देवता आसुरों को मृत्युदंड क्यों देते है ?
देवता आसुरों को मृत्युदंड ही क्यों देते आये है ??
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विनोदकुमार महाजन
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सभी देवीदेवता परम कृपालु, दयालु , सर्वहितकारी ,शांत ,संयमी ,सभीपर दिव्य प्रेम करनेवाले ही होते है !
मगर क्या देवताओं को भी क्रोध आ सकता है ?
जी हां !
और देवताओं का क्रोध भयंकर होता है !
जिससे कोई भी बचता नहीं है !
और जब आसुरिक शक्तियों का प्राबल्य होता है ,चारों तरफ अधर्म का अंधेरा फैल जाता है ,चारों तरफ हाहाकार मच जाता है , मानवता संपूर्ण मर जाती है , निष्पाप जीवों पर अत्याचार बढते है , जब आसुरिक शक्तियों द्वारा, ईश्वर भक्तों को भी नरकयातनाएं दी जाती है,सजीव प्राणीयों को तडपाया जाता है...
तब...??
ईश्वर जरूर क्रोधित हो उठता है !
और ईश्वर का क्रोध भी भयंकर होता है !
उन्मत्त ,उन्मादी ,हाहाकारी शक्तियों को ईश्वर कठोर दंडित ही नहीं करता है ,बल्कि ऐसे पापात्माओं को मृत्युदंड भी देता है !
जी हाँ !
इसीलिए ईश्वर को कभी भी क्रोधित नहीं करना चाहिए !
अनेक बार देवीदेवताओं ने उन्मत्त ,उन्मादी शक्तियों को मृत्युदंड देकर ही ,सामाजिक असंतुलन समाप्त करके ,सामाजिक सौहार्द तथा शांति स्थापित की है !
और आखिर मृत्यु भी तो क्या है ?
उस हाहाकारी पापात्मा को उस योनियों से मुक्ति देकर ,दुसरे योनियों में स्थापित कर देना !
अथवा अनेक आसुरों की तरह जन्म मृत्यु से ही मुक्ति दिलाना !
जिसे मोक्ष कहते है !
।। पुनरपी जननं पुनरपी मरणं
पुनरपी जननी जठरे शयनं ।।
से सदा के लिए मुक्ति !
और संपूर्ण सजीवों को भी अभय !!
हरी ओम्
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