हमारे घर में ?

 *हमारे ही घर में ?* 

 *हम सभी असुरक्षित है ??*

✍️ २५७५


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हमारा घर ?

सुरक्षित था !

हम सभी ईश्वर पर प्रेम करनेवाले, भूतदया वाले , सहिष्णू ,परोपकारी, सुसंस्कृत थे !

सभीपर प्रेम करनेवाले !

पवित्र, निरपेक्ष, निस्वार्थ प्रेम !

खुद भूके रहकर दुसरों को रोटी खिलानेवाले !


" अतीथी देवो भव: " का संदेश देनेवाले और ऐसा शुध्द, स्वर्गीय वातावरण रखनेवाले !


मगर !?

कुछ साल पहले !?

" भाईचारे " की नौटंकी करके , 

" हमारे घर में " मेहमान के रूप में ?

" वास्तव में " एक घुसपैठी ,बेईमान , नमकहराम,रक्तपिपासू ,

आक्रांता घूस गया !


" हम जो ठहरे ? "

मानवतावादी !

शत्रू पर भी प्रेम करनेवाले !

खुद का सबकुछ दूसरों को बहाल करनेवाले !


मगर ?

घात हो गया !

हमारी पवित्र नजरों ने , हमारे आदर्श सिध्दातों ने ही हमारा घात कर दिया !


क्योंकी ,

" भाईचारे का ड्रामा करनेवाला ही..."

" आस्तिन का साँप निकला ! "


हमारी आँखे तो खुल गई !

मगर अब तो बहुत देर हो चुकी थी !


क्योंकी वह मेहमान, वह अतिथी ,वह भाईचारे वाला

अब....

हमारे ही घरपर कब्जा बोल रहा है !


हमारे ही मारकाट की भाषा बोल रहा है !

हमारे परोपकार, हमारी सहिष्णुता भूलकर ?


" वह अब भयंकर दरींदा "

बन गया है !

और हम फिर भी बचावात्मक पवित्रे में थे !

अभी भी सहिष्णुता निभाते निभाते , उसको सुधारणे का मौका देते रहे !


क्योंकी हम आक्रमक, आक्रमणकारी कभी भी नही थे !


मगर अब तो ...?

हमारे अस्तित्व का ही प्रश्न निर्माण हो गया है !


" वह " हमें संपूर्णतः नेस्तनाबूत करके ही रहेगा !?


सो....???❓

सोचो ,समझो,जानो,जागो !


अब हमें ?

हाथ में शस्त्र लेकर ही लडना पडेगा !

अन्यथा ?

हमारा सर्वनाश अटल है !


" हमारा घर कौनसा है ? "

जागो...जागो...जागो...


उन्मादी हारेगा नहीं !

जीतना उसकी आदत है !

भागना हमारी आदत है !


कबतक भागोगे ?

कहाँ भागोगे ??


लडेंगे तो बचेंगे !!


प्रेरणा देना ? हमारा काम है !

बचावात्मक लडना ? आपकी जिम्मेदारी !?


भगवत् गीता और भगवान श्रीकृष्ण भी आखिर यही सिखाते है ना ?


बाकी ??

आपकी मर्जी !


जय श्रीकृष्ण !!


जय सियाराम !!


🙏🙏🙏🙏🙏


 *विनोदकुमार महाजन*

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