मुसीबतों में कुलदेवता उपासना फलदायक होती है
कुलदेवता की कृपा से जीवन बदल जाता है...।
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आज मैं आप सभी को कुलदेवता की कृपा के बारें में विस्तार से लिखूंगा।
सबसे पहले मेरे कुलदेवता का मेरा निजी अनुभव बताता हुं।
मेरी कुलदेवता है...
महाराष्ट्र के,जिला उस्मानाबाद में परांडा के नजदीक, सोनारी गाँव में स्थित
" *कालभैरवनाथ "*
है।यह एक अत्यंत जागृत देवस्थान है।अनेक लोगों को इसकी प्रचिती आज भी मिलती है।
मेरा अनुभव यह है की,
मेरे सद्गुरु आण्णा के गुरू बुलढाणा के दिगंबर महाराज ने मुझे मेरे सपनों में आकर मुझे एक मंत्र दिया।दिगंबर महाराज के साथ मेरे आण्णा भी खडे थे।
यह दिव्य मंत्र मैं यहाँ नही देता हुं।क्योंकि जो भी नियमों का पालन करता है...उसे ही केवल मंत्र दिया जाता है।और उसी पर ईश्वरी कृपा भी होती है।
ईश्वर के प्रती श्रध्दा, भक्ति, प्रेम,अतुट विश्वास चाहिए।तभी ईश्वरी कृपा होती है।
तो मैं भयंकर आर्थिक विपदाओं में चारों ओर से घिरा हुवा था।ईश्वर के सिवाय किसी का सहारा नही बचा था।तब मुझे यह मंत्र मिला।
तकरीबन पच्चीस लाख मंत्र जाप पूरा होने के बाद,
मेरे सपनों में प्रत्यक्ष कालभैरवनाथ आ गये।छोटीसी सत्वगुण प्रधान बालमुर्ती मुर्ती से बाहर निकली,और दौडते हुए मेरे तरफ आ गई।और मेरे हाथों पर धन रखकर, फिरसे वापस दौडते हुए,मुर्ती में एकरूप हो गई।
आज भी यह दृष्य मेरे नजरों के सामने जैसा के तैसा दिखाई देता है।
और कुछ दिनों बाद मेरी आर्थिक समस्या सदा के लिए समाप्त हो गई।आज भी मैं कुछ कामधंधा करूं अथवा ना करूं,मेरे हाथों से सदैव पाणी की तरह धन बहता रहता है।
यह मेरे सद्गुरु आण्णा की,उनके गुरू दिगंबर महाराज की और कालभैरवनाथ की मुझपर अपार कृपा तथा प्रेम का फल है।
वैसे तो कलियुग में हनुमान उपासना, गणपति उपासना, दत्तात्रेय उपासना भी शिघ्र फलदायक होती है।मगर फिर भी कुलदेवता उपासना जादा फलदायक होती है।
क्योंकि कुलदेवता हमारे कठिन समय में तुरंत सहायक होती है।अगर हम कोई दूसरी उपासना कर रहे होते है..तो भी यह तुरंत फलदायक नही होती है।क्योंकि दुसरे देवताओं की भी यही इच्छा होती है की हम सबसे पहले हमारे कुलदेवता के शरण में जायें।
अगर किसिको कुलदेवता मालूम नही तो भी वह व्यक्ति कालभैरवनाथ उपासना कर सकता है।क्योंकि प्रत्यक्ष काल को भी हराने की शक्ति कालभैरवनाथ में होती है।
तो भाईयों, आप भी कुलदेवता उपासना अथवा कालभैरवनाथ उपासना किजिए और दुखों से मुक्ति पाईये।
हरी ओम्
ओम् कालभैरवाय नम:
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आत्मानुभूति : - विनोदकुमार महाजन
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