इस्काँन और विश्व कार्य।

इस्काँन और हिंदु धर्म।
------------------------------------
विश्व विजेता हिंदु धर्म
का लेख पढकर,
हमें इंडोनेशिया से,
इस्काँन की तरफ से फोन आया था।
संपूर्ण विश्व में सनातन संस्कृती का कार्य बढाने के लिए हम सहायता करेंगे,
ऐसा वह महात्मा फोनपर,
हमारे डायरेक्ट श्री.अजयकुमार पांडेय जी से कह रहा था।

हमें संपूर्ण विश्व के सभी सत्यप्रेमीयों से यही उम्मीद है।
हमारा सहयोग बढाओ।

अब,
इस्काँन के बारें में ।
यह एक कृष्ण भक्तों का जबरदस्त शक्तिशाली, सनातन प्रेमी आध्यात्मिक संगठन है।

देशविदेशों में,सभी जाती,धर्म, मत,पंथों के लोग इस संगठन से जुडकर, कृष्ण भक्ति की निरंतर तथा अविरत साधना कर रहे है।
अनेक देशों में बडे बडे कृष्ण मंदिर निर्माण द्वारा, कृष्ण भक्ति तथा सनातन धर्म, विश्व के कोने कोने में पहुंचा रहे है।

यह विषय संपूर्ण भारतवासियों के लिए बडे गर्व का विषय है।

मेरे लेखों के बारे में संन्माननीय श्री.अजयकुमार पांडेय जी,मुझे हमेशा गौरवान्वित करते रहते है।और पांडेय जी को,
लेखों के बारें में प्रोत्साहन देनेवाला कोई फोन आता है तो,बडे हर्षोल्लास से मुझे अवगत भी करते है,और मेरा ईश्वरी आनंद भी निरंतर बढाते है।
इसके लिए मेरे पास तो कुछ शब्द ही नही है।आत्मा से धन्यवाद सर।

अब इस्काँंन के बारे में।
अंतरराष्ट्रीय श्रीकृष्ण भावनामृत संघ,अर्थात इस्काँन।

परमपूजनीय तथा वंदनीय श्री.भक्ति वेदांत प्रभुपादजी ने,अपने गुरू के आदेशानुसार यह अद्भुत तथा अलौकिक, कृष्ण भक्ति, ईश्वर भक्ति, आध्यात्म तथा सनातन संस्कृति का कार्य, बहुत कम समय में और बहुत तेजी से बडे आश्चर्यजनक तरीकों से,संपूर्ण विश्व के कोने कोने में पहुंचाया है।
गुरूकृपा और प्रत्यक्ष परमात्मा भगवान श्रीकृष्ण की संपूर्ण कृपा से ही यह ,अद्भुत कार्य आगे बढ सकता है।ऐसे महान कार्यों के लिए,
हमारे,
विश्व विजेता हिंदु धर्म
परीवार की तरफ से,
अनेक अनेक शुभकामनाएं।

हमें संपूर्ण विश्व में जाकर,
वसुधैव कुटुम्बकम
के हमारे आदर्श सिध्दातों की पूर्ति के लिए,
इस्काँन की तरफ से हमें भविष्य में संपूर्ण सहयोग तथा दिव्य प्रेम,

तथा,

तन - मन - धन से,
संपूर्ण सहयोग मिलेगा ऐसी हम आशा करते है।

हमारा यह दिव्य संदेश, यह लेख,यह मनोगत,
संपूर्ण विश्व में फैले हुए इस्काँन के करोड़ों कृष्ण भक्तों तक तुरंत पहुंचेगा, ऐसी हम आशा करते है।

साथी हाथ बढाना साथी रे !!!

जय श्रीकृष्णा।
बमबम भोले।

हरी हरी: ओम्।
--------------------------------------
विनोदकुमार महाजन।

Comments

Popular posts from this blog

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र

साप आणी माणूस