अब हमें केवल जीतना ही है।
अब हमें,
केवल लेख लिखने या पढने नही है।
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जी हाँ,मेरे प्यारे भाईयों।
अब हम सभी को,
केवल लेख लिखने या पढने नही है।
अब हमें संपूर्ण विश्व पटल पर जबरदस्त शक्तीसे ,स्फुर्तीले बनकर ,तेजीसे कार्य आरंभ करना है।
आजतक मैंने बहुत कुछ लिखा,और आपने भी बहुत कुछ पढा भी।
मगर अब समय आया है प्रत्यक्ष कृती का।
अब एक सत्यवादीयों का, शक्तीशाली जागतीक संगठन बनाकर, कार्यरत होते है।
कार्य आरंभ करते है।
आजतक हमने ,हिंदुत्ववादियों ने,सत्यवादीयों ने,सत्य सनातन वादीयों ने,मानवतावादीयों ने,ईश्वर प्रेमीयों ने,अनेक हिंदुत्वप्रेमी - हिंदुत्ववादी संगठनों ने,
अनेक कठिन तथा कठोर प्रसंगों का सामना करते करते,सुख - दुखों की,धन - वैभव की,सत्ता - संपत्ति की अभिलाषा, मान - अपमान की अपेक्षा किये बगैर,एक एक दिन निकाला है।
किसीने अनेक संकटों का,अनेक आर्थिक समस्याओं का,अनेक बिमारियों का,अनेक जटिल समस्याओं का,अनेक मुसीबतों का,अनेक रूकावटों का,डटकर मुकाबला किया है,सामना किया है।निरपेक्ष वृत्ति से,स्वार्थ विहिन बनकर, हमारे मकसदों में,उद्दीष्टों में यशस्वीता प्राप्त करने के लिए,
एक दिव्य मंजिल सामने रखकर,
हर दिन गुजारा है।अनेक दिन हमने अनेक भयंकर समस्याओं से बिताये है।अनेक भयंकर घोर समस्याओं का सामना किया है।
कभी कभी सत्य को जींदा रखने के लिए,तलवार की तेज धार पर भी चले है।परिणामों की फिकीर किए बगैर,तलवार की धार पर चलते समय,पैरों से चाहे कितना भी खून क्यों ना निकले ?
हम सिध्दांतों के लिए,हमारी दिव्य मंजील प्राप्त करने के लिए,आजतक बहुत बुरे समय का हमने मुकाबला किया है।
और आगे चलते रहे है।आगे बढते रहे है।
मन में केवल और केवल एक ही विश्वास रखकर,
की,
" एक ना एक दिन हम सभी हमारे कार्यों में जरूर यशस्वी होंगे ही।कामयाब होंगे ही।"
है ना मेरे प्यारे सभी साथीयों ?
लालच में आकर ना हमने कभी हमारी आत्मा बेची है,या ना ही कभी ईमान बेचा है।अनेक संकटों के,मुसिबतों के,जहर के सागर पार करते करते,
आज हम सिध्दीयों तक पहुंच ही गये है।
मगर अब हमें आगे क्या करना है ?क्या करना होगा ?
तो...
तुरंत एक जबरदस्त शक्तिशाली जागतिक संगठन बनाकर , कार्यान्वित होना है।तेज गती से आगे दौडना है।अब रूकना नही है।
बस्स् ,आजतक बहुत हलाहल हजम किया है।अब हमें अमृत कुंभ भी हासिल करने है।और इसी अमृत कुंभ द्वारा, संपूर्ण विश्व पर अमृत कुंभों में भरे हुए अमृत को भी छिडकाना है।
अनेक मरे हुए मन के लोगों की आत्मचेतना जगानी है।उन सभी का आत्मविश्वास, हौसला,उनकी आत्मा की आवाज जगानी है,बुलंद करनी है।हरदिन, हरपल उनसभी को कार्यप्रवण बनाना है।
मरी हुई मानवता को जगाना है।
ईश्वरी सिध्दातों को आगे बढाना है।
हैवानियत पर सबको मिलकर, जबरदस्त तरीकों से प्रहार करना है।
ईश्वरी सिध्दातों को जीताना है।
धरती का स्वर्ग बनाना है।
भयंकर, भयानक, भयावह ,संपूर्ण सजीवों को भयभीत करनेवाले आसूरीक ,उन्मादी शक्तियों को हराना है।
दुनिया के कोने कोने में पहुंचकर,सत्य को भी पहुंचाना है।
दुनिया के कोने कोने में ईश्वर निर्मित सत्य सनातन को पहुंचाना है।
" विश्व विजेता हिंदु धर्म ।"
बनाना है।
नामुमकिन लगता है ?
डर लगता है ?
दिवास्वप्न लगता है ?
हँसी आती है ?
मजाक लगता है ?
मेरे तेजस्वी ईश्वर पुत्रों,
धधगता अंगार,ज्वाला, लाव्हा अंदर रखने वाले,
मेरे भाईयों....
अगर आप सभी मेरे साथ हो,
तन - मन - धन से,
स्वार्थ विहिन बनकर,
समर्मीत भाव से,
निस्वार्थ भाव से....
अगर हम सभी एक होंगे...
कंधे से कंधा मिलाकर आगे जायेंगे,
आत्मतेज जगाएंगे,
अंतरात्मा की आवाज और पूकार सुनेंगे,
तो.....?
कुछ नामुमकिन होगा ?
इसका सही उत्तर देना अब आप सभी सत्य प्रेमीयों का दाईत्व है।
आये कितने भी मुसीबतों को पर्बत या बाधाएं,
चाह कितने भी जहर के सागर भी पार करने पडे,
अब हम हारनेवाले नही है।
डंके की चोट पथ कहता हूं,दावे के साथ कहता हुं...
हम केवल और केवल जीतनेवाले ही है।
और दयालु प्रभु परमात्मा ने भी हमें,
केवल और केवल इसी के लिए ही पैदा किया है।
अंतरात्मा में एक तेज लहर सी दौडती है ना यह सभी पढकर ?
तेज करंट लगता है ना अंदर ?
जी हाँ भाईयों,
यही हमारे अंतरात्मा की आवाज है।
यही हमारा ईश्वरी तेज है।
यही हमारा मूल रूप है।
जागृत,तेजस्वीता ही हमारा सिध्दांत है।
मैं विनोदकुमार महाजन,
और मेरे छोटे भाई,
अजयकुमार पांडेय जी ने,
यह ईश्वरी सिध्दातों के जीत की लडाई आरंभ की है।
सभी को आत्मा से और ह्रदय से,
हम दोनों का,
नम्र निवेदन तथा नम्र आवाहन है की,
हमारा साथ दो।
हमारा साथ दो।
ईश्वरी सिध्दातों की जीत के लिए,
और हैवानियत की...
सदा कीक्षहार के लिए...
हमारा साथ दो।
हर हर महादेव।
जय जय श्रीराम।
हरी हरी : ओम्
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विनोदकुमार महाजन।
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