हिंदुओं का धन ?

 हिंदुओं का धन , हिंदुओं के ही काम आयेगा ??

✍️ २३७०


विनोदकुमार महाजन


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लेख के शुरू में एक अत्यंत महत्वपूर्ण टिप्पणी : - अगर हिंदुओं में फूट पाडने के लिए ,

कोई जातिय आधार पर ,जनगणना करता है तो , ऐसी जनगणना हम सभी बहुसंख्यक हिंदु होने के नाते से , ऐसी जनगणना बहुमतों से खारीज करते है और...

इसी विषयानुसार धार्मिक आय ( इनकम् ) के आधार पर , आर्थिक सुविधाएं देने की यथायोग्य माँग करते है !


इस देश में अगर जातिय आधार पर जनगणना हो सकती है , तो फिर धार्मिक आधार पर , आर्थिक योजनाओं को क्यों नहीं अमल में लाया जा सकता है ?


और एक अत्यंत महत्वपूर्ण 

प्रश्न : - हमारे पैसों से हमें सुविधाएं कम , और जिनकी आय ( इनकम् ) कम , उनको जादा सुविधाएं ऐसा क्यों ??


एक देश एक कानून क्यों नहीं ?

सभी के लिए अलग अलग कानून क्यों ?

ऐसा कैसा यह लोकतंत्र है ?


और एक मुद्दा : - हमारे मंदिरों का धन , हमारे विकास के बजाए , अगर कोई , हमारी संस्कृति उध्द्वस्त करने के कार्यों में लगाएगा , तो ऐसा भयावह अनर्थ और पाप ईश्वर भी कैसे सहेगा ??

अगर ईश्वर भी नहीं सहेगा तो उस ईश्वर की पूजा करनेवाले, हम सुसंस्कृत समाज के लोग भी क्यों सहेंगे ?


माँग यथोचित है ना साथीयों ?

तो अब इसी विषय के अनुसार , निचे का विस्तृत लेख भी पढीये !


👍👍👇👇👇


लगभग बहुसंख्यक ८० प्रतिशत हिंदुओं के धन पर आधारित , संपूर्ण देश की अर्थव्यवस्था चलती है !

और इसी धन से आधारित सभी को विकास की सभी प्रकार की सुविधाएं दी जाती है !


इसिलिए अगर हम हिंदुओं ने यह कहा की....


हिंदुओं का धन केवल हिंदुओं के विकास के लिए ही काम आना चाहिए !?

तो...?


तब राम को कोर्ट में शपथपत्र देकर काल्पनिक कोई भी नहीं बताएगा !

हिंदु देवीदेवताओं के बहिष्कार की कोई सामुहिक शपथ भी नहीं लेगा !

और नाही कोई हिंदु देवीदेवताओं को बदनाम भी करेगा !


मेरा विचार आपको कैसा लग रहा है ?

अगर पसंद आ रहा है तो भेजो आगे !

और समाज जागृती अभियान का हिस्सेदार बनो !


कोई कहेगा की ,

मैं नफरत का बाजार सजा रहा हूं !

अगर कोई हमारे धर्म को , देवीदेवताओं को , हमारे संस्कृती को बदनाम कर रहा है ,

हमारी संस्कृती को बरबाद करने का सपना अगर कोई देख रहा है , हमारे ही देवीदेवताओं को बहिष्कृत करने का , खुले मंचों पर ,कोई आवाहन कर रहा है , तो क्या यह तमाशा हम खुले आँखों से देखते रहेंगे ?

वह भी बहुसंख्यक हिंदुओं के ही देश में ??

वह भी , हम सभी धर्मीयों पर उच्च कोटी का प्रेम करने पर भी ???


यह अत्याचार हम हरगिज नहीं सहेंगे !

और सहेंगे भी क्यों ?

और कितने दिनों तक ?

आप ही बताओ ना ??


अत्याचार की भी कोई सीमा होती है !


तो हम यह नफरतों का बाजार क्यों और फैला सकते है ?

नहीं ना ?


नफरतों के बाजार के बजाए,

मानवी मुल्यों की रक्षा के लिए ,

ईश्वरी सिध्दांतों की रक्षा के लिए ,

और आसुरीक वृत्तीयों पर प्रहार करने के लिए ,

यह हमारी न्याय की लडाई है !

और यथोचित तथा कानूनी लडाई है !


अगर हम नफरत के बाजार फैलाते तो ,

धर्म के आधार पर बँटवारा होने के बावजूद भी ?

सभी को हमारे यहाँ हमेशा के लिए, सभी प्रकार के मौलिक अधिकार क्यों और कैसे देते ?

