कर्मगती का खेल

 *अजब होता है , कर्मगती का खेल !!*

✍️ २४३०


 *विनोदकुमार महाजन* 

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कर्मगती का खेल बडा विचित्र होता है !

किसी के भाग्य में क्या लिखा होता है ? यह कौन जान सकता है ?

प्रारब्ध ,कर्म , नशीब सब एक ही सिक्के के अनेक पैलू !

और हर एक का नशीब ,प्रारब्ध भी अलग अलग ! और प्रारब्ध के खेल भी अलग अलग !

इसिलिए हर एक का सुखदुख भी अलग अलग !

कौन जादा सुखी ? और कौन जादा दुखी ? यह बात कौन बता सकेगा ?


इसिलिए एक संस्कृत सुभाषित है....

" *स्र्तियस्य चरीतम् पुरूषश्य भाग्यम् देवो न जानयेत ! "* 

बिल्कुल सही है !


इसिलिए कब ,कहाँ , क्या होगा ? यह बात भी कौन समझ सकेगा ?


इसके लिए पढते है एक सत्य घटनाओं पर आधारित एक सुंदर बोधकथा !


आकाश मार्ग से एक गरूड़ पक्षी अपने पैरों में पकडकर एक जहरीले साँप को लेकर जा रहा था ! मगर एकाएक वह साँप गरूड़ के पैरों से फिसल गया !

और निचे गिर गया !

निचे गिरा तो एक इंन्सान के शरीर पर ! साँप गुस्से में था और जहरीला भी ! वह साँप तुरंत उस आदमी को डस गया !

और ? उसी बेचारे की साँप के जालिम जहर के कारण तत्काल मृत्यु भी हो गई !

और थोडी देर बाद फिरसे वहीं गरूड़ पक्षी उसी साँप को उठाकर ले गया ! और उसी साँप को खा गया !


मतलब ? 

साँप के जहर से उसी इंन्सान की मृत्यु हो गई ! और गरूड़ के कारण उसी साँप की भी मृत्यु हो गई !

मतलब इंन्सान और साँप की मृत्यु तो अटल थी ही ! मगर साँप कुछ ही क्षणों के लिए गरूड़ के पैरों से फिसलकर निचे गिर गया , और उस मनुष्य को डस गया !

और ? कुछ ही मिनिटों में साँप और गरुड़ दोनों ने ही अपने पिछले जनम का बैर पूरा करके ,हिसाब बराबर किया !


है ना आश्चर्यजनक घटना ?

यही तो कर्म का खेल होता है !

 *सबकुछ* *आश्चर्यकारक ,अघडीत !* 


कौन बता सकता है कर्म का अजीब सा हिसाब किताब ?


क्या कर्मगती से छूटने का कोई रास्ता है ?

है ! जरूर है !

अखंड ईश्वरी चिंतन !

अखंड गुरूमंत्र का जाप !!


इससे निश्चित रूप से कर्म बदल सकता है !

 *मेरा अनुभव है !* 

जी हाँ !

जब सटवाई हमारे ललाट पर भाग्य की रेखा लिखती है...तब उसमें बदलाव नहीं होता है !

मगर गुरूमंत्र के जाप से सटवाई खुद आकर हमारे ललाट पर लिखी हुउ भाग्य की रेखा भी बदल सकती है !

और मेरे गुरूकृपा के कारण मेरी भाग्य की ललाट रेखा खुद सटवाई ने आकर बदल दी है !


जब मैं इसी विषय पर विस्तृत किताब लिखूंगा तब ऐसी अनेक आश्चर्यजनक घटनाओं का उल्लेख उसी में करूंगा !

पढनेवाले भी हैरान और दंग रह जायेंगे ! और ऐसा भी कहेंगे की ,

" *क्या ऐसा भी हो सकता है ? "* 


कर्मगती का खेल सचमुच में अगाध होता है !

अगाध होता है !


 *ईश्वर की लीला भी अगाध होती है !* 


किसके नशीब में क्या लिखा हुवा है यह कौन जाने ?

ज्योतिषी और ज्योतिषशास्त्र क्या कहता है , यह बात मैं नहीं जानता !

मगर इतना जरूर जानता हूं की ,

हरेक की भाग्य की रेखा अलग अलग होती है !

हरेक का नशीब भी अलग अलग होता है !


आपको भी नशीब बदलना है तो ? अखंड ईश्वरी चींतन और गुरूमंत्र का जाप जरूरी है !


सनातन वैदिक हिंदु धर्म के अनेक आदर्श धर्मग्रंथ सभी रहस्यों को उजागर करते है !


इसिलिए ?

सनातन धर्म पर विश्वास रखो !

और सनातन धर्म पर जी जान से प्रेम भी करो !


 *हरी ओम्* 

 *जय श्रीकृष्ण*


🕉🕉🕉🕉🕉🌹

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