विष्णु का आंतरिक दुख

 विष्णु का आंतरिक दुख


बडी मजे की बात है ये।

विष्णु को अनेक अवतारों में भयंकर पिडा एवं दुख भोगना पडा है।


विष्णु के मन में और आत्मा में परकाया  प्रवेश करनेपर यह दुख महसुस होता है।

अनेक विष्णु अवतारों में ऐसा ही होता है।और आखिर ऐसा क्यों होता है ?


क्या आज भी विष्णु अवतरीत होंगे तो ऐसे ही दुखों का सामना फिरसे करना पडेगा ?


शायद !!!


देखो।

तिरूपती बालाजी की पत्नी,महालक्ष्मी। झगडा करके कोल्हापूर में आई।

विष्णु अनाथ हो गये।

गरीब लडकी पद्मावती से दुसरा विवाह करना पडा।

वह भी कर्जा निकालकर।


कृष्ण अवतार में दोनों पत्नीयों से ,सत्यभामा और रूक्मिणी से दिव्य प्रेम की प्राप्ति न हो सकी।

इसिलए वही दिव्य प्रेम प्रेयसी राधा से प्राप्त करना पडा।


राम अवतार में भी सिता का बारबार वियोग हुवा।

बनवास में रावण ने सिता का हरण किया।और अंत में भी सिता भूमि में समा गई।


भयंकर अद्भुत लिला यवं रचना भगवान की।


भगवान होकर भी दुखों का सामना करना पडा।


भगवान का दुख कौन समझेगा ?


हरी ओम्


विनोदकुमार महाजन

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र