सद्गुरू चरण

 सद्गुरू चरण

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सद्गुरू चरणों में,

साक्षात स्वर्ग होता है,

अमृत होता है,

दिव्यत्व होता है,

भव्यत्व होता है,

प्रेम-वात्सल्य-करूणा,

दया-क्षमा-शांती,

कृपा-आनंद ,

आनंद ही आनंद,

अखंड चैतन्य ही चैतन्य,

होता ही है।

इसिलए...

जीवन में आयेंगे,

कितने भी तूफान,

या फिर आँधियाँ,

या चाहे हजम करने पडे,

दुनियादारी के चित्र विचित्र जहर,

या चाहे झेलने पडेंगे,

कर्मगती के,

दुखों के पर्बत,

या फिर भयंकर नरकयातनादाई,

अनेक संकटों की चट्टानें,

सद्गुरु सभी भयंकर, अती भयंकर, 

जहर को भी हजम करने की,

शक्ती देते है,

निरंतर, नितदिन,

नित्यसमय में।

इसिलए जिसे भी,

सद्गुरु चरण मिल गए,

जनम जनम के,

उस प्राणी के भाग्य ही,

खूल गये।

हरी ओम।

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--  विनोदकुमार महाजन।

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