सोने की चिडयाँवाला अखंड हिंदु राष्ट्र।

 सोने की चिडियाँ वाला,

अखंड हिंदुराष्ट्र ! ! !

--------------------------------------

देश सोने की चिडियाँ वाला था,

यह एक अखंड हिंदुराष्ट्र था।

हर घर से यहाँ सोने का धुंवां भी

निकलता था।

मेरा अखंड भारत था।


देवीदेवताओं को पूजनेवाला था,

चारों तरफ मंदिरों में घंटीयों की,

मंगल आरतीयों की,

सुमंगल आवाजें उठती थी।

घर घर में सुसंस्कारों का धन था।

हर घर पर बडे अभिमान से,

भगवान का भगवा लहरता था।


सोने की चिडियाँ वाला मेरा देश था,

यह मेरा देश अखंड हिंदुराष्ट्र था।


ना कोई यहाँ भूका था,

ना ही यहाँ कोई गरीब था।

ना जातीपाती का यहाँ,

लडाई झगडा था।


कोई लुहार,कोई सुतार ,

ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, दलीत ,

सभी का एक विचार था,

सभी का एकमत था।

आपस में एक दुसरे के प्रती,

अत्यंत विश्वास,प्रेम,भाईचाराथा।


मेरा देश सचमुच में महान था।

सोने की चिडियाँ वाला मेरा

यह देश अखंड हिंदुराष्ट्र था।


फिर स्वार्थी, आक्रमणकारी,

चोर,लुटेरों का हैदोस हुवा।

मेरा देश खंड खंड हो गया,

दारिद्र्य, जातीयवाद का यहाँ

भयंकर विस्फोट हुवा।

आपस में ही लड लडकर,

समाप्ती की ओर बढने का,

यहाँ भयानक खेल खेला गया।


मेरा देश बरबाद हुवा।

मेरा देश बदनाम हुवा।

कसक सी उठती है दिलमें 

यह भयंकर नजारा देखकर।

दिल तडपता है देश का ,

भयंकर बुरा हाल देखकर।


हम सुसंस्कारित, तेजस्वी,

ईश्वर पुत्र होकर भी,

आज इतने हीन - दीन - लाचार,

कैसे हुए ?

आपस में ही लड झगडकर,

समाप्ती की ओर क्यों बढ रहे ?


सोने की चिडियाँ वाले,

सुसंस्कारित मनवाले भी,

देवीदेवताओं को पूजनेवाले भी,

आज इतने तेजोहीन 

क्यों हो गये ? किसने बनायें ?

क्यों बनाये ?


सोचो यारों सोचो,सोचो प्यारे सोचो।

अंतरात्मा की आवाज जगा दो।


आखिर यह सब विपरीत 

क्यों हो गया ? कैसे हो गया ?


आक्रमणकारी चोर,लुटेरों ने,

मेरे सोने की चिडियाँवाले,

हिंदुस्तान को,

दो दो हाथों से लूट लिया।

मूगल,अंग्रेज जैसे क्रूर

अत्याचारीयों ने देश को बरबाद किया।


चारों तरफ से लूटलूटकर उल्टा

हमें ही बदनाम किया।

जातीपाती का जहर बिछाकर,

हमें ही बरबाद किया।


घर घर में बैर की आग लगाकर,

हमपर गहरा वार किया।

देश हमारा लूट लिया।

देश हमारा बरबाद किया।


आजादी की भी जंग लडी

अनेक क्रांतिकारियों ने।

अपने प्राण का बलिदान देकर,

बचाखुचा देश आजाद किया।


और आजादी का श्रेय तो

किसी औरों ने ही ले लिया ?

