन जियेंगे....

किसी निर्दोष को पिडा ,तकलीफ दिये बगैर !


इसिलिए,

हर मुसिबतों में इंन्सान 

ना सही ,

मगर ईश्वर ही होता है 

रखवाला !

हरी ओम्


।। श्रीकृष्ण: शरणं मम् ।।

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