हे प्रभो

 हे दयालू प्रभो,

अगर तुझे ही

सत्य की रक्षा की,

धर्म की रक्षा की,

गौमाताओं के रक्षा की,

साधुसंतों के रक्षा की,


चिंता नही है...?


तो हम क्या कर सकते है ?


विनोदकुमार महाजन

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