संत

 जो खुद के सुखों के लिए 

जीते है वह किडेमकौडे 

की तरह होते है !

और जो दूसरों के सुखों

के लिए जीते है वह संत -

महापुरुष होते है !!

 *आपको कौन बनना है ?* 


 *विनोदकुमार महाजन*

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