क्रांतिकारियों को आतंकी

घोषित करके आजादी का श्रेय

खुद ले लिया।

यह तो भयंकर हुवा,

यह तो भयानक हुवा।

सत्य के साथ धोका हुवा।

आजादी के लिए मर मिटनेवाले

तेजस्वी ईश्वर पूत्रों का अपमानित किया।


भगवत् गीता के अहिंसा तत्व का

अधूरा ज्ञान बाटकर समाज को

नंपुसक किया,तेजोहीन किया।

आधुनिक शुक्राचार्य ने तेजस्वी,

ईश्वर पूत्रों पर अत्याचार किया।

राक्षसी सिध्दातों को,

अहिंसा के आड में बढावा दिया।


यह तो भयानक हुवा।

फिर से धोका हुवा।

हमारे सहिष्णुता का फायदा उठाकर,

हमें ही बरबाद किया।

हमें ही लूटलूटकर कंगाल किया।


सोने की चिडयाँवाला मेरा देश,

फिरसे बरबाद किया।


धिरे धिरे और भी भयंकर हुवा,

षड्यंत्रों द्वारा हमें फिरसे,

बरबाद किया।

हमारी महान संस्कृति को,

चारों तरफ से बदनाम किया।

देवीदेवताओं के सिध्दातों पर,

प्रहार किया।

राम और रामसेतु को भी

काल्पनिक करार दिया।


यह तो अती भयानक हो गया।

हमारे धन को भी चारों तरफ से

लूटलूटकर कर हडप लिया।

जातीपाती में झगडा लगाकर,

चोरों ने देश पर राज्य किया।


हमें बरबाद किया।

हमारे देश को बरबाद किया।

हमारे संस्कृति को बदनाम किया।


और हम....???

मूर्दा बनकर तमाशा देखते रहे।

आपस में ही लड - झगडते रहे।

खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी से

मारते रहे।

धन वैभव के लालच में आकर,

हम खुद ही बरबाद होते रहे।


बेईमान, गद्दार, नमकहराम,

जयचंदों का साथ देते रहे।

और खुद ही बरबाद होते रहे।

बरबादी का भयंकर तमाशा देखकर भी सोते रहे।

उपर आपस में ही लडते रहे।


आज भी समय हाथ में है भाईयों

आज भी समय हाथ में है।

उठो,जागो।

तेजस्वी ईश्वर पूत्रों ! ! !

जागो ! ! !



सिध्दयोगी विनोद की बाणी,

और तेजस्वी लेखनी ,

आप सभी को हिला हिलाकर,

जगा रही है।


उठो तेजस्वी ईश्वर पूत्रों।

अधर्म का भयंकर अंधीयारा, समाप्त करने के लिए,

अंतरात्मा जगावो।

आत्मा की आवाज सुनो।


फिर से मेरे महान, संस्कृति संपन्न देश को,

सोने की चिडियाँ बनाने के लिए,

स्वार्थ, मोह,आपसी कलह,

मनभेद, मतभेद ,जातीपाती का

झगडा समाप्त करके,

संगठित बन जावो प्यारे !

संगठित बन जावो ! ! ! 


आपसी मतभेद भूलकर,

महासिध्दयोगी अनेक संतों का,

शांती का प्रतीक भगवा,

राजे शिवछत्रपती जैसे अनेक महापुरुषों का,क्रांति का भी प्रतीक भगवा,


भगवान का भी भगवा,

संस्कृति पूजक भगवा,

मानवताप्रेमी भगवा,

बैराग्य का प्रतीक भगवा,

सुर्योदय की रोशनी भगवा,

ईश्वरी सिध्दातों की रक्षा करनेवाला भगवा,


हाथ में लेकर,

सोने की चिडियाँवाले महान देश को फिरसे वैभवसंपन्न बनाने के लिए,


संगठित बनो।

शक्तिशाली बनो।

हिम्मतबाज बनो।

हिम्तवाला बनो।


इसी खुशी में बडे आनंद से,

हर हाथ में भगवा लेकर,

हिंदुस्तान के हर घर पर,

आँफिस, दुकान पर

भगवान का भगवा लहराने की,

कसम आज हम सभी मिलकर खाते है।


संतों का वचन,

विश्व - स्वधर्म - सुर्ये - पाहो ,

और हमारा नारा,तथा दिव्य मंत्र

विश्व विजेता हिंदु धर्म ,

की ओर तेजीसे बढते है।


आवो हम सब मिलकर,

कंधे से कंधा मिलाकर,

शांती से क्रांति करते है।


माता भारती को और 

माता धरती को खुशहाल

बनाते है।


आज से,अभी से,

कार्य आरंभ करते है।

वादा रहा वादा रहा ।


हरी हरी : ओम् ।

🕉🚩🕉🚩🕉🚩🕉

--------------------------------------

विनोदकुमार महाजन।

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र