हर घरपर भगवा

 *एक था राजा....* 

✍️ २५७०

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विशेष सूचना : - हिंदू धर्म पर जी जान से प्रेम करनेवाले हर भारतीय और विदेशों में रहनेवाले हर हिंदुओं के लिए यह लेख अत्यंत महत्वपूर्ण है !


संपूर्ण विश्व में हिंदू धर्म को और हर हिंदुओं को पुनर्वैभव प्राप्त कर देने के लिए , हर हिंदुओं को प्रोत्साहित करनेवाला और आत्मनिर्भर करनेवाला यह महत्वपूर्ण लेख है !


एक राजा की बोधकथा के रूपक में इसको संजोया है !


 *एक था राजा !!!* 


संपूर्ण पृथ्वी पर बडे आनंद से राज्य करनेवाला एक चक्रवर्ती राजा था !

सम्राट !!

प्रजा पर जी जान से प्रेम करनेवाला ! प्रजाहित दक्ष !

वैभवसंपन्न , दयालु ,परोपकारी ,मानवताप्रिय ,पशुपक्षियों में भी ईश्वर का रूप देखने वाला !


सोने की चिडिय़ा वाला संपन्न राज्य ! हर एक के घर से सोने का धूवाँ निकलता था !

चारों ओर आनंदी आनंद , आबादी आबाद था !

हर एक व्यक्ति खुशहाल था !


ईश्वर निर्मित सत्य सनातन धर्म के छाया में हर एक व्यक्ति बडे मजे में था !

सहिष्णु , परोपकारी ,भूतदया माननेवाला , वसुधैव कुटुम्बकम पूजनेवाला , आदर्श , सुसंस्कारित था !

धन की भीक माँगने वाला नहीं बल्कि धन बाँटने वाला था ! धन के बैसाखियों पर चलने वाला पंगू , अपाहिज नहीं था !

माँगने वाला भिखारी भी नहीं था !


एक दिन.....??

घात हो गया !

कुछ छद्मी अधर्मी लोग , मानवता का बुरखा लगाकर पापभिरू राज्य में और लोगों में घूस गये !

पाप का भयावय उन्माद फैलाने के लिए उन्होंने एक भयंकर जालिम कपटनिती अपनाई !

और भोलेबाले लोगों के निष्पाप मन में आक्रोश फैलाना आरंभ किया !

सहिष्णु समाज युंही उनके जाल में फँसता गया !

जातिपाति में झगडने लगा !


पापी , अधर्मी ,विदेशी लुटारूओं ने फायदा उठाउठाकर देश का धन भी भरभरके लूट लिया !

यहाँ के आदर्श संस्कृति पर भयावय हमले भी किए !

और संपूर्ण आदर्श राज्य को तबाही में धकेल दिया !


आदर्श ,ईश्वर प्रिय राजा भी हैरान हुवा !

लोगों के मन में लगी हुई आत्मघाती आग वो कैसे बूझा सकता था ?

उनकी तबाही भी कैसे रोक सकता था ?


संपूर्ण राज्य बरबादी की ओर धकेलता जा रहा था !


और एक दिन ?

भयंकर, भयानक, भयावय हानि हो गई !

पापी , उन्मादी , लुटारू , आक्रमणकारी , अधर्मीयों ने देखते ही देखते देश के राजगद्दीपर कब्जा किया !


ऐश्वर्य में रहने वाला , नोकर चाकर , दासदासियाँ जिसकी सेवा में दिनरात लगे रहते थे , प्रजाहित दक्ष राजा , दर दर की ठोकरें खाने लगा ! जंगल जंगल भटकने लगा !

जहाँ हरदिन अन्नछत्र चलाए जाते थे , वह आदर्श राजा अन्न के एक एक कण के लिए मोहताज हो गया !


 *क्रूर नियती भी तमाशा* *देखती रहती गई !* 


ऐश्वर्य संपन्न राजा ने जिसको झोलीया भरभरके दान दिया था , वह कृतघ्न लोग भी राजा की सहायता करने के बजाए , उसको ही ठहाके लगालगाकर हँसने लगे !

बेईमान ,कृतघ्न, नमकहराम लोग !


राजा की धर्म पत्नी भी राजा का साथ छोडकर , अपने बच्चों को साथ लेकर , मायके चली गई !


थका हुवा , बेचारा अकेला राजा !

हताश ,उदास ,खिन्न !

दरदरकी ठोकरें खाता हुवा चारों ओर भिखारी जैसा घूमता था !

वेषांतर करके !


मगर फिर भी उसके मन में एक जबरदस्त जीत की इच्छाशक्ति जागृत थी ! आत्मविश्वास जागृत था !

जीद्द जागृत थी !


मैं *फिरसे जीतूंगा !* 

संपूर्ण विश्व पर फिरसे ईश्वर का आदर्श राज्य खडा कर दूंगा....

ऐसा धधगता आत्मविश्वास उसके अंदर था !


ईश्वर भक्त तो था आखिर !

ईश्वर पर भरोसा करनेवाला !


और....

जीतने के लिए

संपूर्ण जीत के लिए

उसने....

कठोर तपस्या आरंभ की !

कठोर तप !

अखंड कठोर तपाचरण !


और....?

ईश्वर भी उसकी कठोर तपश्चर्या देखकर प्रसन्न हुवा ! 

और संपूर्ण धरतीपर ,विश्व पर ईश्वर निर्मित सत्य सनातन धर्म का , भगवा ध्वज लहराने का वरदान दिया !


धिरे धिरे राजा ने सैन्य शक्ति जमा की ! धिरे धिरे शक्ति भी बढायी !

और अभेद्य सेना फिरसे खडी करके....


घनघोर युध्द हुवा !

धर्म युध्द !


और ? राजा जीत गया !

फिरसे सत्य सनातन हिंदू  धर्म का ध्वज लहराने के लिए ,

वह सम्राट बन गया !


मगर अब...?

उसने...?

झूठी सहिष्णुता का त्याग कर दिया था !

क्योंकि झूठी सहिष्णुता के कारण उसने सबकुछ खो दिया था !


उसकी आँख अब खुल गई है ! परोपकार भी किसके साथ करना है , भाईचारा भी किसके साथ निभाना है ?

यह बात अब वह समझ गया है !


 *रामराज्य फिरसे आयेगा !* 

 *फिरसे धरती पर भगवा* *लहरायेगा !* 


 *जय श्रीराम !!* 


🚩🚩🚩🚩🕉


 *विनोदकुमार महाजन*

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