राममंदिर निर्माण।
।। राम मन्दिर निर्माण के लिए सभी का योग दान ।।
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सदीयों की प्रतिक्षा खतम होकर,
राम मन्दिर निर्माण का कार्य आरंभ हो गया है।
और बहुत ही कम समय मे मन्दिर का निर्माण तेजी से बढता जा रहा है ।
राम जी के मन्दिर निर्माण के लिए अनेकों ने अपने जान की आहुति भी दी है ।
इसिलिए अयोध्या मे राम मन्दिर का बनना बहुत ही सौभाग्य की बात है।ऐसे समय में अगर हम मन्दिर निर्माण मे थोडा - सा भी योगदान कर सके तो अपने आप को बहुत ही सौभाग्यशाली होंगे।
इसका एक उदाहरण देते है।
यह बात उस समय की है जब राम जी सीता माता को लंका से वापस लाने के लिये राम सेतू का निर्माण कर रहे थे। राम जी की सेना के सभी योध्दा छोटी-बडी चट्टानों को उठा कर महासागार मे फेक रहे थे ,उसी समय राम जी की नजर एक गिलहरी पर पडी और राम जी ने देखा की गिलहरी रेत को अपने शरीर के ऊपर भरता और महासागर मे जाकर पानी मे रेत को छोड के आता।
फिर राम जी ने गिलहरी को अपने हाथो मे उठा लिया।
और पूछने लगे की,
" तुम क्या कर रहे हो ?"
तभी गिलहरी ने राम जी को प्रणाम किया और कहा,
" प्रभू सभी अपने-अपने साहस के अनुरूप सेतू निर्माण मे अपना योगदान कर रहे हैं ,और मैं भी अपने योग्यता के अनुरूप ही रेत की कंकड को ईक्कठा कर सेतू मे जाकर जमा कर रहा हूँ । "
भाईयों,
जब एक गिलहरी अपने श्रध्दा को प्रकट कर प्रभू राम के सेतू निर्माण के लिये अपना योग दान दे सकता हैं ,फ़िर हम तो मनुष्य है । जिसमे ( मनुष्य में ) असम्भव को सम्भव बनाने की क्षमता होती हैं।
हम चाहे तो क्या नही कर सकते है ?
हमे जादा कुछ नही करना है और हमे भी बस राम मन्दिर निर्माण मे अपना अपना योगदान देना है ।
ताकी भव्य दिव्य,राम मन्दिर का निर्माण हो सके ।
हमने भी,
हमारे,
" विश्व विजेता हिंदु धर्म ",
परीवार की तरफ से,
अनेक जागृत तथा वैश्विक लेख बारबार लिखकर राममंदिर निर्माण का पूरजोर समर्थन किया है ।
जीसमें,
" राम के बाण को अब कोई भी नही रोकेगा ",
जैसे अनेक महत्वपूर्ण लेख भी शामिल है।
अब राममंदिर निर्माण से,
रामराज्य तक,
और रामराज्य से,
हिंदु राष्ट्र और अखंड हिंदुस्तान की तरफ,
याने की.....
संपूर्ण विश्व में फैले हुए,मानवसमुह को एक उच्च कोटी का अद्भुत ईश्वरीय जीवन जीने के लिए,
हम सदैव प्रेरित करते रहेंगे।
यही तो हमारे,
" विश्व विजेता हिंदु धर्म ",
परिवार का उद्देश्य है।और इसमें हम....
परम ईश्वरी कृपा से , पूरा करके ही रहेंगे।
सब मिलकर, उंची आवाज में और एकसाथ, बिना हिचकिचाये,
बोलो...
सियावर रामचंद्र की जय।
आयोध्या निवासी प्रभु श्रीराम की जय।
जय जय श्रीराम।
हरी ओम् ।
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विनोदकुमार महाजन।
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