सत्पुरुष

 सत्पुरुष खुद के लिए

कभी भी जीते नहीं है !

सत्पुरुष हमेशा दूसरों के

सुखों के लिए ही जीते है !

और जो खुद के सुखों के

लिए जीते है वह सत्पुरुष

नहीं हो सकते है !

जय श्रीकृष्णा !!


विनोदकुमार महाजन

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