क्या चाहिए ?

 आखिर क्या चाहिए ?

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मेरे प्यारे सभी भाईयों,

सचमुच में तुम्हे क्या चाहिए....?

देश का विकास चाहिए

या देश को भकास बनाने वाले

जयचंद चाहिए ?

सबका साथ सबका विकास चाहिए या फिर

सिर्फ गरीबी हटाव के

झुटे नारे देकर

तुम्हे फँसाने वाले

नौटंकी बाज और

लुटेरे चाहिए।

देश में तुम्हे शांती चाहिए या फिर

सदा के लिए अराजक

अशांती चाहिए ?

तुम्हे आबादी चाहिए 

या बरबादी चाहिए ?

तुम्हे आखिर क्या चाहिए ?

मोदीजी जैसा जबरदस्त

शक्तीशाली नेता

हमारे भाग्य से मिला है।

हमारे भाग्य,देश के भी

भाग्य मोदीजी बदल देंगे।

मोदीजी के कार्य का

आईना हमारे सामने

साफ है।

एक संन्यस्त व्यक्ती

हमारे भविष्य के लिए

हमारे उज्ज्वल जीवनशैली के लिए

दिनरात एक कर रहा है।

और हम दुर्भागी उस

महात्मा को,उस पुण्यात्मा को ही

कोस रहे है।

और हमारा खून चुँसनेवालें भेडियों को

बडा कर रहे है।

आखिर क्यों और कबतक चलेगा

हमारे ही बर्बादी का

यह अती भयंकर सिलसिला?

हम कब जागेंगे ?

असलियत के बारे में

कब सोचेंगे ?

एक जागतिक दर्जे का

युगपुरुष समान नेता

हमें मिला है।

फिर भी हम जयचंदो के पिछे क्यों जा रहे है।

हमें ही लुटनेवाले

बेईमान, नमकहराम,गद्दारों को

हम बडा क्यों कर रहे है ?

उनके ही झोली में

मतों का दान क्यों

कर रहे है ?

हमारी बरबादी करनेवालों के पिछे

हम क्यों दौड रहे है ?

क्या सचमुच में हम

अंधे है ?

या फिर मुरख भी है ?

क्या हमारी लायकी

अंग्रेज तथा मुगलों की

गुलामी करने की ही है ?

क्या सचमुच में हमें

आबादी की बजाए

दारिद्र्य तथा नारकिय 

जीवन ही मंजूर है ?

बरबादी ही मंजूर है ?

क्या हमें गुलाम बनानेवाले ही चाहिए ?

हमें,हमारे राष्ट्र को

संपन्न,शक्तीशाली बनाने वालों को

या फिर ऐसी कोशीश

करनेवालों को

केवल और केवल उपहास, विडंबन, अपमान ही करते रहेंगे?

नफरत ही करते रहेंगे ?

अगर ऐसा है...

तो भाईयों, भगवान भी

तुम्हारी कभी भी

सहायता नही कर सकेगा।

तुम्हारी सहायता के लिए अगर भगवान भी

आया तो भी

हताश होकर स्वर्ग चला

जायेगा।

और कहेगा...

सडते रहो,सडते रहो

नरक में सडते रहो।

नारकिय जीवन

जीते रहो।

दारिद्र्य, गरीबी में

तडपते रहो।

तडप तडप कर

मरते रहो।

तुम्हारी यही लायकी है।


बहुत बुरा लगा ना पढकर ?

भाईयों, क्या करें ?

आत्मा तडपती है

देश की ऐसी स्थिती

इतनी भयंकर स्थिती

देखकर।

दिल में,आत्मा में

आग लगती है भाईयों,

देश की ऐसी भयंकर

स्थिती देखकर।

मन जलता है।

देश की बर्बादी इन आँखों से देखी नही जाती यारों।

क्या करें....?

सोचो,जागो।

मोदीजी का साथ दो।

नही तो....?

अनर्थ हो जायेगा।

भविष्य अंधकारमय

बन जायेगा।

फैसला आपके हाथ में है।

हरी ओम।

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--  विनोदकुमार महाजन।

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