नियती और नशीब।
नियती और नशीब
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जींदगी भी बडी अजीब
होती है दोस्तोंं।
कभी किसी को हँसाती है
तो कभी किसी को रूलाती है।
प्रारब्ध, नशीब का खेल भी
बडा न्यारा होता है यारों।
बडों बडों को भी यह खेल
कई बार रूलाता है।
समय भी ऐसा बलवान खिलाडी है की,
बडे बडे खिलाडियों के साथ भी
ऐसा खेल खेलता है की
पुछो मत।
जिसको जो चाहिये वह
हरगीज मिलता नही है।
और जो नही चाहिये वही
नशीब में आ जाता है।
और प्रारब्ध का भोग समझकर
हम विपरीत परिस्थितीयों का,
मुसिबतों का सामना करते रहते है ।
यही तो नियती है।
यही तो नशीब है।
यही तो प्रारब्ध है।
बडी विचित्र होती है यह जींदगी,
बडी अजीबोगरीब है यह कहानी।
शनी,राहु,केतू भी ऐसे बलवान
होते है की,
एक दिन में पूरा जीवन पलट देते है।
एक पल में बडे बडे हस्तियों को भी
जमीन के निचे दफना देते है।
और काश...हाय रे दुर्देव...
ना सुननेवाला कोई मिलता है।
और नाही रोने के लिए कोई
कंधा मिलता है।
और ऐसे मुसिबतों के दौर में
आदमी भटक जाता है
जिसपर भी...
दिव्य प्रेम किया...
ईश्वरीय पवित्र प्रेम किया...
उससे भी सदा के लिए
दूर चला जाता है,
दूर चला जाता है।
और उपर से,
मजाक का विषय बनाकर
उसे समाज द्वारा प्रताडित भी किया जाता है,
अपमानीत किया जाता है।
इसी का नाम जींदगी है प्यारे,
इसकी नाम दुनियादारी है।
मुसिबतों के दौर में
ना कोई अपना होता है।
ना कोई हमदर्दी,अपनापन
दिखाता है।
फिर भी ऐ मेरै दोस्त,
आने दे कितने भी ,
मुसिबतों के दौर,
आने दे कितने भी आँधी
या तूफान,
हिम्मत ना हारना प्यारे।
कभी भी हिम्मत ना हारना।
विपदाओं का डटकर मुकाबला करना।
बडे हिम्मत से आगे बढते ही रहना।
और....
आयेगा एक दिन तेरे भी
नशीब में...
एक ऐसा दिन...
जिस तु नशीबवाला बनेगा।
ऐ मेरे ,
मुसिबतों से घिरे हुए
हताश, उदास दोस्त,
हौसला और हिम्मत कभी भी
मत हारना,
मंजील की ओर नितदिन
बढते रहना,बढते ही रहना।
मुसिबतों के भयंकर दौर में
हो सके तो इस प्यारे दोस्त को
याद भी करना।
जहर के अनेक सागर भी
हिम्मत से
पार होंगे दोस्त।
हिम्मत से आगे बढना।
हिम्मत से आगे बढना।
जीवन में कभी भी हार मत मानना।
इसी का ही नाम
जीवन है प्यारे।
जीवन की लडाई लडते ही रहना।
जीवन की लडाई,
अकेले,
लडते ही रहना।
हिम्मत ना हारना।
हरी हरी : ओम् ।
( मुसिबतों में घिरे हुए मेरे अनेक दोस्तोंं को,सच्चे यारों को,
यह मनोगत समर्पित है )
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विनोदकुमार महाजन।
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