आत्मघाती समाज

 आत्मघाती समाज ??

✍️२२८३


विनोदकुमार महाजन


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लालची, आत्मघाती, लाचार,

स्वाभिमान शून्य ,बिकाऊ कौन ?

यह तो " कर्नाटक " के नाटक से ही सिध्द हो गया है !


ऐसे लोगों से क्या और कौनसी अपेक्षा करते हो ?


" महाभयानक राक्षसों " ,

के संगत में आकर ,खुद का ,अगली पिढी का , और देश का भी सर्वनाश कर देंगे ऐसे विश्वासघातकी लोग ??


ढूंढने से भी इसका इलाज नहीं मिलेगा !


ऐसे लोगों के लिए क्या सचमुच में , तानाशाही ही काम आयेगी ??


क्योंकि इनको तो क्रूर, लुटेरे, हत्यारे ,मुगल, अंग्रेज ,तानाशाह की ही गुलामी करने की भयंकर बुरी बिमारी सी लग गई है ?


और अब , ऐसी भयंकर स्थिती में ,केवल और केवल फिरसे तानाशाही ? ही लगानी पडेगी ?यही एकमेव और अंतिम उत्तर बचा है ?

बचने का ?


सक्ती का कानून !

और सक्ती से ही सात्विक आचरण की और धर्म अवलंबन की कारवाई !


जो धर्म द्रोह करेगा ?

चाहे वह अपना हो या पराया ,

तुरंत मृत्युदंड का कानूनी प्रावधान !


ऐसा हुआ तभी सत्य बचेगा !


अन्यथा ?

सर्वनाश अटल है ?


चारों तरफ,

घनघोर अंधेरे का साम्राज्य फैला हुआ है ! 

" काला राज्य ( ? ) , काला अंधेरा ( ? ) "


मगर सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यही है की,

" आखिर तानाशाह बनेगा कौन ? "

जो केवल और केवल,

सत्य का ही रखवाला हो !

ईश्वरी सिध्दांतों का ही रखवाला हो !


कुछ साल पहले का एक तानाशाह याद है ना ?

जो माथे पर तीलक नहीं लगाता था , उसका सर काट देता था !


" ऐसे फेल लोकतंत्र से "

बेहतर होगा ,

" एक आदर्श तानाशाह का राज ! "


विचार मत करो,एक्शन लो !

बहस मत करो,एक्शन लो !

समय मत गंवाओ , एक्शन लो !

इंतजार मत करो , एक्शन लो !


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