आस्तिन के साँप ??

 *हिंदू होकर भी ? हिंदुओं से* *ही नफरत क्यों करते* *हो ??*

✍️२५६३


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दोस्तों

कुछ लोग ऐसे भी होते है जो

हिंदू होकर भी हिंदुओं से ही नफरत करते है ?

हिंदुत्व से ही बैर करते है !

और भाईचारे के नामपर हिंदुओं से और हिंदुत्व से ही नफरत करते है !

हिंदुओं का द्वेष भी करते है !


और हमें ही भाईचारा सिखाते है ?

ऐसा क्यों ?


अज्ञान हिंदू ?

ठीक है !

मुर्ख हिंदू ?

यह भी ठीक है !

आलसी और निद्रीस्त हिंदू ?

यह भी ठीक है !

मरे हुए मन का , हताश ,उदास हिंदू ?

यह भी ठीक है !

चैतन्य शून्य हिंदू ?

यह भी ठीक है !


अज्ञान , मुर्ख , आलसी , निद्रीस्त , मरे हुए मन से जीनेवाला , हताश ,उदास , चैतन्य शून्य हिंदू बांधवों को जगाया जा सकता है !

नवचैतन्य , नवसंजीवनी भी इनको दी जा सकती है !


मगर दुष्ट , बेईमान ,कृतघ्न ,सत्ता और संपत्ति के लिए इमान भी बेचने वाला जयचंद हिंदू ?

इनका क्या करना चाहिए ?

जो समाज में सत्य के प्रति ,सत्य सनातन धर्म के प्रति अनेक प्रकार के संभ्रम फैलाते है ?

लोगों को भ्रमित करते है ?

आखिर इनका इलाज क्या है ?


हम हिंदू तो बहुत ही दयालु , सहिष्णु , परोपकारी ,क्षमाशील , सदैव प्रेमभाव रखने वाले होते है !

हम तो पशुपक्षियों में भी ईश्वर का रूप देखते है !

सभीपर दिव्य प्रेम करने को हमारा सत्य सनातन हिंदू धर्म सिखाता है !

ऐसा आचरण भी हम निरंतर करते रहते है !


फिर भी जानबूझकर हमारे ही कुछ लोगों द्वारा हम हिंदुओं को , हमारे देवीदेवताओं को , हमारे साधुसंतों को , हमारे आदर्श संस्कृति को चौतरफा बदनाम क्यों किया जाता है ??


हमें भाईचारा सिखाने वाले जरा अफगानिस्तान ,पाकिस्तान ,बांग्लादेश में जाकर तो देखिए ? वहाँ किस प्रकार से भाईचारा निभाया जाता है ?


जरा कश्मीर ,पश्चिम बंगाल ,केरल में जाकर , आँखें खुली रखकर वहाँ के निष्पाप हिंदुओं की चिखें भी सुनो !


हमारे गौमाताओं की आर्त चिखें भी सुनो !


विशेषत: टिवी डिबैट पर केवल हिंदुओं को ही एकतरफा बदनाम मत करो !


सहनशीलता का भी अंत होता है !

और जब सहनशीलता का अंत होता है तब ?

क्रांति हो जाती है !


और हम हमारे धर्म रक्षा के लिए , सत्य की रक्षा के लिए , मानवता और पशुपक्षियों की रक्षा के लिए , गौमाता की रक्षा के लिए , जरा जागरूक होकर , सत्य समाज को बताने लगते है तो ?

हमें ही भलाबुरा कहा जाता है ?


मोहब्बत की दुकान के नाम से नफरत की दुकान चलाई जाती है ? हमारे धर्म , संस्कृति को नामशेष करने की अनेक गुप्त योजनाएं चलाई जाती है ?

तो भी हम इसका विरोध ना करें ? उल्टा हमें ही नफरत फैलाने वाले कहा जाता है ?

वारे उल्टा न्याय ?


खुद की आत्मा बेचने वाले लोगों से आखिर कौनसी अपेक्षा की जा सकती है ?


ऐसे दुष्टों से सावधान रहिए मेरे हिंदू साथीयों !

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे !

ऐसे लोगों से निरंतर सावधान रहें ! 

सचेत रहे !


यह हमारे अस्तित्व की लडाई है !

अंदर , बाहर के धर्म द्रोही बहुत शातिर दिमाग के है !

षड्यंत्रकारी भी है !

अतएव सावधान !


अस्तिन के साँपों से बचके रहना !


हर हर महादेव !!


🚩🚩🚩🚩🚩


 *विनोदकुमार महाजन*

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