पूंडलिका वरदे हारी विठ्ठल

 वारी.......!!

✍️ २२९९


विनोदकुमार महाजन

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वारी चल रही है पंढरपूर की !

विठोबा रूक्मीणी के जयजयकार की !

सकल वैष्णवों का मेला जम गया !

जयहरी विठ्ठल नाम का जयजयकार हो गया !


वारी में वैष्णवों के संग पैदल चलते है मेरे विठूमाऊली रूक्मीणी के संग !

जय जय रामकृष्ण हरी मंत्र का होता है उद्घोष !


सभी जात सांप्रदाय का भेदभाव बिना जम गया विराट जनसागर !

क्या वर्णन करूं मैं सभी के ह्रदय के प्रेमामृत का अविरत संचारण !


कंधे पर भगवान की भगवी पताका है !

भागवत धर्म का यह अद्भुत संगम है !


चलो उठो ,हम सभी भी 

विठूमाऊली के नामजप का जयजयकार लगाते है !

जयहरी विठ्ठल नाम का बडे भक्तिभाव से उद्घोष करते है !

ज्ञानबा तुकाराम नाम से आसमान का भी भेदन करते है !

हँसते खेलते नाचते गाते ,

बडे भक्तिभाव से,

रामकृष्णहरी दिव्यमंत्र का ,

टालमृदंग के ,जल्लोष से ,

भजन करते है !


ज्ञानोबा तुकाराम !

जय हरी विठ्ठल ! जय हरी विठ्ठल !

जय जय रामकृष्णहरी !


पुंडलीका वरदे हारी विठ्ठल !!

श्री ज्ञानदेव तुकाराम !!


माऊली ! माऊली !

माऊली ! माऊली !


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