मित्र

 पूरे देश में और विदेशों में भी मेरा अनगिनत मित्र परिवार है ! उनके घर को भी बुलाते है ! अनेक दिन रहने को भी कहते है ! खाना भी खिलाते है ! गाडी ड्राइवर भी देते है !

और कितना प्रेम चाहिए ?


विनोदकुमार महाजन

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

संपूर्ण लेखांक भाग २५

ईश्वर