ऐ मेरे दोस्त, तू बचके रहना रे
दुनिया का दस्तूर
बडा भयावह होता है यारों
जिस जिस को मैंने
प्रेम का पवित्र अमृत दिया
उन्होंने ही मुझे जहर दिया
और मजे की बात देखो
जिन्होंने उन्हे भरभरकर
जहर दिया उन्हीको
उसीने अमृत दिया
जिसके मुसिबतों में मैंने
आँसू पोंछे उन्होनें ही मुझे
भरभरके आँसू दिये
और मेरे कोमल ह्रदय पर
कुठाराघात किये
और मैं भी दुनियादारी से
तंग आकर पत्थरदिल बन गया
यही दुनियादारी है दोस्तों
यही दुनिया का दस्तूर है
बडे विचित्र दुनियादारी से
ऐ मेरे मित्र,बचके रहना रे
तू संभल के रहना रे ! ! !
हरी ओम्
विनोदकुमार महाजन
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