देवता आसुरों को मृत्युदंड क्यों देते है ?

 देवता आसुरों को मृत्युदंड ही क्यों देते आये है ??

✍️ २२८७


विनोदकुमार महाजन


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सभी देवीदेवता परम कृपालु, दयालु , सर्वहितकारी ,शांत ,संयमी ,सभीपर दिव्य प्रेम करनेवाले ही होते है !


मगर क्या देवताओं को भी क्रोध आ सकता है ?

जी हां !

और देवताओं का क्रोध भयंकर होता है !

जिससे कोई भी बचता नहीं है !


और जब आसुरिक शक्तियों का प्राबल्य होता है ,चारों तरफ अधर्म का अंधेरा फैल जाता है ,चारों तरफ हाहाकार मच जाता है , मानवता संपूर्ण मर जाती है , निष्पाप जीवों पर अत्याचार बढते है , जब आसुरिक शक्तियों द्वारा, ईश्वर भक्तों को भी नरकयातनाएं दी जाती है,सजीव प्राणीयों को तडपाया जाता है...


तब...??

ईश्वर जरूर क्रोधित हो उठता है !

और ईश्वर का क्रोध भी भयंकर होता है !

उन्मत्त ,उन्मादी ,हाहाकारी शक्तियों को ईश्वर कठोर दंडित ही नहीं करता है ,बल्कि ऐसे पापात्माओं को मृत्युदंड भी देता है !


जी हाँ !

इसीलिए ईश्वर को कभी भी क्रोधित नहीं करना चाहिए !


अनेक बार देवीदेवताओं ने उन्मत्त ,उन्मादी शक्तियों को मृत्युदंड देकर ही ,सामाजिक असंतुलन समाप्त करके ,सामाजिक सौहार्द तथा शांति स्थापित की है !


और आखिर मृत्यु भी तो क्या है ?

उस हाहाकारी पापात्मा को उस योनियों से मुक्ति देकर ,दुसरे योनियों में स्थापित कर देना !

अथवा अनेक आसुरों की तरह जन्म मृत्यु से ही मुक्ति दिलाना !

जिसे मोक्ष कहते है !


।। पुनरपी जननं पुनरपी मरणं

पुनरपी जननी जठरे शयनं ।।


से सदा के लिए मुक्ति !

और संपूर्ण सजीवों को भी अभय !!


हरी ओम्

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