मुसिबतों के दौर में ?
मुसिबतों के दौर में ??
✍️ २३७१
विनोदकुमार महाजन
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हर एक के जीवन में मुसिबतों का दौर तो आता ही है !
कभी कभी मुसिबतें भी इतनी भयावह होती है की ,
हमें लगता है , शायद ?
सबकुछ समाप्त हो गया है !
मगर ऐसा नहीं है साथीयों !
मुसिबतों के भयंकर दौर में ,
एकेक रिश्तेनाते ,मित्रपरिवार शायद नाता तोड सकते है !
सभी के सभी हमसे दूर भाग भी सकते है !
मगर एक रिश्ता ऐसा भी होता है की जो तुम्हें हर मुसिबतों से बचाता ही है !
निश्चित रूप से !
वह दिखाई नहीं देता है !
मगर साथ जरूर देता है !
लगातार !
चौबीसों घंटे !
उसी का नाम है ?
ईश्वर ,परमेश्वर , प्रभु ,परमात्मा !
तुम उसे नहीं देख सकते !
मगर वह तुम्हें जरूर देख सकता है ! हर पल , हर क्षण !
मगर इसके लिए ईश्वर पर निरंतर अतूट श्रद्धा ,विश्वास और प्रेम चाहिए ही चाहिए !
बिना श्रद्धा के कुछ हासिल नहीं होता है !
एक बार उस सृष्टिरचियेता ,दयालु ईश्वर को सश्रद्ध भाव से , संपूर्ण समर्पण भाव से ,
पुकार के तो देखो ?
वह दौडा दौडा चला आयेगा !
और तुम्हारे जीवन में चमत्कार भी होंगे !
वह तुम्हें हर मुसिबतों से बचायेगा !
कर्मभोग से भी बचायेगा !
मृत्युयोग से भी बचायेगा !
बिमारियों में भी बचायेगा !
आर्थिक परेशानियों में भी बचायेगा !
भयंकर शत्रुओं से भी बचायेगा !
श्रद्धा रखिए !
वह परम दयालु प्रभु परमात्मा सबकुछ ठीक ही करेगा !
ऐसी हमेशा धारणा रखिए !
तुम्हारा जीवन भी बदल देगा !
मेरा तो यही अनुभव है !
मेरे जीवन में अनेक बार ,अनेक चमत्कार भी हुए है !
असंभव लगने वाली सभी घटनाएं भी संभव में ही बदल गई है !
ईश्वर के भरौसे ,मेरी अनेक बार मृत्यु भी टल गई है !
इसिलिए साथीयों ,
ईश्वर पर विश्वास रखिए !
वह तुम्हें छप्पर फाडकर भी दे सकता है !
और तुम्हें विनावजह पिडा देनेवाले तुम्हारे हितशत्रुओं का...
छप्पर तोडकर भी सबकुछ ले जा सकता है !
इसीलिए...
यह विश्वास ही बडी चिज है !
विश्वास रखिए ,
तुम्हारा जीवन भी बदल जायेगा !
विश्वास रखिए , तुम्हारे जीवन में सभी असंभव कार्य भी संभव होने लगेंगे !
जब ईश्वर ही हमारी चौबीसों घंटे चींता करता है तो ?
व्यर्थ का रोना क्यों ?
व्यर्थ की चींता क्यों ?
और व्यर्थ की परेशानियां भी क्यों ?
इसिलिए दोस्तों ,
सबकुछ ईश्वर के चरणकमलों पर ,सश्रद्ध भाव से समर्पित करके , बडे आनंद के साथ जीवन बिताते है !!
हे प्रभो ,
मेरा सबकुछ ,
मेरा सब कार्य ,
मेरा पापपूण्य तेरे ही पवित्र चरणकमलों पर समर्पित है !
।। श्रीकृष्णार्पणमस्तु ।।
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