गुरूवंदन

 गुरूवंदन

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हमारा जालिम और अतिभयंकर दुखदर्द , प्रारब्ध भोग और यह संपूर्ण जहर भोगने के लिए शायद

हमें चोबिस जनम भी लेने पडेंगे ! मगर सद्गुरू के

मंत्र के जाप से इसी जनम में ही हमारे प्रारब्धभोग जलकर राख हो जाते है और हमें नवजीवन प्राप्त होकर , एक आनंदी , चैतन्यमयी , यशस्वी आयुष्य प्राप्त होकर , एक सुखदाई जीवन आरंभ हो जाता है !


मेरा तो यही अनुभव है !

आप भी अनुभव किजिए !

और दिव्यत्व की प्रचिती लिजिए !


गुरूचरणों पर सबकुछ समर्पित कर देने से ही जीवन का और जन्म जन्मांतर का कल्याण है !


सद्गुरू आण्णा के परमपवित्र चरणकमलोंपर मेरा सारा जीवन समर्पित है !


।। गुरूरब्रम्हा गुरूरविष्णु गुरूरदेवो महेश्वर:

गुरू: साक्षात परब्रम्ह तस्मै श्री गुरवे नम: ।।

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विनोदकुमार महाजन

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