उच्च कोटि का भाईचारा हम कैसे निभाते ?

सभी को उच्च कोटी का प्रेम भी कैसे देते ?


बतायेगा कोई ??


और इतना होनेपर भी हमारे ही साथ उल्टा अत्याचार ?

क्या यह सही है ?

यही न्याय है ?

बोलो ना ?


हम सहिष्णु बनकर प्रेम करते है ? और कोई हमारे प्रेम के बदले में , नफरतों के जहर देते है ?

तो ऐसा न्याय कैसे सहेंगे ?


अब तो बोलना ही पडेगा !

सभी को !!


" झूठे का बोलबाला और सच्चाई का मुंह काला..."

ऐसी नौटंकी अब हमारे देश में नहीं चलेगी !

और नाही हम चलने देंगे !


केवल और केवल

" सत्यमेव जयते !! "

के आधार पर ही देश चलेगा !

और सत्य ईश्वर समान होता है !!


इस सत्य की लडाई में  ,

हमारे पुर्वजों ने जान की बाजी लगाकर हमारे आदर्श हिंदु सनातन धर्म की रक्षा की है !

उन सभी पुर्वजों की याद में ,

हम सब मिलकर ,हमारा...

हिंदु समाज जागृती अभियान तेज करते है !


आत्मा पर हाथ रखकर मुझे आप सभी यह महत्वपूर्ण बात बताओ की ,

क्या हम किसी दूसरे धर्म से नफरत करते है ?

नहीं ना ??

कोई दूसरे धर्म के महापुरुषों को बहिष्कार करने की शपथ लेते है ?

नहीं ना ??

कोई दूसरा धर्म नामशेष करने की भाषा बोलते है ?

नहीं ना ??


उल्टा हम अत्यंत सहिष्णु है !

हमेशा के लिए !

इसिलिए सभी धर्मों की और उनके महापुरुषों की बारबार पूजा करते है !

सही है ना ??


तो भी फिर ,

हमारे धर्म से ,

हमारे देवीदेवताओं से ,

हमारे आदर्श संस्कृति से ,

इतनी नफरत क्यों ??

हमारे धर्म से विनावजह का बैर क्यों ?


और मेरे प्यारे भाईयों ,

फिर भी हम सहिष्णुता के नाते से , इतने भयंकर अन्याय ,अत्याचार क्यों सहते रहेंगे ??

और कितने दिनों तक सहते रहेंगे ??

बताओ ??


इसिलिए हम सभी हिंदू अब जातीपाती का झगडा छोडकर ,

हमारे भगवान जैसे भगवे ध्वज के निचे एक हो गये है !


इसिलिए हमारी अब एक अत्यंत महत्वपूर्ण माँग है की ,

हमारा सारा धन भी हमारे ही काम आयें !

विनावजह हमसे नफरत करने वालों के लिए नहीं !


इसिलिए सरकार को अब हमारी एक ही माँग है की ,

हमारा पैसा हमारे ही काम आयें...

किसी पाकिस्तान प्रेमी के नहीं !


हमारे मंदिरों के दान का पैसा भी केवल और केवल हमारे ही काम आयें !!


साथीयों ,

क्या मैंने गलत लिखा है ?

या सही ?

आप ही बताएं ?


इसिलिए हमारे मेहनत का पैसा भी हमारे ही काम के लिए आना चाहिए !

नाकी ,

हमारे धर्म से दिनरात नफरत ही करनेवाले , जिहादी पाकिस्तान के तिजोरी में किसी अन्य मार्ग से नहीं जाना चाहिए !


कैसी लगी मेरी विचारधारा ?

ठीक है ना ?


लोकतंत्र और अभिव्यक्ती की आजादी के नामपर , हमें कुछ लोग खुलेआम धमकियाँ देते है ?

तो क्या उसी अभिव्यक्ती की आजादी के आधार पर हम , हमारे धर्म पर हो रहे अत्याचारों के विरूद्ध , खुलकर लिख भी नहीं सकते है ??

बोल भी नहीं सकते ??

क्यों ??


इसिलिए मेरे प्यारे भाईयों ,

अन्याय - अत्याचार के खिलाफ खुलकर बोलो !

खुलकर लिखो !!


अन्यथा देश का पाकिस्तान बनने में देर नहीं लगेगी !

सही है ना ?


जय जय श्रीराम !

हर हर महादेव !

वंदे मातरम् !

भारत माता की जय !!


जय हिंद !!!

हिंदु एकता जींदाबाद !!!


【 एकता की आवाज तो सारे आसमान में गुंजनी ही पडेगी 】


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