सोचो

 " तुम " व्हाट्सएप फेसबुक खेलते रहो !!

✍️ २२९७


विनोदकुमार महाजन


🤫🤫🤫🤫🤫🤫🤫


" तुम " व्हाट्सएप, फेसबुक

खेलते रहो !

" वो " अंडरग्राउंड होकर तुम्हारे

निचे की जमीन, शातिर दिमाग से खोद रहे है !


तुम्हारे पास इसकी कोई तगडी काट नहीं है !

और नाही शक्तिशाली रणनीति !

" डूब मरो ! "

क्योंकि भागने के लिए भी तुम्हारे पास कोई जमीन बची नहीं है !


" आसुरी साम्राज्य ??? "

जबतक संपूर्णता

जमीनदोस्त नहीं होता है तबतक

तुम्हारे अस्तित्व का प्रश्न बना रहेगा !?


आखिर तुम्हें बचायेगा कौन ??


आज " तुम्हारे पास " सोचने के लिए भी समय नहीं है !


" तुम्हारा " मकसद ?

ओन्ली मनी ?

" उनका " मकसद ?

तुम्हारा सर्वनाश ??


🤫🤫🤫🤫🤫🤫🤫

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