सज्जन

 मेरा अनुभव


जब दुर्जन, सज्जनों को

पिडा देकर ठहाके लगाते है

तब तथाकथित सज्जन

दूरसे मजा देखते है


और जब अन्यायग्रस्त सज्जन

दुर्जनों को आव्हान करते है

तो यही तथाकथित सज्जन

सच्चे सज्जनों को बदनाम

करते है


कडवा है मगर सत्य है

इसी वजह से हमारी

आत्यंतिक धर्म हानी हो गई है


विनोदकुमार महाजन

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