नवराष्ट्र निर्माण के लिए
विकृत और लाचार समाज में प्रगती कैसे हो सकेगी ???
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मुगलों की,अंग्रेजों की गुलामी करते करते,आजादी के बाद अनेक साल भ्रष्टाचारी काले अंग्रेजों ने देश पर राज किया और भयंकर तबाही मचाई।
परिणाम यह हुवा की यहाँ की संस्कृति पर प्रहार करके,समाज मन को अस्तित्व शून्य बनाने की कोशिश की गई।
संस्कार और संस्कृति का धन समाप्त होते ही,समाज स्वाभिमान शून्य, लाचार, हीन,दीन और विकृत जानबूझकर बनाया गया।
परिणाम यह हुवा की लोगों के मन में स्वार्थ, लालच बढता गया।और इमानदारी की जगह बेईमानी में बदल गई।
हमारे ही कुछ लोग हमारे ही देवीदेवताओं को,साधुसंतों को,महापुरुषों को,धर्म को,संस्कृति को बदनाम करने में धन्यता माने लगे है।
अन्याय, अत्याचार के प्रती लोगों में प्रतिकार की जगह में अती सहिष्णुता की वजह से ,अती सहिष्णुता का डोस बारबार पिलाकर समाज मन जानबूझकर नंपुसंक बनाया गया।
यह भयंकर षड्यंत्र द्वारा जानबूझकर समाज तोडऩे के लिए किया गया।
जिसका भयंकर परिणाम आज समाज अराजकता के रूप में भुगत रहा है।
" उन्हें ",
जो चाहिए था उन्होंने हासिल किया।
लोगों में ईश्वर के प्रती,धर्म के प्रति, सत्य के प्रति आस्था,प्रेम कम होता गया।देवी देवताओं को,साधुसंतों को चाहे कोई कितना भी बदनाम करों,धर्म पर चाहे कोई कितना भी प्रहार करो...विरोध करने के लिए समाज की चेतना ही मारी गई।परिणाम स्वरूप समाज लाचार और विकृत हो गया।
फिर इसमें भी समाज को फ्री का,फोकट का लालच लगाकर समाज को अती लालची बनाया गया।इसीलिए समाज मंदिर निर्माण, राष्ट्र निर्माण ,विकास, प्रगति के बजाय फ्री बिजली ,फ्री पाणी की ओर जादा आकर्षित होने लगा।और अपना बहुमूल्य मत ( वोट )भी उज्वल भविष्य की बजाय फोकट के चक्कर में बिनदिक्कत बेचने लगा।जातीपाती की राजनीति में भी फँसकर ( या जानबूझकर फँसाकर ) खुदका ही सर्वनाश करने लगा।
समाज धिरे धिरे अस्तित्व शून्य बनता जा रहा है...क्या यह मरे हुए,तेजस्विता हिन समाज का लक्षण है ?
क्या यही लोकतंत्र है ?
क्या यही स्वराज्य है ?
तेजस्वी समाज निर्माण के बजाय तेजोहीन समाज बनाने का जो एक भयंकर षड्यंत्र रचा गया,खेला गया इसका भयंकर विपरीत परिणाम आज देश भूगत रहा है।
मुगल,अंग्रेजों के बाद और विशेषता आजादी के बाद...
केवल दो ही व्यक्तीयों ने इतना भयानक षड्यंत्र इस देश के साथ किया की,भोलेभाले लोगों को संपूर्ण अंधेरे में रखकर एक भयंकर, भयानक कुटील रणनीति बनाई गई,और उसिके अनुसार कार्य को आगे बढाया गया।
( जब इनका असली घिनौना चेहरा और घिनौनी हरकत जब संपूर्ण देश पहचान लेगा,तो...?
इनकी मुखौटे वाले,नौटंकी बाजों की समाज में क्या स्थिति होगी ? )
भाईयों,
क्या यही वास्तव है ?
