पत्थर

 एकबार पत्थर भी पिघलेगा

मगर पत्थरदिल लोगों के सामने सर पटककर खून भी

बहेगा तो भी पत्थरदिल इंन्सान नहीं बदलेगा !


विनोदकुमार महाजन

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