एक भयंकर समस्या

 एक भयंकर समस्या।

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सभी पत्रकार मित्रों,

सादर प्रणाम।

एक भयंकर समस्या समाज में दिखाई दे रही है।

स्त्री उत्पीडन के मामले दिनबदिन बढ रहे है।जिसपर तुरंत कानूनी कारवाई की जाती है।मगर इससे विपरीत एक भयंकर समस्या चल रही है।

पुरुष उत्पीड़न।

जब झूटी, बुरी,खराब औरते सज्जन पुरुषों पर झूटे आरोप लगाती है,उस पुरूष को फँसाने की कोशिश की जाती है,झूटे इल्जाम लगाती है और समाज भी

ऐसी औरतों के ही पिछे खडा हो जाता है

उस निष्पाप पुरूष को या फिर....

पत्रकारों को भी...

ऐसे झूटे मामलों में फँसाया जाता है।

कभी कभी ऐसे झूटे आरोपों की वजह से उस पुरूष का जीवन ही खराब होने की स्थिति पैदा होती है...

भयंकर विनावजह की बदनामी सहना भी मुश्किल हो जाता है...

तब उस...

बेचारे....

निष्पाप पुरूष ने क्या करना चाहिए ???

समाज में ऐसी अनेक घटनाएं हो रही है।मैं किसी पर झूटे इल्जाम नही लगा रहा हुं।मेरे आँखों के सामने की अनेक ऐसी घटनाएं है।

इसका उत्तर क्या है ? हल क्या है ?

ऐसी भयंकर समस्या का उपाय क्या है ?

मुझे अपेक्षित उत्तर मिलेगा ऐसी आशा करता हुं।आखिर सभी को न्याय तो मिलना ही चाहिए।

वास्तव लिख दिया,जो मैंने देखा है।

चुकभूल क्षमस्व।

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--  विनोदकुमार महाजन।

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