उन दो व्यक्तीयों के नाम मैं नही दे रहा हुं,क्योंकि एक तो मुझे विनावजह का विवाद खडा करना नही है,अथवा ना कोई कानूनी दाँवपेंच में फँसना है।
क्योंकि सत्य को बारबार दबाने के लिए यह भी एक भयंकर षड्यंत्र का हिस्सा इस देश में बनाया गया है।
जो भी सत्य के रास्ते पर,ईश्वरी सिध्दांतों के रास्ते पर चलेगा, उसीपर प्रहार किया जायेगा, यही सूत्र यहाँ पर बनाया गया है।और चौतरफा इसकी भयानक निती भी बनाई गई है।
देश के अंदर छिपे अनेक जहरीले साँप तथा विदेशों से समर्थन प्राप्त करके,देश को अराजकता की ओर ले जाने का भयंकर षड्यंत्र आज भी प्रखर राष्ट्र प्रेमियों को परेशानियों में डाल रहा है,तथा तेजस्वी समाज निर्माण के कार्य में अनेक बाधाएं तथा विघ्न डाल रहा है।
तबाही का यह भयंकर षड्यंत्र भेदन करके ही हमें आगे बढना है।
लाचार, तेजोहीन, बिकाऊ समाज को फिरसे स्वाभिमानी, संपन्न, सुसंस्कृत बनाना कोई आसान काम नही है।क्योंकि एक भयंकर शातिर दिमाग की रणनीति द्वारा जगह जगह पर,हर जगह पर ऐसे भयंकर जहरीले साँपों का जाल बिछाया गया है की,सत्य ना जीत सके।उल्टा सत्य परेशान भी हो सके तथा समाप्त भी हो सके,ऐसी भयानक साजिश आज भी सैतानी ताकतों द्वारा जोरों पर कार्य कर रही है।देश तोडऩे के अनेक गुप्त अजेंडे चलाए जा रहे है।
क्या आप सभी की,
प्रखर राष्ट्र प्रेमीयों की,
सत्य प्रेमीयों की,
ईश्वर प्रेमीयों की,
मानवता वादीयों की ,
आत्मा मेरे बात से ,मेरे मतों से सहमत है ?
अगर हाँ...
तो इसका उत्तर, हल,तोड़ क्या है ?
राष्ट्र द्रोही शक्तियों का संपूर्ण रूप से बंदोबस्त होनेतक देश के सभी चुनाव ही रद्द कर देना ? इसके लिए कठोर कानून बनाना ?
राष्ट्र द्रोही ताकतों को तुरंत कठोर दंडित करना ?
और देश में तबाही और अराजकता फैलाने वाले जहरीले साँपों पर तुरंत भयंकर प्रहार करके,देशहित में बाधाएं डालने वाली,प्रगती ,विकास में अनेक प्रकार की बाधाएं डालनेवालों का तुरंत बंदोबस्त करके उनको तुरंत कठोर दंडित करना ?
समाज में अराजकता फैलाने वालों का बंदोबस्त करने के लिए,
राष्ट्र द्रोह का मुकदमा चलाना ?
कानून का सहारा लेकर बचनेवाले राष्ट्र द्रोहियों पर अंकुश लगाकर देश को आगे ले जाना ?
जनता तो उत्तर देगी ही।मगर मैं अब उत्तर की अपेक्षा
नरेंद्र मोदीजी तथा अमित शाहजी द्वारा करता हुं।
समय सोचने का नही,
तुरंत सख्त एक्शन लेने का है।
अभी नही तो कभी नही...
यह सूत्र ध्यान में रखकर सब निती बनानी होगी।बिल्कुल ठंडे दिमाग से इसका तोड़ निकालकर अमल करना होगा।
तभी देश बचेगा, संस्कृति बचेगी।
मरे हुए समाज मन में आशा की किरण जागेगी।उनका आत्मविश्वास, चैतन्य लौटकर फिरसे वापिस आयेगा।
समाज की लाचारी, विकृती,हीनता, दीनता समाप्त होगी।बिकाऊ समाज स्वाभिमानी होगा।
और एक चैतन्य दाई नवसमाज एवं नवराष्ट्र निर्माण होगा।
मुझे पता है काम आसान नही है।
मगर फिर भी तीव्र इच्छा शक्ति के आगे असंभव तथा नामुमकिन भी कुछ भी नही है।जरूरत है...
तीव्र इच्छाशक्ति की और उसपर कठोर अमल करने की।
और आज के शक्तिशाली राज्य कर्ताओं में यह तीव्र इच्छा शक्ति भी दिखाई देती है।
भविष्य में जरूर कुछ उथल पुथल होकर रहेगी।
जय हिंद
वंदे मातरम्
जय श्रीराम
जय श्रीकृष्णा
हरी ओम्
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विनोदकुमार महाजन,
अंतरराष्ट्रीय पत्रकार
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